उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण मजबूत शैक्षिक अंतर्संबंधों का सशक्त मंच-कन्हैयालाल बेरवाल, चांसलर
जयपुर,15 जून, हायर एजुकेशन एक्सप्रेस राजस्थान के साथ उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण विशेषज्ञ वार्ता में अपने विचार रखते हुए पूर्व सदस्य, राजस्थान लोक सेवा आयोग एवं पूर्व महानिदेशक अम्बेडकर फाउंडेशन राजस्थान श्री कन्हैया लाल बेरवाल (सेवानिवृत्त आईपीएस) एवं माननीय कुलाधिपति डॉ. हरिसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर (म.प्र.) ने कहा कि देश की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के अनुरूप भविष्य में भारत की उन्नति और शैक्षणिक विकास के लिए उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण किया जाना अत्यंत आवश्यक हैं। इससे न केवल उच्च शिक्षा के स्तर में सुधार होगा बल्कि भारतीय ज्ञान परम्परा के वैश्विक संदर्भ में विद्यार्थी और भी सशक्त होंगे और उच्च शिक्षा के अंतराष्ट्रीय मंच पर श्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे हाल ही में शिक्षा मंत्रालय द्वारा मुंबई में पांच अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय को भारत में अपने कैंपस से स्थापित करने की अनुमति और आशय पत्र जारी जाने पर भी उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान -परम्परा की तरफ़ विभिन्न विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में विशेष ज़ोर दिया जा रहा है अतः विश्व में भी भारतीय ज्ञान परम्परा भारतीय मनीषियों की शोध व ज्ञान तथा यहाँ की संस्कृति विदेशों में फैलेगी। यह शिक्षा, अनुसंधान, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देती है, और वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने में मदद करती है। उच्च शिक्षा, जनसंपर्क एवं लोक प्रशासन के विख्यात विशेषज्ञ हायर एजुकेशन एडवाइजर और एक्सपर्ट विक्रम राठौड़ ने अपने विचार रखते हुए कहा कि भारत में ऐसे नामचीन वैश्विक ख्यातिप्राप्त विश्वविद्यालयों द्वारा भारत में अपने अंतर्राष्ट्रीय परिसरो की स्थापना भारत की वैश्विक शैक्षणिक साझेदारी की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। यह भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, अन्तर्निहित अवसरों और अपार संभावनाओं का परिणाम है। शिक्षा किसी राष्ट्र के भविष्य को आकार देने, व्यक्तियों को समाज में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और मूल्यों से लैस करने में शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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