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सेहतनामा- करीबी की मौत हमें जल्दी बूढ़ा कर सकती है:स्ट्रेस से तेज होती एजिंग, बढ़ता इंफ्लेमेशन, कोशिकाएं जल्दी बुढ़ाने लगती हैं

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सेहतनामा- करीबी की मौत हमें जल्दी बूढ़ा कर सकती है:स्ट्रेस से तेज होती एजिंग, बढ़ता इंफ्लेमेशन, कोशिकाएं जल्दी बुढ़ाने लगती हैं

इस दुनिया से किसी अपने का रुखसत होना दुखदाई होता है। अगर वह आपका प्रिय रहा है तो उसकी मृत्यु से जीवन में एक रिक्तता पैदा होती है। ऐसी रिक्तता, जिसे कोई और नहीं भर सकता। घर का हर वह कोना, हर वह चीज, जिससे उस शख्स की यादें जुड़ी हुई हैं, टीस पैदा करती रहती हैं। जिस पर कोई मरहम काम नहीं आता है। यह सब इंसान को बेसुध और लाचार बना देता है, जिसका सीधा असर उसकी सेहत पर पड़ता है।

हाल ही में मेडिकल जर्नल JAMA नेटवर्क ओपन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, किसी अपने की मौत इंसान को जल्दी बूढ़ा बना देती है। यहां किसी अपने का मतलब पेरेंट, पार्टनर या बच्चों से है।

इस बात को विज्ञान भले ही आज कह रहा है, लेकिन हम सबने अपने आसपास ऐसा बहुत बार होते देखा है। मेरी अपनी यादों में चाचा की मौत के बाद दादा जी अचानक से कमजोर होने लगे। उन्हें चलने के लिए सहारे की जरूरत पड़ने लगी। उनकी नजर और सुनने की क्षमता कम होने लगी। वह तेजी से बूढ़े होने लगे।

स्टडी में पाया गया है कि किसी करीबी की मौत के दुख से हमारी कोशिकाएं, टिश्यूज और बॉडी ऑर्गन्स तेजी से बूढ़े होने लगते हैं। इनके कामकाज में गिरावट आने लगती है। वयस्क उम्र में ही बुढ़ापे की बीमारियां घेरने लगती हैं।

आज ‘सेहतनामा’ में जानेंगे कि किसी करीबी की मृत्यु का सेहत पर क्या असर होता है। साथ ही जानेंगे कि-

  • उम्र से पहले बूढ़े होने का क्या मतलब है?
  • इससे कैसे बचा जा सकता है?

करीबी के जाने से बढ़ता है तनाव

अमेरिकन संस्था ‘मेंटल हेल्थ अमेरिका’ के मुताबिक, किसी करीबी की मृत्यु से जो शोक और दुख पैदा होता है, उससे हमारा मन बहुत अशांत हो जाता है। इससे लाचारी और बेकारी का भाव जागता है। यह स्थिति तनाव और डिप्रेशन का कारण बनती है, जिससे कई तरह की मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। इससे शारीरिक सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है।

तनाव हमें तेजी से बूढ़ा करता है

लंदन स्थित रीजेनरेटिव इंस्टीट्यूट के संस्थापक तुंक तिरयाकी के मुताबिक तनाव बीमारियों के बड़े ग्लेशियर जैसा होता है। जब हमें तनाव घेरता है तो शरीर बेचैन हो उठता है। इसके परिणामस्वरूप हमारे शरीर से प्रतिक्रियाओं का एक झरना सा निकलने लगता है, जिसके कारण हम तेजी से बूढ़े होने लगते हैं।

हर रिश्ते पर पड़ता है अलग असर

जामा नेटवर्क में पब्लिश स्टडी में यह भी पता चला कि करीबी की मौत होने पर अलग-अलग रिश्ते में अलग प्रभाव पड़ता है। किसी बेटे की मौत उसके माता-पिता को जल्दी बूढ़ा बना देती है। किसी के लाइफ पार्टनर की मौत उसे अकेलेपन और तनाव के कारण जल्दी बूढ़ा बना देती है। हालांकि सबसे अधिक असर उन छोटे बच्चों पर पड़ता है, जिनके पेरेंट्स या सिबलिंग्स की मौत हो जाती है। ग्राफिक में देखिए।

तनाव कम होने से मुमकिन है सुधार

तुंक तिरयाकी के मुताबिक, तनाव हमारे शरीर की सबसे छोटी इकाई पर हमला करता है। यह सीधे कोशिकाओं को कमजोर करना शुरू करता है। इसलिए तनाव से हमारे शरीर को इतना अधिक नुकसान होता है।

हालांकि तिरयाकी के पास इसका उपाय भी है। वह लिखते हैं कि अगर हमारे शरीर के तेजी से बूढ़े होने का सबसे बड़ा कारण तनाव है तो इसे दूर करने से फिर से पहले जैसी स्थिति हो सकती है।

तनाव कम करने के लिए क्या करें

सबसे पहले तो हमें यह समझना होगा कि तनाव कोई मेंटल हेल्थ कंडीशन नहीं है, जैसे एंग्जाइटी और डिप्रेशन। इसलिए इसे दवाओं का सहारा लिए बिना लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी बदलाव करके भी ठीक किया जा सकता है। हम तनाव कम करने के लिए अपनी जिंदगी में क्या जरूरी बदलाव कर सकते हैं, ग्राफिक में देखिए।

ग्राफिक में दिए कुछ पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं।

नियमित एक्सरसाइज और योग करने से कम होता है तनाव

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, अपने शरीर को लगातार सक्रिय रखने से तनाव कम होता है और मूड अच्छा बना रहता है। नियमित एक्सरसाइज करने से तनाव, चिंता और अवसाद के लक्षणों में सुधार होता है। अगर अभी किसी तरह की फिजिकल एक्टिविटी नहीं कर रहे हैं तो पैदल चलने या साइकिलिंग जैसे हल्की-फुल्की एक्सरसाइज से शुरुआत करें।

ठीक इसी तरह नियमित रूप से योग करने से भी स्ट्रेस का लेवल घटता है। इससे हमारी शारीरिक सेहत में भी सुधार होता है।

स्क्रीन टाइम कम करें, भरपूर नींद लें

फोन या लैपटॉप के सामने अधिक समय बिताने से तनाव बढ़ता है। सबसे पहले अपना स्क्रीन टाइम कम करें। इसके अलावा कैफीन यानी कॉफी का सेवन कम करें। यह भी तनाव के स्तर को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है।

ये दोनों ही आदतें हमारी नींद में खलल डालती हैं। नींद पूरी न होने से भी तनाव में वृद्धि होती है। इसलिए इन दोनों आदतों को कम करने के साथ भरपूर नींद लेना भी जरूरी है।

तनाव दूर करने के लिए कभी शराब-सिगरेट का सहारा न लें। इनसे फौरी राहत महसूस हो सकती है, लेकिन लंबे समय में इसके गंभीर परिणाम सामने आते हैं। इससे तनाव में भी कोई कमी नहीं आती है।

संतुलित भोजन जरूरी है

साल 2012 में नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, हमारा भोजन हमारी शारीरिक और मानसिक सेहत को सीधे प्रभावित करता है। स्टडी में देखा गया कि जो लोग अल्ट्रा-प्रॉसेस्ड फूड और बहुत चीनी से भरपूर भोजन करते हैं, उनमें तनाव बढ़ने की संभावना अधिक होती है। जबकि संतुलित भोजन करने से तनाव का स्तर कम करने में मदद मिलती है। इसके लिए भोजन में निम्न चीजें जरूर शामिल करें।

  • सभी तरह की सब्जियां
  • हर रंग के मौसमी फल
  • बीन्स
  • सीड्स
  • दूध और दूध से बने अन्य प्रोडक्ट्स

परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं

साल 2019 में नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, दोस्त, परिवार और सोशल सपोर्ट हमें तनाव से निपटने में मदद कर सकते हैं। स्टडी में देखा गया है कि युवा वयस्कों को जब अकेला छोड़ दिया गया तो उनमें तनाव का स्तर बढ़ गया। जबकि अपने परिवार के साथ रहने वाले लोग ज्यादा खुश और तनावमुक्त थे।

अपनी रचनात्मकता को समय दें

संगीत सुनना या बजाना सबसे अच्छा स्ट्रेस बस्टर है। इससे दिमाग के साथ मांसपेशियों का तनाव भी कम होता है।

अगर संगीत में रुचि नहीं है तो अपनी पसंद के दूसरे शौक का आनंद ले सकते हैं। संभव है, किसी को बागवानी, सिलाई या स्केचिंग करने का शौक हो। कुल मिलाकर कुछ भी ऐसा प्रयास किया जा सकता है, जिससे हमारा ध्यान तनाव से हटकर हमारे मन के कामों पर केंद्रित हो जाए।

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