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मरुधरा बायोलॉजिकल पार्क 8 साल बाद भी अधूरा:पिंजरे जंग खा रहे, 8 करोड़ से बनेंगे ऑफिस, रेस्क्यू सेंटर और फॉक्स केज

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मरुधरा बायोलॉजिकल पार्क 8 साल बाद भी अधूरा:पिंजरे जंग खा रहे, 8 करोड़ से बनेंगे ऑफिस, रेस्क्यू सेंटर और फॉक्स केज

बीकानेर

मरुधरा बायोलॉजिकल पार्क - Dainik Bhaskar

मरुधरा बायोलॉजिकल पार्क

मरुधरा बायोलॉजिकल पार्क आठ साल बाद भी अधूरा पड़ा है। दस पिंजरों का निर्माण अब तक हुआ है। मेंटिनेंस के अभाव में वे भी जंग खाने लगे हैं। इस साल 8 करोड़ जारी हुए हैं।

2016 में तत्कालीन सरकार ने बीकानेर में मरुधरा बायोलॉजिकल पार्क की घोषणा की थी। इस प्रोजेक्ट के लिए 36 करोड़ का बजट मंजूर हुआ था। बीछवाल के 50 हेक्टेयर क्षेत्र में बायोलॉजिकल पार्क का निर्माण 2019 में शुरू हुआ। निर्माण एजेंसी आरएसआरडीसी को बनाया गया। जंगली जानवर और पक्षियों के छोटे-बड़े मिलाकर 26 पिंजरे बनने हैं। इनमें 16 बड़े पिंजरे और बाकी छोटे शामिल हैं। अब तक 10 बड़े पिंजरे ही बन पाए हैं।

छोटे पिंजरों का काम चल रहा है। मेंटिनेंस नहीं होने के कारण पिंजरों का लोहा भी कई जगह से जंक खाने लगा है। जानकारों का कहना है कि यदि जल्दी ही इसे शुरू नहीं किया तो ढांचा तैयार होने से पहले ही कमजोर हो जाएगा। दरअसल बीकानेर का बायोलॉजिकल पार्क सरकारी उपेक्षा का शिकार रहा है।

सरकारों ने इसे गंभीरता से लिया ही नहीं। इसके निर्माण कार्य के लिए कभी समय पर पूरा पैसा नहीं दिया गया। इन आठ सालों में अब तक 24 करोड़ रुपए ही मिले। पार्क को पूरा तैयार करने के लिए अब भी 20 करोड़ रुपए की दरकार है। वन विभाग के ऑफिस, रेस्क्यू सेंटर और कॉमन व डेजर्ट फॉक्स के लिए आरएसआरडीसी को इस वित्तीय वर्ष में आठ करोड़ का बजट मिला है। इसमें से 3.50 करोड़ के काम शुरू हो चुके हैं।

शेष राशि के कार्यों का टेंडर लगाया जाना प्रस्तावित है। आरएसआरडीसी का दावा है कि इस वित्तीय वर्ष में 18 पिंजरे तैयार हो जाएंगे। उसके बाद इसे शुरू किया जा सकता है। एक्सईएन का कहना है कि साल के अंत तक इसे शुरू करने लायक बना दिया जाएगा।

ये जानवर लाए जाएंगे

बायोलॉजिकल पार्क में चिंकारा, ब्लैक बक, नीलगाय, चीतल, पैंथर, लॉयन, टाइगर, हाइना, लोमड़ी सहित विभिन्न प्रकार के जंगली जानवर और विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों को देख सकेंगे।

दो हिस्सों में बांटने की कवायद

बायोलॉजिकल पार्क को दो हिस्सों में बांटने की कवायद की जा रही है। इससे विजिटर चाहे तो आधा पार्क घूमने के बाद लौट सकेंगे। वन विभाग के अनुसार इसके लिए एक स्थान तय किया जाएगा। आने-जाने का विजिटर पथ करीब तीन किलोमीटर लंबा होगा। जंगली जानवर और पक्षियों को देखने के लिए ई रिक्शा चलाए जाएंगे। ऐसी व्यवस्था की जाएगी, जिससे विजिटर अपनी इच्छानुसार आधा या पूरा पार्क घूमने के लिए ई रिक्शा कर सके।

घायल जानवरों के लिए रेस्क्यू सेंटर बनेगा

पार्क में घायल जानवर और पक्षियों के लिए रेस्क्यू सेंटर बनाया जाएगा। इसके टेंडर हो चुके हैं। दरअसल शुरुआत में जब प्रोजेक्ट मंजूर हुआ तो रेस्क्यू सेंटर प्लान में नहीं था। केंद्रीय जू प्राधिकरण ने 2019 में चिड़ियाघर के लिए रेस्क्यू सेंटर अनिवार्य कर दिया। उसके बाद कोरोना आ गया।

जिसकी वजह से कोई काम नहीं हो पाया। सरकार ने भी बजट नहीं दिया। इस वित्तीय वर्ष में आठ करोड़ रुपए आरएसआरडीसी को मिले हैं, जिसमें रेस्क्यू सेंटर भी बनेगा। वन अधिकारियों का कहना है कि घायल या बीमार जानवर और पक्षियों को रेस्क्यू सेंटर में रखा जाएगा। स्वस्थ होने पर उन्हें चिड़ियाघर के पिंजरे में छोड़ दिया जाएगा।

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