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Indian Missile Misfires: पाकिस्तानी सेना भारतीय मिसाइल को क्यों नहीं मार पाई?

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Indian Missile Misfires: पाकिस्तानी सेना भारतीय मिसाइल को क्यों नहीं मार पाई?
Indian Missile Fire: एक्सीडेंटल मिसाइल फायरिंग के मसले पर पाकिस्तान का रवैया सख्त नज़र आ रहा है। उसके क्षेत्र में मिसाइल 124 किलोमीटर अंदर घुस गई। फिलहाल के सवाल जवाब के इतर प्रश्न यह है कि आखिर पाकिस्तान इस मिसाइल को मार क्यों नहीं पाया?

REPORT BY SAHIL PATHAN

पाकिस्तान की सेना ने बीते गुरुवार को दावा किया कि भारत की एक मिसाइल 9 मार्च को पाकिस्तान में 124 किलोमीटर अंदर उसके शहर चन्नू मियां के पास जा गिरी। भारत ने भी इस बात से इनकार नहीं किया और कहा कि यह तकनीकी खामी के चलते हुआ। पाकिस्तानी सेना ने बताया कि इसमें कोई हथियार नहीं था, इसलिए तबाही नहीं हुई। बस कुछ घरों को नुकसान पहुंचा। भारत ने इसे एक्सीडेंटल फायरिंग बताकर कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी के आदेश दिए हैं। पाकिस्तान इतने भर से संतुष्ट नहीं है। उसने भारत के सामने दो मांगे रखी हैं। पहली मांग यह है कि जांच में पाकिस्तान को भी शामिल किया जाए और दूसरी यह कि जांच पाक के बताए 7 प्वॉइंट्स पर हो। फिलहाल भारत की तरफ से इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।आधुनिक तकनीक और अपग्रेड होते डिफेंस सिस्टम के बीच आपके मन में यह सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिर पाकिस्तान इस मिसाइल को मार क्यों नहीं पाया? इस सवाल का जवाब आगे जानेंगे लेकिन उससे पहले यह जान लेते हैं कि मिसाइल टेस्टिंग को लेकर नियम कायदा क्या है?


साल 2005 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक करार हुआ जिसका नाम था फ्लाइट टेस्टिंग ऑफ बैलेस्टिक मिसाइल एग्रीमेंट। इस करार के मुताबिक दोनों मुल्क किसी भी बैलेस्टिक मिसाइल की टेस्टिंग से पहले एक दूसरे को सूचना देंगे। किसी भी जमीन या समुद्र और जमीन से जमीन पर मार करने वाली बैलेस्टिक मिसाइल की भी सूचना देनी होती है। इस करार में एक बात यह भी है कि मिसाइल जिस जगह से छोड़ी जानी है, वह दोनों देशों की सीमा से 40 किलोमीटर दूर हो। मिसाइल जिस जगह पर गिराई जानी है वो जगह भी एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा से कम से कम 75 किलोमीटर दूर होनी चाहिए। टेस्टिंग से पहले दोनों मुल्कों के पायलटों और नाविकों को सावधान करने के लिए एयर मिशन (NOTAM) या नेविगेशनल वॉर्निंग (NAVAREA) का नोटिस जारी करना होता है। साथ ही करार में इस बात का भी जिक्र है कि दोनों देशों को मिसाइल टेस्टिंग के लिए कम से कम पांच दिनों का समय तय करना होता है। संबंधित देश को इसके बारे में कम से कम तीन दिन पहले बताना होता है। हाई कमीशन और फॉरेन ऑफिस के जरिए यह सूचना दी जाती है।
अब उस सवाल का जवाब कि पाकिस्तान उस मिसाइल को मार क्यों नहीं पाया? इस मसले पर पाकिस्तानी सेना का कहना है कि उसके एयर डिफेंस ने यह नोटिस कर लिया था कि सिरसा (हरियाणा) से कोई हाई स्पीड ऑब्जेक्ट पहले भारत में उड़ा और फिर रास्ता बदलकर पाकिस्तानी क्षेत्र में घुस गया। पड़ोसी मुल्क की सेना ने स्टैंडर्ड ऑपरेशन प्रोसिजर का पालन करते हुए लगातार इस ऑब्जेक्ट पर नज़रें जमाए रखीं। चूक बस इतनी हुई कि पाकिस्तान यह नहीं समझ पाया कि यह ऑब्जेक्ट मिसाइल है। दरअसल, किसी संदिग्ध चीज पर ऐसे शक उस समय जोर पकड़ता है जब मुल्कों के बीच युद्ध का माहौल हो। लेकिन भारत पाकिस्तान के बीच फिलहाल ऐसा कुछ नहीं है। ऐसे में सेना का ध्यान भी इस बात पर कम ही जाएगा कि उसके सीमा क्षेत्र में घुसता नजर आ रहा ऑब्जेक्ट मिसाइल हो सकती है। इसके इतर एक पहलू यह भी है कि मिसाइल की स्पीड वाकई काफी तेज थी जिसके चलते अचानक से इसका जवाब दे पाना मुश्किल था।

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