मौसम विभाग का अनुमान- मानसून सामान्य से बेहतर रहेगा:राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत 20 राज्यों में अच्छी बारिश होगी, ओडिशा में कम बरसात
नई दिल्ली
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने सोमवार को बताया कि इस बार जून से सितंबर तक मानसून सामान्य से बेहतर रहेगा। मौसम विभाग (IMD) 104 से 110 फीसदी के बीच बारिश को सामान्य से बेहतर मानता है। यह फसलों के लिए अच्छा संकेत है।
IMD ने बताया कि 2024 में 106% यानी 87 सेंटीमीटर बारिश हो सकती है। 4 महीने के मानसून सीजन के लिए लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) 868.6 मिलीमीटर यानी 86.86 सेंटीमीटर होता है। यानी मानसून सीजन में कुल इतनी बारिश होनी चाहिए।
इससे पहले 9 मार्च को प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट ने सामान्य मानसून का अनुमान जारी किया था। यानी जून से सितंबर तक 4 महीने में 96 से 104% के बीच बारिश हो सकती है।
भारत में आमतौर पर मानसून 1 जून के आसपास केरल के रास्ते आता है। 4 महीने की बरसात के बाद यानी सितंबर के अंत में राजस्थान के रास्ते इसकी वापसी होती है।
25 राज्यों में सामान्य से ज्यादा बारिश का अनुमान: केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र , गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, प.बंगाल, सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पुड्डुचेरी, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षदीप, दादरा और नगर हवेली, दमन-दीव।
4 राज्यों में सामान्य बारिश का अनुमान: छत्तीसगढ़, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख।
6 राज्यों में सामान्य से कम बारिश का अनुमान: ओडिशा, असम, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा।
मौसम से जुड़ी दो जरूरी बातें…
1. मौसम के प्रभाव के चलते शुरुआत (जून-जुलाई) में मानसून की रफ्तार धीमी रहेगी, लेकिन दूसरे फेज (अगस्त-सितंबर) में इसकी भरपाई हो जाएगी। IMD ने बताया कि मानसून को लेकर अगली संभावना मई के आखिरी सप्ताह में जारी की जाएगी।
2. वैज्ञानिकों के मुताबिक भारी बारिश वाले दिनों की संख्या घट रही है, जबकि बहुत तेज बारिश वाले दिनों यानी कम समय में बहुत ज्यादा बारिश वाले दिनों की संख्या बढ़ रही है। इसकी वजह बार-बार आने वाला सूखा और बाढ़ है।
इकोनॉमी के लिए अच्छी बारिश जरूरी
देश में सालभर में होने वाली कुल बारिश का 70% पानी मानसून के दौरान ही बरसता है। देश में 70% से 80% किसान फसलों की सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर हैं। यानी मानसून के अच्छे या खराब रहने से पैदावार पर सीधा असर पड़ता है। अगर मानसून खराब हो तो फसल कम पैदा होती है, जिससे महंगाई बढ़ सकती है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में एग्रीकल्चर सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 20% है। वहीं, देश की आधी आबादी को कृषि क्षेत्र ही रोजगार देता है। अच्छी बारिश का मतलब है कि खेती से जुड़ी आबादी को फेस्टिव सीजन से पहले अच्छी आमदनी हो सकती है। इससे उनकी खर्च करने की क्षमता बढ़ती है, जो इकोनॉमी को मजबूती देती है।
IMD और स्काईमेट का पिछले 5 साल में मानसून का अनुमान कितना सही रहा
2019 से 2023 के बीच 5 सालों में सिर्फ एक बार स्काईमेट का अनुमान सही साबित हुआ। 2023 में स्काईमेट ने 94% बारिश का अनुमान लगाया था और उस साल इतनी ही बारिश हुई। IMD का अनुमान 2% कम रहा। 2021 में IMD ने 98% का अनुमान लगाया और बारिश लगभग बराबर (99%) हुई। वहीं 2019, 2020 और 2022 में स्काईमेट और IMD दोनों का पूर्वानुमान एक्चुअल बारिश से कम या ज्यादा ही रहा।
पिछले साल मानसून में 48 मिमी कम बारिश हुई थी
पिछले साल IMD ने 96% बारिश का अनुमान जताया था। हालांकि, उस दौरान अनुमान से 2% कम यानी 94% ही बारिश हुई। 2023 में मानसून की विदाई 25 सितंबर से शुरू हुई और 30 सितंबर तक पूरे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली के साथ जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान से विदा हो गया।
IMD के मुताबिक, 2023 में 820 मिमी बारिश हुई। सामान्य रूप से 868.6 मिमी बारिश होती है यानी पिछले साल 48 मिमी कम बारिश हुई। इससे पहले 4 साल लगातार सामान्य या अधिक बारिश वाला मानसून रहा था।
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