IAS अफसरों की कमी से जूझ रही राजस्थान सरकार:सबसे ज्यादा आईएएस देने के बाद भी अफसर पाने के मामले में सबसे पीछे
राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी और सरकारी तंत्र में आईएएस अफसरों का पर्याप्त संख्या में न होना एक बड़ी समस्या बन गया है। इसके समाधान के लिए राज्य सरकार ने हाल ही केन्द्र सरकार के समक्ष अपना पक्ष भी रखा है, लेकिन केन्द्र ने कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है। इन दिनों राजस्थान में नए जिलों के गठन की कवायद भी चल रही है। करीब 60 उपखंड मुख्यालयों के प्रस्ताव सामने आए हैं, इनमें से अगर 10 भी नए जिले बनाए गए तो लगभग 30 आईएएस अफसरों की और जरूरत पड़ेगी।
देश में क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ा राज्य है। आबादी की दृष्टि से देश में सातवें नम्बर का सबसे बड़ा राज्य है। यहां की विषम भौगोलिक परिस्थितयों (61 प्रतिशत इलाका रेगिस्तानी) के चलते दूर-दराज के इलाकों में प्रशासनिक तंत्र को चलाना बहुत मुश्किल है। यह बात कई बार केन्द्र के सामने स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उठा चुके हैं। गहलोत अपने पिछले दोनों कार्यकाल में भी केन्द्र के साथ विभिन्न मंचों पर इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। दो कार्यकाल में बतौर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी इस मुद्दे को उठाया था। राज्य में राजे और गहलोत ही कार्मिक विभाग के मंत्री भी रहते आए हैं।
अभी सप्ताह भर पहले ही दिल्ली में विभिन्न राज्यों के कार्मिक विभागों के सचिवों की बैठक भी हुई हैं। इसमें कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव हेमंत गेरा ने केन्द्र के समक्ष राजस्थान का पक्ष रखा है। उन्होंने प्रशासनिक परेशानियों को विस्तार से केन्द्र के समक्ष रखा है। हालांकि केन्द्र ने उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया है।
हालात यह है कि आईएएस के पद राजस्थान के लिए 313 स्वीकृत हैं। इनके एवज में 251 ही काम कर रहे हैं। इनमें लगभग 30 अफसर तो आरएएस या अन्य राज्य सेवाओं से पदोन्नत (प्रमोटी) अफसर हैं। फिर सीधे यूपीएससी द्वारा चयनित करीब 29 आईएएस अफसर केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति, विदेश में अध्ययनरत, अन्य गृह राज्य की सेवा में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं या फिर पांच वर्षीय अवकाश पर हैं। जबकि राजस्थान में क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से लगभग 365 आईएएस अफसरों का कैडर निर्धारित होना चाहिए। देश की शीर्षस्थ सेवा के पदों के आवंटन में राजस्थान ना जाने क्यों पिछड़ गया, जबकि देश में जब यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग-दिल्ली) जब आईएएस का परिणाम घोषित करती है, तब सर्वाधिक आईएएस के चयन के संदर्भ में उत्तरप्रदेश के बाद सर्वाधिक अफसर राजस्थान से ही चयनित होते हैं।
आईएएस अफसरों की कमी के चलते उन पर कार्यभार बहुत अधिक है। कई अफसरों को एक से अधिक पद भी सम्भालने पड़ रहे हैं । इसका असर सरकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग, समय पर पूरा करने, बेहतर प्रदर्शन पर भी पड़ता है। जनता को सरकारी तन्त्र का लाभ पूरा नहीं मिल पाता है।
क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से आईएएस के पदों के हालात
हरियाणा में महज एक करोड़ लोगों पर 77 आईएएस के पद आवंटित हैं। पंजाब में भी 77 पद आवंटित हैं। मध्यप्रदेश में 52 और तमिलनाड़ू में 49, छत्तीसगढ़ में 60 जबकि राजस्थान में केवल 39 पद आवंटित है। इसी तरह देश के जिन तीन राज्यों में तय काडर से 100 पदों से ज्यादा की कमी है, उनमें राजस्थान तीसरे स्थान पर है। उत्तरप्रदेश में 208, बिहार में 123 और राजस्थान में 109 अफसरों की कमी मानी जाती है। क्षेत्रफल के हिसाब से देखा जाए तो जहां अन्य राज्यों में एक आईएएस को लगभग 200 से 215 वर्गकिलोमीटर का इलाका संभालना होता है, वहीं राजस्थान में एक आईएएस अफसर के जिम्मे अन्य राज्यों से करीब 5 गुणा ज्यादा 1090 वर्गकिलोमीटर इलाका होता है। ऐसे में प्रशासनिक मशीनरी कितनी भी योग्य हो, उसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती ही है।
सांसदों और सरकारों की भूमिका
राजस्थान में गत दो दशक को देखा जाए तो 2003 से 2008 के बीच राज्य में भाजपा और केन्द्र में कांग्रेस की सरकारें थीं। उसके बाद 2008 से 2013 के बीच राज्य व केन्द्र दोनों ही जगहों पर कांग्रेस की सरकारें रहीं। इसके बाद 2013 से 2018 के बीच केन्द्र व राज्य दोनों जगहों पर भाजपा की सरकारें थीं। उसके बाद एक बार 2018 से अब तक राज्य में कांग्रेस और केन्द्र में भाजपा की सरकारें चल रही हैं। आईएएस के पद समुचित संख्या में आंवटन के पर्याप्त प्रयास ना तब हो सके जब दोनों जगहों पर एक ही पार्टी की सरकारें थीं और ना तब हो सके जब अलग-अलग पार्टी की सरकारें रहीं। अभी राज्य में 2014 से अब तक सभी सांसद भाजपा के चुने गए और केन्द्र में भी सरकार भाजपा की है, लेकिन इस विषय में कोई खास काम नहीं हो सका। इस बीच राज्य सभा में राजस्थान से भाजपाई सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने जरूर संसद में यह सवाल उठाया।
बीते दो दशक में राजस्थान से कुंवर नटवर सिंह, शीशराम ओला, सचिन पायलट, भंवर जितेन्द्र सिंह, नमो नारायण मीणा, भूपेन्द्र यादव, अर्जुन राम मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत, राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़, कैलाश चौधरी जैसे दिग्गज राजनेता सांसद केन्द्र में मंत्री भी रहे हैं। इनमें से यादव, शेखावत, मेघवाल और चौधरी वर्तमान में केन्द्र में मंत्री हैं।
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