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ताजमहल में गंगाजल चढ़ाया, क्या सच में शिव मंदिर है:कोर्ट ने मंदिर होने की याचिका को खारिज किया था, जानिए कब-क्या हुआ

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ताजमहल में गंगाजल चढ़ाया, क्या सच में शिव मंदिर है:कोर्ट ने मंदिर होने की याचिका को खारिज किया था, जानिए कब-क्या हुआ

आगरा के ताजमहल पहुंचे दो युवकों ने मुख्य मकबरे पर ऊपर से गंगाजल चढ़ाया। दीवार पर ओम का स्टिकर भी चिपकाया। उन्होंने इसका वीडियो भी बनाया, जिसमें वे कहते हैं कि अब अंतिम पड़ाव पर पहुंच गए हैं। हिंदू महासभा का दावा है कि यह ताजमहल नहीं, तेजोमहालय शिव मंदिर है।

विवाद क्या है? कोर्ट का रुख क्या रहा? ASI और सरकार क्या मानती है? इस रिपोर्ट में पढ़िए पूरी हकीकत…

बड़ा सवाल: क्यों नहीं खोले जा सके ताजमहल के तहखाने के कमरे?
ताज के बंद दरवाजों को खोलने में एक नहीं कई अड़चनें हैं। पहली, वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा रखने वाली इमारत से छेड़छाड़ के लिए करोड़ों रुपए और हाईलेवल एक्सपर्ट्स की कई टीमें चाहिए होंगी। दूसरी वजह यह भी है कि ताजमहल वर्ल्ड हेरिटेज मॉन्यूमेंट है, इसलिए UNESCO भी इस मामले में दखल देगा।

सेंट्रल स्टडीज एंड हेरिटेज मैनेजमेंट रिसोर्सेज, पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट अहमदाबाद में ऑनरेरी डायरेक्टर देबाशीष नायक कहते हैं- ताजमहल वर्ल्ड हैरिटेज है, ऐसे में उसके ढांचे से छेड़छाड़ करने के लिए UNESCO से डिस्कस करना पड़ेगा। लॉजिक देना पड़ेगा। उसके बाद ही आप दरवाजे खोल सकते हैं।

जयपुर के राज परिवार की सदस्य दीया कुमारी ने कहा था- ताजमहल की जमीन हमारे पुरखों की
साल 2022 में ही ताजमहल को लेकर एक और विवाद सामने आया था। राजस्थान के राजसमंद से तब बीजेपी सांसद और जयपुर के राजघराने की दीया कुमारी ने ताजमहल की जमीन को अपने पुरखों का बताया था। उन्होंने दावा किया कि आज ताजमहल जिस जमीन पर खड़ा है, वो कभी उनके पूर्वजों की थी। अगर इसे साबित करने के लिए किसी भी तरह के दस्तावेज की भी जरूरत पड़ती है तो कोर्ट के ऑर्डर पर वो उसे सामने रखेंगी। उन्होंने दावा किया कि ये दस्तावेज बताते हैं कि ताजमहल पहले जयपुर के पूर्व राजपरिवार का एक पैलेस था। इस पर शाहजहां ने कब्जा कर लिया। उनका कहना था कि तब मुगलों की सत्ता थी, इसलिए इसका विरोध नहीं कर सके।

अब वो दो जवाब, जिससे स्पष्ट होता है कि ताजमहल मंदिर नहीं था

  1. 2015 में 6 वकीलों ने याचिका लगाई थी। जिसका आधार पीएन ओक द्वारा अपनी पुस्तक ‘ताज की सच्ची कहानी’ में दिए गए साक्ष्य थे। उन्होंने मांग की थी कि ताजमहल के तहखाने को खोला जाए और ताजमहल के हिंदू मूल के सबूत के लिए सभी कमरों की तलाशी ली जाए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ASI यानी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से जवाब मांगा था। जिला कोर्ट में ASI ने कहा था कि ताजमहल एक मकबरा है। यह मंदिर नहीं है। ASI ने साफ किया था कि याचिकाकर्ताओं की मांग का कोई आधार नहीं है। चूंकि, यह इस्लामिक इमारत है, इसलिए उनके पास इसमें पूजा या किसी भी तरह का धार्मिक अनुष्ठान करने का अधिकार नहीं है।
  2. इससे पहले साल 2015 में लोकसभा में संस्कृति मंत्रालय ने इस बात को साफ किया था कि ताजमहल में किसी भी मंदिर का कोई प्रमाण नहीं है। 2022 में भाजपा नेता की याचिका खारिज हो जाने के बाद कोर्ट में इससे संबंधित कोई मामला नहीं चल रहा है।

अब कहानी ताजमहल के बनने की
मुगल शासक शाहजहां की पत्नी मुमताज बहुत कमजोर हो गई थीं। 14वें बच्चे को जन्म देने से पहले मुमताज ने बादशाह से एक नहीं, बल्कि 2 वादे लिए। पहला, उनके जाने के बाद वो किसी और महिला से बच्चा नहीं पैदा करेंगे। दूसरा, मुमताज ने कहा, ‘मैंने सपने में एक बेहद खूबसूरत महल और बाग देखा है, जैसा इस दुनिया में कहीं नहीं है। आपसे गुजारिश है कि आप मेरी याद में वैसा ही एक महल बनवाएं।’ बच्चे को जन्म देते समय मुमताज की मौत हो गई।

ताजमहल की कहानी इन 6 स्लाइड से जानिए….

एक वक्त ऐसा भी हुआ था…

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ताजमहल में घुसकर 2 युवकों ने मकबरे पर गंगाजल चढ़ाया:ओम का स्टीकर चिपकाया, दावा-ये तेजोमहालय शिव मंदिर है

आगरा के ताजमहल में घुसकर दो युवकों ने मुख्य मकबरे पर ऊपर से जल चढ़ाया। दीवार पर ओम का स्टीकर भी चिपकाया। युवकों ने दावा किया कि वे बोतल में गंगाजल लेकर गए थे। उन्होंने इसका वीडियो भी बनाया, जिसमें वे कहते हैं कि अब अंतिम पड़ाव पर पहुंच गए हैं। हर-हर महादेव।

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