जयपुर में IPS ने हेड कॉन्स्टेबल से ली घूस:केस से नाम हटाने के लिए मांगे 10 लाख रुपए, बोले- डरने की जरूरत नहीं
एसीबी के पूर्व डीआईजी विष्णुकांत पर 9.50 लाख रुपए रिश्वत लेने का केस दर्ज किया है। IPS विष्णुकांत पर 3 साल पहले रिश्वत लेने के मामले में पकड़े गए हेड कॉन्स्टेबल का नाम केस से हटाने की एवज में रिश्वत लेने का आरोप है। एसीबी ने यह केस एएसपी एसीबी ललित किशोर शर्मा की रिपोर्ट आने पर दर्ज की है।
रिपोर्ट के अनुसार एसीबी ने सत्यपाल पारीक की शिकायत पर साल 2021 में जयपुर के जवाहर सर्किल थाने के हेड कॉन्स्टेबल सरदार सिंह और कॉन्स्टेबल लोकेश को घूस लेते पकड़ा था। इस केस में शिकायतकर्ता ने एसीबी के अधिकारियों को आरोपी सरदार सिंह के खिलाफ डीआईजी को पैसे देकर केस से नाम हटाने की शिकायत और सबूत दिए थे। इसके बाद तत्कालीन सरकार ने डीआईजी को चुपचाप एसीबी से हटा दिया था।
जांच में सामने आया है कि आरोपी हेड कॉन्स्टेबल सरदार सिंह का भाई प्रताप सिंह भी जयपुर कमिश्नरेट में पुलिस कॉन्स्टेबल है, जो एसओजी में विष्णुकांत का गनमैन था। एसीबी के पूर्व डीआईजी विष्णुकांत ने हेड कॉन्स्टेबल सरदार सिंह के भाई कॉन्स्टेबल प्रताप सिंह के माध्यम से एसीबी डीजी के नाम पर 9.5 लाख रुपए लिए थे और सरदार सिंह का नाम हटाकर फाइल बढ़ा दी। फिलहाल, विष्णुकांत आईजी होमगार्ड हैं।
डीआईजी ने उपनिदेशक अभियोजन की भी नहीं सुनी
सरदार सिंह और लोकेश कुमार की जांच कर रहे एडिशनल एसपी सुरेन्द्र कुमार स्वामी ने 11 फरवरी 22 को डीआईजी को रिपोर्ट दी, जिसमें लिखा है कि लोकेश कुमार आरोपी है और हेड कॉन्स्टेबल सरदार सिंह के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिल रहे हैं। इस पर डीआईजी ने फाइल को 14 फरवरी 2022 को उपनिदेशक अभियोजन के पास भेजी।
2 मार्च 2022 को उपनिदेशक अभियोजन ने जवाब दिया कि जांच अधिकारी को दोबारा से जांच करनी चाहिए, क्योंकि हेड कॉन्स्टेबल सरदार सिंह इस केस में आरोपी है। इसके बाद भी डीआईजी ने चालान कोर्ट में पेश कर दिया, जिसमें कॉन्स्टेबल लोकेश कुमार को आरोपी बनाया, जबकि हेड कॉन्स्टेबल सरदार सिंह को बेगुनाह बताकर विभागीय कार्रवाई की लिए कमिश्नरेट को लिख दिया।
आरोपी हेड कॉन्स्टेबल ने शिकायतकर्ता को भेजी थी डीआईजी की रिकॉर्डिंग
पैसा देने और डीआईजी से आश्वासन मिलने के बाद हेड कॉन्स्टेबल सरदार सिंह और उसके भाई प्रतापसिंह ने डीआईजी से वॉट्सऐप पर जो बात हुई थी, उसे रिकॉर्ड कर लिया था। इसके बाद दोनों भाइयों ने रिकॉर्डिंग मामले में शिकायतकर्ता को भेजकर कहा कि हमने सब सेट कर लिया है। डीआईजी साहब बोल रहे हैं कि डरने की जरूरत नहीं है, मैंने तुम्हारा नाम हटा दिया है। पीड़ित ने इस तरह के करीब 9 ऑडियो और वीडियो एसीबी को दिए थे, जिसके बाद सरकार ने बिना कोई कार्रवाई किए डीआईजी को एसीबी से हटा दिया था।
एडिशनल एसपी ललित शर्मा की रिपोर्ट के बाद एसीबी ने पीड़ित की शिकायत पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 ( यथा संशोधित 2018) में आरोपी विष्णु कांत, तत्कालीन डीआईजी एसीबी और हाल आईजी होमगार्ड राजस्थान, जयपुर के खिलाफ 10 लाख रुपए रिश्वत लेने की एफआईआर दर्ज की है। साथ ही हेड कॉन्स्टेबल सरदार सिंह और उसके भाई कॉन्स्टेबल प्रताप सिंह को भी इस केस में आरोपी बनाया है।
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