एसीबी करेगी जैसलमेर की 32 अपात्र गोशाला की जांच:गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत विधानसभा में बोले- रिकवरी भी की जाएगी
जैसलमेर
जैसलमेर की 32 गोशाला में हुए फर्जीवाड़े की जांच के बाद अब एसीबी करेगी।
जैसलमेर की 32 गोशालाओं में हुए फर्जीवाड़े की जांच एसीबी करेगी। साथ ही इन गोशालाओं को मिले अनुदान की रिकवरी भी की जाएगी। राज्य सरकार द्वारा इसकी तैयारी की जा रही है। यह जानकारी गोपालन एवं डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत ने दी। गोपालन मंत्री ने विधानसभा में गुरुवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि जैसलमेर में हुए गोशालाओं के अनुदान में फर्जीवाड़े को लेकर सीएम भजनलाल शर्मा से मिलकर जानकारी दी गई है। सीएम ने इस मामले की जांच के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को लिखा है। अब इस मामले की जांच एसीबी द्वारा की जाएगी। अगर फर्जी गोशाला को अनुदान मिला है तो उससे रिकवरी भी की जाएगी।
12 गोशाला के लाइसेंस किए रद्द
गौरतलब है कि 2 दिन पहले राज्य सरकार ने जैसलमेर की 12 गोशाला के लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई की है। इसकी जानकारी मंगलवार को विधानसभा में गोपालन और डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत ने दी। अप्रैल में जैसलमेर आई पशुपालन विभाग जयपुर की टीम की जांच में जिले की 12 गोशाला फर्जी पाए जाने की रिपोर्ट पर इन गोशाला के लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई की गई है।
इसके साथ ही कुल 32 गोशाला को अपात्र घोषित किया गया है। ये सभी गोशालाएं फर्जी तरीके से चल रही थी औए सरकार से अनुदान ले रही थी। जबकि इन गोशालाओं में नाम मात्र के पशु थे और चारा आदि की भी व्यवस्था जांच के दौरान नहीं मिली थी।
गोशालाओं में गायें ही नहीं मिली
संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग जैसलमेर, डॉ. सुरेन्द्र तंवर ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले की कुल 32 गोशाला अपात्र घोषित की गई है। जिनमें से 12 गोशाला के लाइसेंस रद्द किए गए हैं। ये सभी गोशाला फर्जी थी और इनमें जांच के दौरान गायों की संख्या नहीं मिली और ना ही चारा आदि की व्यवस्था दिखी। जिसको देखते हुए 32 गोशाला को अपात्र घोषित किया गया था।
जैसलमेर के पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सुरेन्द्र तंवर ने माना कि जिन 12 गोशालाओं के लाइसेंस रद्द किए गए है, वे सभी गोशालाएं फर्जी थी।
क्या है मामला
दरअसल, 4 डॉक्टरों की राज्य स्तरीय जांच दल ने अप्रैल महीने में जैसलमेर की 75 गोशालाओं का निरीक्षण किया था। इनमें 32 गोशाला अपात्र पाई गई। इनमें 12 गोशाला की जांच में पाया गया कि ये गोशालाएं न केवल मानकों का पालन करने में विफल रहीं, बल्कि उनके प्रबंधन में भी कई गंभीर खामियां पाई गईं।
इस जांच रिपोर्ट के आधार पर मेहर गोशाला निम्बा (सम), देवीकोट गोशाला, देवीकोट, गुल रोशन संस्थान गोशाला, जैसुराणा, चानणे विकास एवं विकास संस्थान जेसुराणा, पीरू खान गोशाला विकास सस्थान जेसुराणा (हमीरा), जन्नत गोशाला जेसुराणा (हमीरा), हरियाला राजस्थान गोशाला विकास संस्थान जेसुराणा, सिकन्दर गोशाला, जैसुराना, स्व. दीन मोहम्मद स्मृति एवं विकास संस्थान जेसुराणा, सूरशाह गोशाला जूना जैसलमेर, जैसान कादरी गोपाल गौसेवा संस्थान गौशाला भागु का गांव (जैसलमेर) और डूंगराराम गर्ग सेवा संस्थान गोशाला भाखराणी का पंजीयन निरस्त कर दिया गया हैं।
कलेक्टर की जांच में 16 गोशाला फर्जी पाई गई
राज्य स्तरीय जांच के बाद जिला कलेक्टर के आदेश पर स्थानीय टीम ने 16 गोशाला की जांच की। इन गोशाला में भी न केवल पशुओं की देखरेख में लापरवाही बरती जा रही थी, बल्कि उनके स्वास्थ्य और पोषण की अवहेलना भी स्पष्ट रूप से देखी गई। गोशाला संचालकों द्वारा गौ सेवा के नाम पर जमकर धांधलियां की जा रही थी।
इस कारण सबका मालिक एक संस्थान कोहरियों का गांव खुईयाला, श्री हरिओम गोसेवा समिति रेवन्तसिंह की ढाणी (जैसलमेर), मेहर डोवलेपमेंट सोसायटी एवं गोशाला मेहरों की ढाणी (जैसलमेर), एम. एम. गोशाला संस्थान मेहरों की ढाणी (कुण्डा), अब्दुल खां गौ सेवा समिति डाबला (जैसलमेर), रिवडी गोशाला रिवड़ी (फतेहगढ़), रताबाबा गोशाला लाखा (देवा), ख्वाजा गरीब नवाज गोशाला विकास संस्थान शेखों का तला, 14 एसकेडी (नाचना), राशदी गोशाला छत्रैल, अदरिम गिरोडी गोशाला दक्षिणी छत्रैल, ए के वेलफेयर सोसायटी गोशाला चौधरिया, अकबर गोशाला जावंध जूनी, भारत माता संस्थान गोशाला सोजियों की ढाणी (चांधन), श्री पनोधरराय गौ सेवा समिति ग्राम चांधन (जैसलमेर), अलादीन गोशाला विकास संस्थान झाबरा (चांधन) और शोभा फकीर सेवा सनिति गोशाला कुण्डा नामक गोशाला को अनुदान आदि के लिए अपात्र घोषित कर दिया गया हैं।
4 गोशाला आईबी रिपोर्ट में अपात्र
इसी प्रकार गुप्तचर विभाग (आईबी) ने भी 4 गोशाला की जांच रिपोर्ट भेजी, जिसमें कई गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। इन अनियमितताओं में सरकारी धन का दुरुपयोग, पशुओं के नाम पर अनावश्यक खर्च और जाली दस्तावेजों का उपयोग शामिल है। आईबी की रिपोर्ट के आधार पर स्वर्ण नगरी गोशाला छतांगढ़ (जैसलमेर), रंगीला राजस्थान गोशाला संस्थान, छतांगढ़ (जैसलमेर), श्री चानणगढ़ गोशाला चानणगढ़ और सरवर गोशाला सेवा एवं विकास संस्थान डेढा नामक 4 गोशाला को भी अपात्र घोषित किया गया हैं। इस खुलासे के बाद गोपालन विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 12 गोशाला का पंजीयन निरस्त कर दिया और 20 गोशाला को अपात्र घोषित किया।
गोशालाओं की जांच करती टीम (फाइल)।
संयुक्त निदेशक व 6 कर्मचारी निलंबित
इस मामले में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद राज्य सरकार ने तत्कालीन संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग डॉ. अशोक कुमार सुथार और 6 पशु धन सहायकों को मिलीभगत में शामिल होने के आरोप में सस्पेंड किया गया था। विभागीय जांच जारी है और गोपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि अब मुख्यमंत्री को अवगत करवाकर प्रदेशभर में इस तरह के फर्जीवाड़े करने वालों की जांच करके कार्रवाई की जाएगी।
राज्य स्तरीय टीम ने किया था दौरा
मार्च-अप्रैल में राज्य स्तरीय 4 सदस्यों के डॉक्टरों की टीम ने गोशालाओं का दौरा किया था। तब गोशाला में एक भी पशु नहीं होना, साथ ही मौके पर गोशाला के लिए किसी भी तरह का निर्माण आदि नहीं पाया गया। इसके बाद कलेक्टर ने अप्रैल महीने में ही टीम बनाकर जांच की। जिसमे 16 अपात्र मिली। साल भर पहले 4 गोशालाओं को आईबी ने रिपोर्ट करके कलेक्टर को बताया कि ये कागजों में चल रही है।
सही रिपोर्ट नहीं भेजने पर गिरी थी गाज
फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद तत्कालीन संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग डॉ. अशोक कुमार सुथार और 6 पशु धन सहायकों को मिलीभगत में सस्पेंड किया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने सही रिपोर्ट नहीं भेजी और सभी गोशाला को सही साबित करके अनुदान दिलाया।
गोशाला में 100 गाय का है प्रावधान
जैसलमेर में 150 से ज्यादा पंजीकृत गोशाला है। एक गोशाला में कम से कम 100 गाय का प्रावधान है। 3 साल पहले तक यह 200 गाय का था। गोशाला को अब 9 महीने में अनुदान मिलता है, पहले हर 6 महीने में अनुदान का प्रावधान था। अब जांच के बाद अप्रैल से जुलाई और नवंबर से मार्च के दौरान 2 चरणों में अनुदान मिलता है। गोशाला में छप्पर, चारा-पानी की व्यवस्था, चारे रखने के स्टोर, छाया के लिए शेड के हिसाब से अनुदान मिलता हैं
प्रति गाय 40 रुपए प्रतिदिन अनुदान
गोशाला को प्रति गाय 40 रुपए प्रतिदिन और बछड़े का 20 रुपए प्रतिदिन अनुदान मिलता है। इस तरह एक रजिस्टर्ड गोशाला में यदि कम से कम 100 गाय है तो उस गोशाला को प्रतिदिन का 4000 रूपए अनुदान का मिलता है, जो कि प्रति महीना 1 लाख 20 हजार रूपए होता है।
Add Comment