Budget 2023-24: बजट से पहले फटाफट कर लीजिए खरीदारी, महंगी होने वाली हैं ये 35 चीजें
देश में उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई चीजों पर इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ा सकती है। एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में इसकी घोषणा हो सकती है। पिछले साल भी सरकार ने कई चीजों पर आयात शुल्क बढ़ाया था। सरकार का मानना है कि इससे उसके आत्मनिर्भर भारत मिशन को बल मिलेगा।
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) एक फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 का आम बजट पेश करेंगी। इसमें कई तरह के सामान पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की घोषणा की जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक 35 से अधिक चीजों के आयात पर टैक्स बढ़ाया जा सकता है। विभिन्न मंत्रालयों से मिले इनपुट के आधार पर सरकार ने ऐसे सामान की एक लिस्ट तैयार कर ली है। इनमें प्राइवेट जेट्स, हेलीकॉप्टर्स, महंगे इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स, प्लास्टिक का सामान, ज्वेलरी, हाई-ग्लॉस पेपर और विटामिन्स शामिल हैं। आयात कम करने और देश में इन चीजों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इन पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाया जा रहा है। सरकार का मानना है कि इससे उसके आत्मनिर्भर भारत मिशन को बल मिलेगा। पिछले साल भी सरकार ने बजट में कई चीजों पर आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा की थी।
दिसंबर में कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री ने विभिन्न मंत्रालयों से ऐसी सामान की लिस्ट बनाने को कहना था जो जरूरी चीजों में नहीं आते हैं। सरकार इस लिस्ट में शामिल सामान पर टैरिफ बढ़ाकर इनके आयात को कम करना चाहती है। देश का करेंट अकाउंट का घाटा यानी CAD सितंबर में समाप्त तिमाीह में नौ साल के हाई पर पहुंच गया है। सितंबर तिमाही में यह जीडीपी का 4.4 फीसदी था जो उससे पिछली तिमाही में 2.2 फीसदी था। ग्लोबल लेवल पर कई तरह के जिंस की कीमतों में गिरावट से स्थिति में सीएडी को लेकर कुछ चिंताएं कम हुई हैं लेकिन सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है।
सरकार की लॉन्ग टर्म योजना
आईएफएम (IMF) ने चेतावनी दी है कि इस साल दुनिया के एक तिहाई देश मंदी की चपेट में आ सकते हैं। इसमें अमेरिका के साथ-साथ यूरोप के कई देश शामिल हैं। इस मंदी का असर भारत पर भी पड़ता सकता है क्योंकि विकसित देशों में मंदी से भारत के एक्सपोर्ट पर दबाव रहने की आशंका है। जानकारों का कहना है कि अगले वित्त वर्ष में करेंट अकाउंट डेफिसिट जीडीपी का 3.2-3.4 फीसदी रह सकता है। ICRA की चीफ इकनॉमिस्ट आदिति नायर के मुताबिक एक्सपोर्ट की तुलना में लोकल डिमांड ज्यादा रहेगी। इसलिए हर महीने मर्केंडाइज ट्रेड डेफिसिट 25 अरब डॉलर रह सकता है जो जीडीपी का 3.2-3.4 फीसदी बैठता है।सूत्रों का कहना है कि इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाना सरकार की लॉन्ग टर्म योजना का हिस्सा है। सरकार स्थानीय स्तर पर इन चीजों के उत्पादन को बढ़ावा देना चाहती है। सरकार ने 2014 में मेक इन इंडिया प्रोग्राम शुरू किया था और उसके बाद से कई चीजों के इंपोर्ट पर टैक्स बढ़ाया गया है। पिछले साल के बजट में इमिटेशन ज्वेलरी, छातों और ईयरफोन पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई गई थी। उससे पहले सोने पर आयात शुल्क बढ़ाया गया था।
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