सिंगापुर के बाद कतर एयरवेज की फ्लाइट टर्बुलेंस में फंसी:6 क्रू मेंबर समेत 12 घायल, विमान दोहा से डबलिन जा रहा था
दोहा
दोहा से डबलिन जा रही कतर एयरवेज की उड़ान QR017 रविवार को टर्बलेंस में फंस गई।
कतर एयरवेज के विमान में एयर टर्बुलेंस में फंसने का मामला सामने आया है। दोहा से डबलिन जा रही कतर एयरवेज की फ्लाइट QR017 रविवार 26 मई को टर्बलेंस में फंस गई। इस घटना में 6 क्रू मेंबर समेत 12 लोग घायल हो गए। विमान का टर्बुलेंस से सामना तुर्किये के ऊपर से उड़ान भरते वक्त हुआ।
कतर एयरवेज ने CNN को दिए बयान में कहा, ‘विमान सुरक्षित रूप से डबलिन में उतर गया। कुछ यात्रियों को मामूली रूप से चोटें आई हैं। उनका इलाज किया जा रहा है।’ इससे पहले 21 मई को सिंगापुर की फ्लाइट टर्बुलेंस में फंस गई थी। उसमें एक शख्स की मौत हो गई थी और 30 से ज्यादा घायल हो गए थे।
दोहा से डबलिन जा रहा विमान तुर्किये की हवाई सीमा में एयर टर्बुलेंस में फंस गया।
डबलिन एयरपोर्ट बोला- हम पूरा सहयोग कर रहे हैं
डबलिन एयरपोर्ट ने X पर बताया कि कतर एयरवेज की दोहा से आ रही फ्लाइट QR017 दोपहर एक बजे के पहले सुरक्षित लैंड कर गई। जैसे ही फ्लाइट ने लैंडिंग की, तुरंत इमरजेंसी सर्विस, पुलिस, फायर ब्रिगेड और रेस्क्यू टीम पहुंच गई थीं। तुर्किये के आसमान में फ्लाइट को टर्बुलेंस का सामना करना पड़ा था। 2 पैसेंजर्स और 6 क्रू मेंबर्स को चोटें आई थीं। डबलिन एयरपोर्ट टीम स्टाफ और यात्रियों का पूरा सहयोग कर रही है।
क्या होता है टर्बुलेंस?
विमान में टर्बुलेंस या हलचल का मतलब होता है- हवा के उस बहाव में बाधा पहुंचना, जो विमान को उड़ने में मदद करती है। ऐसा होने पर विमान हिलने लगता है और अनियमित वर्टिकल मोशन में चला जाता है यानी अपने नियमित रास्ते से हट जाता है। इसी को टर्बुलेंस कहते हैं। कई बार टर्बुलेंस से अचानक ही विमान ऊंचाई से कुछ फीट नीचे आने लगता है।
यही वजह है कि टर्बुलेंस की वजह से विमान में सवार यात्रियों को ऐसा लगता है, जैसे विमान गिरने वाला है। टर्बुलेंस में प्लेन का उड़ना कुछ हद तक वैसा ही है, जैसे-उबाड़-खाबड़ सड़क पर कार चलाना। कुछ टर्बुलेंस हल्के होते हैं, जबकि कुछ गंभीर होते हैं।
किसी भी प्लेन को स्थिर तौर पर उड़ने के लिए जरूरी है कि इसके विंग के ऊपर और नीचे से बहने वाली हवा नियमित हो। कई बार मौसम या अन्य कारणों से हवा के बहाव में अनियमितता आ जाती है, इससे एयर पॉकेट्स बन जाते हैं और इसी वजह से टर्बुलेंस होता है।
टर्बुलेंस तीव्रता के लिहाज से तीन तरह के होते हैं
- हल्के टर्बुलेंस: इसमें प्लेन 1 मीटर तक ऊपर-नीचे होता है। यात्रियों को पता भी नहीं चलता।
- मध्यम टर्बुलेंस: इसमें जहाज 3-6 मीटर तक ऊपर-नीचे होते हैं। इससे ड्रिंक गिर सकता है।
- गंभीर टर्बुलेंस: इसमें जहाज 30 मीटर तक ऊपर-नीचे होते हैं। सीट बेल्ट न लगाए रहने पर पैसेंजर उछलकर गिर सकते हैं।
क्या टर्बुलेंस की वजह से प्लेन क्रैश हो सकता है?
- आधुनिक टेक्नीक के बेहतर होने से टर्बुलेंस की वजह से प्लेन क्रैश होने की आशंका काफी कम हो गई है, लेकिन टर्बुलेंस से प्लेन क्रैश की आशंका रहती है। 1960 के दशक में दुनिया में हुए कुछ विमान हादसे टर्बुलेंस की वजह से ही हुए थे।
- 1994 में अमेरिका में US एयर फ्लाइट 1016 आंधी-तूफान की वजह से पैदा हुए टर्बुलेंस के कारण लैंडिंग के समय क्रैश हो गई थी। इस हादसे में 37 लोगों की मौत हो गई थी।
- 1999 में अमेरिकी एयरलाइन फ्लाइट 1420 आंधी-तूफान की वजह से पैदा टर्बुलेंस के बाद लैंडिंग के समय एयरपोर्ट पर रनवे से आगे निकलकर क्रैश हो गई थी। इस हादसे में विमान में सवार 145 में से 11 लोगों की मौत हुई थी।
- 2001 में वेक टर्बुलेंस की वजह से अमेरिकन एयरलाइंस की फ्लाइट 587 टेकऑफ के थोड़ी देर बाद क्रैश हो गई थी, जिससे इसमें सवार सभी 260 लोगों की मौत हो गई थी।
- आधुनिक प्लेन इस तरह बनाए जाते हैं कि वे हर तरह के टर्बुलेंस झेल सकें। पायलट को भी इससे निपटने की ट्रेनिंग दी जाती है।
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सिंगापुर एयरलाइंस का प्लेन टर्बुलेंस में फंसा, एक की मौत:30 घायल; झटके से 3 मिनट में 6 हजार फीट नीचे आया
सिंगापुर एयरलाइन्स की फ्लाइट 21 मई को म्यांमार के आसमान में एयर टर्बुलेंस में फंस गई। अचानक लगे झटकों से 73 साल के ब्रिटिश पैसेंजर की मौत हो गई। 30 घायल हो गए। फ्लाइट लंदन से सिंगापुर जा रही थी। सिंगापुर एयरलाइन्स की बोइंग 777-300ER फ्लाइट ने लंदन से भारतीय समय के मुताबिक देर रात 2:45 बजे उड़ान भरी थी।
टेकऑफ के 10 घंटे बाद फ्लाइट म्यांमार के एयरस्पेस में 37 हजार फीट पर खराब मौसम की वजह एयर टर्बुलेंस में फंस गई। इस दौरान कई झटके लगे। विमान 3 मिनट के अंदर 37 हजार फीट की ऊंचाई से 31 हजार फीट की ऊंचाई पर आ गया।
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