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क्या इस वजह से खुदकुशी जैसे कदम उठा रहे हैं अग्निवीर? मोबाइल फोन और हथियार का क्या है कनेक्श

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क्या इस वजह से खुदकुशी जैसे कदम उठा रहे हैं अग्निवीर? मोबाइल फोन और हथियार का क्या है कनेक्शन?

सेना के वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि अग्निवीरों के आत्महत्या के मामलों पर वे गंभीरता से नजर रख रहे हैं। सभी मामलों में मौत के कारणों का पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि ज्यादातर मामलों में जो बातें सामने आई हैं, उनमें वे मानसिक तौर पर परेशान थे। आत्महत्या की वजह ऑपरेशनल प्रॉब्लम्स नहीं थीं, बल्कि उनकी निजी समस्याएं रही हैं।

सेना मे भर्ती के लिए बनाई गई अग्निपथ स्कीम पर मचा विवाद सड़क से लेकर संसद तक लगातार उठ चुका है। जैसे ही यह मुद्दा थोड़ा शांत होता है, तो किसी न किसी अग्निवीर की मौत खबर फिर इस मुद्दे को ज्वलंत बना देती है और इस पर सियासत शुरू हो जाती है। जून 2022 में अग्निपथ स्कीम भारतीय सेनाओं में शुरू हुई थी। एक साल से लेकर अभी तक तकरीबन 20 अग्निवीरों की मौत हो चुकी है, जिनमें से नौ से ज्यादा मामले सुसाइड और संदिग्ध हालात में मौत के हैं। सेना की जांच-पड़ताल में जो बातें सामने आई हैं, उनमें खुदकुशी के मामलों की वजह ऑपरेशनल प्रॉब्लम्स नहीं हैं, बल्कि उनकी निजी समस्याएं हैं। सेना के वरिष्ठ अफसरों का कहना है कि वे अग्निवीरों की खुदकुशी के मामलों पर गंभीरता से नजर रख रहे हैं और इसके लिए सेना ने कुछ कड़े कदम भी उठाए हैं। 

बढ़ रहे अग्निवीरों के सुसाइड के मामले
पिछले महीने 17 जुलाई को हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के रहने वाले अग्निवीर निखिल डडवाल ने गोली मारकर खुदकुशी कर ली। 23 वर्षीय अग्निवीर निखिल डडवाल की अखनूर के टांडा में तैनाती थी। निखिल पौने दो साल पहले अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हुआ था और उसकी पहली तैनाती बीकानेर में हुई थी। वह रक्षाबंधन पर 15 दिनों के लिए घर आने वाला था। तकरीबन तीन माह पहले ही उसकी तैनाती अखनूर में हुई थी। इससे पहले 2-3 जुलाई को आगरा एयरफोर्स स्टेशन में 22 साल के अग्रिवीर श्रीकांत कुमार चौधरी ने खुद को गोली मारकर सुसाइड कर लिया था। श्रीकांत ने दिसंबर 2022 में बतौर अग्निवीर एयरफोर्स जॉइन की थी और लगभग 6 महीने पहले ही उसकी पोस्टिंग आगरा एयरफोर्स स्टेशन में हुई थी। श्रीकांत 3 जून को छुट्टी लेकर घर पहुंचे थे और 10 दिन की छुट्टी के बाद 13 जून को आगरा गए थे। 

तकलीफों और जरूरतों का बराबर ख्याल रखती है सेना
सेना के वरिष्ठ सूत्र बताया कि अग्निवीरों के आत्महत्या के मामलों पर वे गंभीरता से नजर रख रहे हैं। सभी मामलों में मौत के कारणों का पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि ज्यादातर मामलों में जो बातें सामने आई हैं, उनमें वे मानसिक तौर पर परेशान थे। आत्महत्या की वजह ऑपरेशनल प्रॉब्लम्स नहीं थीं, बल्कि उनकी निजी समस्याएं रही हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सेना की जिस भी बटालियन या यूनिट में वे काम कर रहे हैं, वहां उनके साथ अच्छा व्यवहार होता है। उनकी तकलीफों और जरूरतों का बराबर ख्याल रखा जाता है। बटालियन में सीओ के स्तर पर लगातार अग्निवीरों को लेकर रिपोर्ट्स मांगी जाती हैं और उनका फीडबैक लिया जाता है। हर अग्निवीर का पर्सनल रिकॉर्ड रखा जाता है, जिसमें उसके आचरण, व्यवहार, अनुशासन से संबंधित जानकारियां होती हैं। 

पहले से ज्यादा आत्मविश्वासी और अनुशासित हुए अग्निवीर
सेना के वरिष्ठ सूत्र का कहना है कि अग्निवीरों की खुदकुशी के मामलों में कुछ बातें सामने आई हैं। अपने वर्क एरिया में उनका व्यवहार सभी से अच्छा था। इसमें किसी को कोई शिकायत नहीं थी। लेकिन इनमें आत्महत्या की वजह निजी समस्याएं थीं। उन्होंने बताया कि यह आरोप बिल्कुल गलत हैं कि अग्निवीरों को पर्याप्त ट्रेनिंग मिल पा रही है? बल्कि उन्हें मॉर्डन हथियारों और इक्विपमेंट्स पर ट्रेनिंग दी जा रही है। उन्होंने बताया कि यह आरोप भी गलत है कि अग्निवीर किसी दबाव में काम कर रहे हैं? सूत्र ने बताया कि अग्निवीरों पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं है। उन्होंने खुद कई अग्निवीरों से बात की है, लेकिन किसी ने कोई शिकायत नहीं की है। यहा तक कि निजी बातचीत में कई अग्निवीरों ने यह बताया कि उनका सेना में आने का जूनुन पूरा हो गया। वे पहले से ज्यादा आत्मविश्वासी और अनुशासित हो गए हैं। कुछ अग्निवीरों ने बताया कि उनमें से कुछ इग्नू के जरिए से ग्रेजुएशन भी कर रहे हैं।  

गर्ल फ्रैंड्स से विवाद प्रमुख वजह
हालांकि सेना के वरिष्ठ सूत्र ने इस बात पर चिंता जाहिर करते हुए कि अग्निवीरों के आत्महत्या के मामलों में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है कि उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठाने से पहले अपने नजदीकियों से बात की थी। इनमें कुछ मामले गर्ल फ्रैंड्स से विवाद के भी सामने आए हैं। जिनमें वे बातचीत या बहस करते-करते हुए किसी बात पर अचानक उत्तेजित हो गए और आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर हो गए। बता दें कि अग्निपथ योजना की प्रमुख शर्त है कि अग्निवीरों को सेवा के दौरान शादी करने की अनुमति नहीं है। ड्यूटी ज्वॉइन करते ही वे अपने घर, दोस्तों और गर्लफ्रैंड्स से दूर हो जाते हैं। इस दौरान उनके ब्रैकअप जैसे इश्यूज भी होते हैं और भावावेश में आकर आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं। उन्होंने बताया कि जब कोई अग्निवीर ऐसा कदम उठाता है, जो उन्हें भी गहरा दुख होता है। बाहर इसका संदेश अच्छा नहीं जाता। परिवार को जो परेशानी होती है, वह अलग है। 

मोबाइल फोन और हथियार का कॉम्बिनेशन घातक
सूत्र ने बताया कि ज्यादातर खुदकुशी के मामले ड्यूटी के दौरान हुए हैं। दिन या देर रात को जब वे ड्यूटी पर अकेले होते हैं, तो वे चुपचाप अपना मोबाइल फोन ले जाते हैं। ड्यूटी में सख्त नियम है कि इस दौरान वे साथ में मोबाइल फोन लेकर नहीं जाएंगे, लेकिन बावजूद वे चोरी-छुपे ले जाते हैं। देर रात बातचीत करते हैं और ड्यूटी के दौरान उनके पास हथियार होता है। गर्लफ्रैंड से किसी बात पर झगड़ा-बहस हुई और गुस्से में आकर खुदकुशी जैसा कदम उठा लिया। उन्होंने बताया कि इस तरह के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब अतिरिक्त चौकसी बरती जा रही है। कुछ यूनिट्स में ट्रायल के तौर पर ड्यूटी के दौरान मोबाइल फोन साथ न ले जाने के कड़े नियम लागू किए गए हैं, खासतौर पर तब जब उनके पास हथियार हो। उन पर कड़ी निगरानी भी की जा रही है। उन्हें जो फीडबैक मिला है, उसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि जल्द ही अग्निवीरों की ड्यूटी वाले स्थानों पर कड़ाई से लागू किया जाएगा।   

पांच सालों में 819 जवानों ने आत्महत्या की
हालांकि सेना में आत्महत्या या खुदकुशी के मामले नए नहीं हैं। पिछले साल 2023 में तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने राज्यसभा को सूचित किया था कि पिछले पांच सालों में सेना में कुल 819 जवानों ने आत्महत्या की थी। इनमें सेना में 642, नौसेना में 29 और वायु सेना में 148 जवानों ने खुदकुशी की। इसके अलावा अगस्त 2023 में गृह मंत्रालय ने संसद को बताया था कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के 1,532 कर्मियों, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), असम राइफल्स और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) शामिल हैं, उनमें 2011 जवानों ने आत्महत्या की। इन सभी बलों में कुल मिलाकर लगभग 900,000 कर्मी शामिल हैं।  

हर यूनिट में हो पंडित, मौलवी, ग्रंथी या पादरी की तैनाती
सूत्रों ने बताया कि जवानों में तनाव और मनोवैज्ञानिक समस्याओं को दूर करने के लिए सेना ने सैनिकों और उनके परिवारों के मानसिक स्वास्थ्य का आकलन करने के लिए रक्षा मनोवैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान (डीआईपीआर) के सहयोग से अगस्त 2023 में एक अध्ययन शुरू किया था। इसके लिए सेना ने अगस्त 2023 में एक एडवाइजरी जारी करके कहा था कि हर यूनिट में अधिकारियों और धार्मिक शिक्षकों– कम से कम एक पंडित, मौलवी, ग्रंथी या पादरी को तैनात किया जाए और चयनित अन्य रैंकों को काउंसलिंग की बारीकियों को लेकर ट्रेनिंग दी जाए। सूत्रों ने बताया कि यूनिट साइकोलॉजिकल काउंसलर कोर्स जूनियर कमीशंड ऑफिसर्स और नॉन-कमीशंड ऑफिसर्स के लिए 12 हफ्तों का होता है। इसके अलावा भारतीय सेना ने सभी रैंकों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए सभी प्रमुख सैन्य स्टेशनों में सिविलयन काउंसलर तैनात करने की भी बात कही थी।

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