तबादलों पर किरोड़ीलाल और दिलावर में टकराव:कृषि मंत्री की मंजूरी से हुए इंजीनियरों के ट्रांसफर पर जॉइनिंग रोकी
जयपुर
तबादलों को लेकर भजनलाल सरकार के दो मंत्रियों और विभागों के बीच टकराव शुरू हो गया है। कृषि विभाग ने पिछले दिनों इंजीनियरों के तबादले कर उन्हें जिला परिषदों और पंचायत समितियों में पोस्टिंग दी।
कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा की मंजूरी से किए गए तबादलों पर अब मदन दिलावर के पंचायती राज विभाग ने कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए रोक लगा दी है। इसे कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा और पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर के बीच विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है।
ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग ने कृषि विभाग के आदेशों से किए गए इंजीनियरों के तबादलों को मानने से ही इनकार कर दिया। पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभाग ने सभी जिला परिषद सीईओ को लेटर लिखकर हाल ही में कृषि विभाग से जिला परिषदों और पंचायत समितियों में लगाए गए इंजीनियरों को जॉइन नहीं करवाने और उन्हें तत्काल मूल विभाग में भेजने के आदेश दिए हैं।
आदेश नहीं मानने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है। इस मुद्दे पर कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा और मदन दिलावर ने कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन इस पूरे प्रकरण से टकराव सामने आ गया है।
ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग को किरोड़ी-दिलावर के बीच बांटा
किरोड़ीलाल मीणा के पास कृषि, उद्यानिकी, ग्रामीण विकास, आपदा राहत विभाग है। मदन दिलावर के पास स्कूल शिक्षा, पंचायती राज विभाग है। ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग अब तक एक ही मंत्री के पास रहते आए हैं। इस सरकार में इस विभाग को दो मंत्रियों में बांट दिया है। यह बंटवारा ही अब टकराव का कारण बन गया है।
पंचायती राज विभाग को कृषि सहित पांच विभागों के अधिकार पहले से दिए हुए हैं। कृषि विभाग ने मंत्री की मंजूरी के बाद पिछले दिनों इंजीनियरों के तबादले करके जिला परिषदों, पंचायत समितियों में लगाया। अब पंचायती राज विभाग के सचिव और आयुक्त ने लेटर लिखकर आपत्ति जता दी। पहले की सरकारों में भी इस मुद्दे पर विवाद होता रहा है।
पंचायती राज विभाग की ओर से लिखा गया लेटर।
आयुक्त ने लिखा- कृषि विभाग ग्रामीण विकास के पदों पर पोस्टिंग नहीं कर सकता
पंचायती राज आयुक्त ने जिला परिषदों के सीईओ को लेटर जारी कर लिखा है- कृषि विभाग ने उनके विभाग के इंजीनियरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग बिना पंचायती राज विभाग की मंजूरी से जिला परिषदों, पंचायत समितियों में कर दिया। कृषि विभाग का इंजीनियरों के तबादले बिना पंचायती विभाग की अनुमति से करना उचित नहीं है। कृषि विभाग पंचायती राज विभाग के पदों पर पोस्टिंग करने के लिए सक्षम प्राधिकारी नहीं है।
बिना अनुमति तबादलों को विभाग में सक्षम स्तर पर गंभीरता से लिया
आयुक्त ने लिखा- पहले भी समय-समय पर कृषि विभाग को बिना विभाग की अनुमति या सहमति के ट्रांसफर, पोस्टिंग नहीं करने के लिए लेटर लिखे गए थे। इसके बावजूद कृषि विभाग, कृषि आयुक्तालय उनके विभाग के इंजीनियरों के ट्रांसफर पोस्टिंग बिना मंजूरी कर रहा है। इसे विभाग में सक्षम स्तर पर गंभीरता से लिया गया है।
18 मार्च 2021 को भी लेटर जारी हुआ था, जिसमें कृषि विभाग से जारी तबादलों में चार्ज नहीं देने के निर्देश दिए थे। विभाग के ध्यान में लाया गया है कि पहले के निर्देशों के बाद भी कई जिला परिषदों और पंचायत समितियों में चार्ज दिलवाकर जॉइन करवाया जा रहा है।
कृषि विभाग से तबादला करने वालों को जॉइन नहीं करवाने के आदेश
ग्रामीण विकास विभाग ने सभी जिला परिषद सीईओ को लेटर जारी कर कृषि विभाग से जारी किए गए तबादला आदेशों को नहीं मानने को कहा है। आदेशों में लिखा है कि कृषि विभाग ने ग्रामीण विकास के पदों पर जिन्हें पोस्टिंग दी है, उन्हें जॉइन नहीं करवाया जाए और जिन्होंने जॉइन कर लिया है, उन्हें तत्काल रिलीव कर मूल विभाग में भेज दिया जाए। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने सवाई माधोपुर से ऑनलाइन प्री बजट मीटिंग जॉइन कर काम करते रहने के संकेत दिए थे।
किरोड़ी कई दिनों से नाराज चल रहे, नाराजगी के पीछे विभाग भी बड़ी वजह
कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा कई दिनों से नाराज चल रहे हैं। किरोड़ी ने लोकसभा चुनावों की आचार संहिता हटने के बाद सचिवालय और कृषि भवन में कोई बैठक नहीं ली थी। वे तब से दफ्तर नहीं आ रहे थे।
किरोड़ी ने दौसा सीट नहीं जीतने पर इस्तीफे की घोषणा की थी। पिछले दिनों उन्होंने मंत्री के तौर पर काम करते रहने के संकेत दिए थे, हालांकि इस्तीफे पर खुलकर कुछ नहीं कहा था।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार किरोड़ीलाल मीणा उन्हें दिए गए विभागों को लेकर नाराज हैं। उन्हें ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग टुकड़े करके दिया है। पंचायतीराज विभाग मदन दिलावर के पास है, ग्रामीण विकास किरोड़ी के पास है।
ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग का स्ट्रक्चर ऐसा है कि इसे दो मंत्रियों के बीच बांटने से टकराव होना स्वाभाविक है। सियासी हलकों में यह भी माना जा रहा है कि उनके राजनीतिक कद के हिसाब से वे ज्यादा अधिकार और पद चाह रहे थे। वो नहीं मिला है। आगे अब टकराव और बढ़ने के आसार बनते दिख रहे हैं।
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