जिप्सम का रॉयल्टी ठेका नहीं होने से सरकार को हर माह एक करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान, छठीं बार जारी होगी निविदा
बीकानेर जिले में जिप्सम की रॉयल्टी वसूली का ठेका नहीं होने से सरकार को हर माह एक करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो रहा है। ठेका नहीं हुआ तो इस राशि में और बढ़ोतरी होगी। पांच बार जारी निविदा में एक भी आवेदन नहीं आए। अब छठी बार निविदा जारी करने की तैयारी है। ठेके की रिजर्व प्राइस 111 करोड़ रुपए से गिरकर 73 करोड़ रुपए पर आ गई है।
बीकानेर जिले में जिप्सम की रॉयल्टी वसूली का ठेका 31 मार्च को खत्म हो गया। उसके बाद से नया ठेका नहीं हुआ है। सरकार ने नया ठेका होने तक पूर्व में चल रहे ठेके की अवधि तीन माह के लिए बढ़ा दी थी जो 61 करोड़ का था। इस दौरान बार-बार निविदा जारी की गई, लेकिन एक भी आवेदन नहीं आया। इसका सबसे बड़ा कारण खान विभाग के अधिकारियों की ओर से तय की गई 111 करोड़ रुपए की रिजर्व प्राइस रही। यह राशि इतनी ज्यादा बढ़ा दी गई कि पांच बार निविदा जारी करने के बावजूद ठेका नहीं हुआ।
इस दौरान ठेके की राशि भी कम की जाती रही, लेकिन परिणाम नो बिड ही रहा। वर्तमान में खान विभाग रॉयल्टी वसूली कर रहा है, लेकिन मैनपॉवर और साधन-संसाधनों की कमी के कारण सरकार को हर माह एक करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो रहा है। इसके अलावा अवैध खनन और परिवहन पर भी निगरानी रखना मुश्किल हो गया है। अब छठी बार निविदा जारी करने की तैयारी है जिसके लिए खान विभाग के अधिकारियों ने रिजर्व प्राइस प्राइस घटाकर 73.13 करोड़ रुपए करने के प्रस्ताव निदेशालय को भेजे हैं।
जिले में जिप्सम की रॉयल्टी वसूली के ठेके से सरकार को हर माह करीब पांच करोड़ रुपए का राजस्व मिल रहा था। 31 मार्च को ठेका खत्म हुआ और अवधि तीन माह बढ़ा दी गई। उसके बाद एक जुलाई से रॉयल्टी वसूली का जिम्मा खान विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों पर आ गया। जुलाई माह में ही राजस्व चार करोड़ मिला जो एक करोड़ रुपए कम हो गया। अगस्त माह में अब तक केवल डेढ़ करोड़ रुपए की आय हुई है जो दो करोड़ रुपए तक ही पहुंचने की उम्मीद है। आशंका है कि ठेका नहीं हुआ तो नुकसान में इजाफा होगा।
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