बात बराबरी की- प्राची टॉपर है और तुम मूर्ख ट्रोलर:लड़की की मूंछों का मजाक उड़ाने वाले सिर्फ जहर बोएंगे, लड़की आसमान छुएगी
एक लड़की के लिए सबसे जरूरी चीज क्या है? अगर वो बुद्धिमान हो, टॉपर हो, अपने क्लास की टॉपर, स्कूल की टॉपर, जिले की टॉपर और यहां तक कि पूरे स्टेट की टॉपर। तो भी उसके लिए सबसे जरूरी चीज क्या है?
अगर वो लड़की है और हमारे इस देश और समाज में पल-बढ़ रही है तो उसके लिए सबसे जरूरी चीज है, लड़की जैसा होना और दिखना। बहुत सुंदर न भी हो तो भी लड़की जैसी तो होनी ही चाहिए।
और ये लड़की जैसा होना क्या होता है?
बात सिर्फ शारीरिक संरचना की नहीं है। लड़की होने के कुछ तयशुदा पैमाने हैं और हर लड़की को उस पैमाने पर फिट होना पड़ता है। वरना आपके साथ वही होगा, जो प्राची निगम के साथ हुआ।
गुजरे शनिवार को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट घोषित किया। 10वीं की परीक्षा में सीतापुर की प्राची निगम पूरे स्टेट में फर्स्ट आई. 600 में से 591 नंबरों के साथ प्राची ने नंबरों ने भी सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया।
लेकिन जैसे ही मीडिया में पूरे स्टेट में टॉप करने वाली लड़की की तस्वीरें छपीं, लोगों में एक अजीब तरह की कसमसाहट उबलने लगी। लोगों की रुचि उसके टॉप करने से ज्यादा उसके चेहरे में थी। वजह थी, प्राची के चेहरे पर उगे हुए बाल।
इसे लेकर सोशल मीडिया पर लोगों की दो तरह की प्रतिक्रियाएं थीं। एक समूह उस पर तरस खा रहा था, लड़की होने के बाद भी लड़के जैसे दिख रहे चेहरे को लेकर सांत्वना जता रहा था तो दूसरा समूह उसका मजाक उड़ा रहा था। लोगों ने इस तरह की टिप्पणियां की-
“ये प्राची कम, प्राचा ज्यादा लग रहा है।”
“ये लड़की की मूंछें क्यों बना दी हैं।”
“टॉप करना तो ठीक है, लेकिन जरा ग्रूमिंग पर भी ध्यान दे लो।”
“ये मर्द है या औरत।”
कुछ कुंदजेहनों ने तो उसे थ्रेडिंग, वैक्सिंग कराने, पार्लर जाने तक की नसीहतें दे डालीं।
जो लड़की अब तक सबसे ज्यादा नंबर पाने वाली स्टेट की टॉपर थी, अब वह अचानक सोशल मीडिया ट्रोल्स का शिकार हो रही थी। उसके तेज दिमाग और एकेडमिक उपलब्धि से ज्यादा बड़ी उसके चेहरे पर उग आई मूंछें थीं। उसे शाबासी देने, उसका हौसला बढ़ाने, उसकी खुशी में खुश होने के बजाय लोग उसके रूप-रंग को लेकर उसका मजाक उड़ा रहे थे।
हालांकि ये पहली और आखिरी बार नहीं है, जब किसी लड़की को उसके रूप-रंग-आकार के कारण शर्मिंदा होना पड़ा है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक 12 से 17 साल की किशोर लड़कियां सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा बॉडी शेमिंग का शिकार होती हैं, जिसका गहरा असर उनके मानिसक स्वास्थ पर पड़ता है।
जरनल ऑफ फेमिनिज्म एंड जेंडर स्टडीज की एक स्टडी है, जो कहती है कि मिडिल स्कूल और हाईस्कूल की टीनएज लड़कियां सबसे ज्यादा बॉडी शेमिंग का शिकार होती हैं। मेंटल हेल्थ फाउंडेशन, यूके का एक सर्वे कहता है कि बॉडी इमेज, अपीयरेंस और बॉडी वेट को लेकर शर्मिंदगी का भाव लड़कों के मुकाबले लड़कियों में ज्यादा होता है।
उनके सर्वे में 46 फीसदी लड़कियों ने कहा कि वह अपने रूप-रंग और शारीरिक बनावट को लेकर शर्मिंदा महसूस करती हैं। वहीं सिर्फ 25 फीसदी लड़कों ने इस बात की शिकायत की। जहां तक अपीयरेंस के कारण ऑनलाइन या ऑफलाइन ट्रोलिंग का शिकार होने का सवाल था तो लड़कों को कभी इस तरह की ट्रोलिंग का शिकार नहीं होना पड़ा। जबकि 70 फीसदी से ज्यादा लड़कियों का कहना था कि उन्हें अपने चेहरे, बाल, आंख, नाक, शरीर के आकार और कपड़ों को लेकर सोशल मीडिया पर निगेटिव कमेंट का शिकार होना पड़ा है।
सर्वे में शामिल लड़कियों का ही यह भी मानना था कि लड़कियों को खूबसूरत होने का फायदा होता है। जबकि लड़कों ने ऐसी कोई शिकायत नहीं कि अगर कोई लड़का हैंडसम हो तो उसे बाकियों के मुकाबले ज्यादा महत्व और फायदा मिलता है।
संभवत: किसी हॉर्मोनल डिसबैलेंस की वजह से या PCOS जैसी हेल्थ कंडीशन के कारण प्राची के चेहरे पर बाल उग आए होंगे। लेकिन यह बात महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण है यह बात कि वह बला की तेज दिमाग और इंटेलीजेंट है। गणित में उसकी पकड़ इतनी मजबूत है कि उसे 100 में से 100 नंबर मिले हैं। हिंदी, अंग्रेजी जैसी भाषाओं में प्राची ने 100 में से 97 नंबर हासिल किए हैं। सिर्फ यही सबसे कीमती बात है कि लड़की का दिमाग कीमती है। आगे बढ़ने के उसके सपने और उसका भविष्य कीमती है। बाकी सब बेकार, दो कौड़ी की बातें हैं।
लेकिन कल्पना करिए एक ऐसी लड़की की, जिसके चेहरे पर बाल हों, लेकिन वह प्राची की तरह टॉपर न हो तो क्या उसका जीवन, उसके सपने कीमती नहीं हैं। सिर्फ हमारा होना भर काफी नहीं हमारे कीमती होने के लिए।
लड़का होना तो फिर भी काम का हो सकता है, लेकिन लड़की होना बहुत कठिन है। सैकड़ों सालों से इस समाज का डिजाइन ही ऐसा है। लोगों की मानसिकता ऐसे ही गढ़ी गई है कि एक लड़की के लिए उसका सबसे कीमती गहना उसका रूप-रंग है।
अरबों डॉलर के कॉस्मैटिक्स का बाजार रोज चीख-चीखकर इस बात की ताकीद कर रहा है। 30 पार करते ही महिलाओं के लिए एंटी एजिंग क्रीम की बाढ़ आ जाती है। 35 पार के लिए अलग क्रीम, 40 पार के लिए अलग और 50 पार औरतों के लिए अलग। कभी सुना है कि 40 और 50 साल के मर्दों के लिए कंपनियां एंटी एजिंग क्रीम बनाकर उन्हें बता रही हों कि इस क्रीम के बिना तुम्हारा कोई महत्व नहीं है।
बुढ़ापे का डर, कुरूपता का डर, मोटापे का डर, सुंदर और आकर्षक न दिखने का डर सबसे ज्यादा औरतों को ही दिखाया जाता है। सुंदर न होने पर सोशल मीडिया ट्रोलिंग का शिकार लड़कियां ही होती हैं। उन्हीं की बॉडी शेमिंग की जाती है। उन्हें ही शर्मिंदा किया जाता है और अगर सुंदर हुई तो उस सुंदरता को उसका सबसे बड़ा एसेट बताकर उसका फायदा भी खूब दिया जाता है।
यह सब मर्दों की बनाई इस दुनिया के मर्दवादी नियमों की कारगुजारियां हैं और लड़कियां इस मर्दवाद की मासूम शिकार।
हालांकि अब वो इस ट्रैप को धीरे-धीरे तोड़ रही हैं। अपना मुंह चमकाने से ज्यादा अपनी किताब पढ़ने पर ध्यान दे रही हैं। प्राची को पता तो होगा ही कि अपने चेहरे की मूंछों के कारण लोग उस पर वाहियात टिप्पणियां करेंगे, फिर भी उसने अपनी फोटो खिंचवाई, मीडिया को इंटरव्यू दिया।
जानते हैं क्यों, क्योंकि प्राची और प्राची जैसी लड़कियों को अब इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आपके दिमाग में क्या गोबर भरा हुआ है। उन्हें अपने दिमाग पर यकीन है। अपनी बुद्धि और अपनी काबिलियत पर यकीन।
इस बोर्ड एग्जाम्स में लड़कियों ने बाजी मारी है। आगे भी हर परीक्षा में वो बाजी मारेेंगी। चाहे बोर्ड की हो या फिर जिंदगी की।
आप सिर्फ मूर्ख ट्रोलर थे, हैं और रहेंगे।
आपका कोई भविष्य नहीं है।
प्राची का भविष्य बहुत उज्जवल है।
Add Comment