जरूरत की खबर-6 में से 1 बुजुर्ग के साथ दुर्व्यवहार:बूढ़े पेरेंट्स की देखभाल बच्चों का दायित्व, जानें बुजुर्गों के कानूनी अधिकार
पूरी दुनिया में सीनियर सिटिजन यानी बुजुर्गों की आबादी बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक 2019 में दुनिया में 60 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों की संख्या 100 करोड़ थी। यह संख्या 2030 तक बढ़कर 140 करोड़ और 2050 तक 210 करोड़ होने का अनुमान है। बुजुर्गों की बढ़ती आबादी के साथ उनके साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं भी बढ़ी हैं।
WHO द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लगभग 15.7% लोग किसी-न-किसी रूप में दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं।
भारत में जहां 2050 तक बुजुर्गों की आबादी 30 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, ऐसे में देश के लिए यह समस्या विशेष रूप से गंभीर है। WHO का अनुमान है कि भारत में लगभग हर 6 में से 1 वृद्ध अपने जीवन में दुर्व्यवहार का अनुभव करता है।
सदियों से भारतीय संस्कृति में संयुक्त परिवार का रिवाज रहा है। इसमें घर के बुजुर्गों को अहमियत दी जाती रही है। नई पीढ़ी के लिए उनके अनुभव और ज्ञान का महत्व रहा है।
ऐसे में बुजुर्गों की समाज में उपेक्षा या उनके साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं चिंताजनक हैं।
इसे रोकने को लेकर संयुक्त राष्ट्र संघ भी प्रयासरत है। यही वजह है कि हर साल 15 जून को विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस (वर्ल्ड एल्डर अब्यूज अवेअरनेस डे) मनाया जाता है। इसका उद्देश्य बुजुर्गों के साथ होने वाली दुर्व्यवहार की घटनाओं को रोकना और लोगों को इसे लेकर जागरूक करना है।
इसलिए आज जरूरत की खबर में बात बुजुर्गों के कानूनी अधिकारों की।
साथ ही जानेंगे कि-
- बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार की बढ़ती घटनाओं का क्या कारण है?
- भारत में सीनियर सिटिजन्स को लेकर क्या कानून है?
एक्सपर्ट:
विनय मिश्र- वृद्धाश्रम संचालक, हमीरपुर (उत्तर प्रदेश)
नरेश पारस – आरटीआई एक्टिविस्ट, आगरा (उत्तर प्रदेश)
सवाल- बुजुर्गों के साथ किस तरह के दुर्व्यवहार की घटनाएं ज्यादा होती हैं?
जवाब- अमेरिका के नेशनल सेंटर ऑन एल्डर एब्यूज (NCEA) के मुताबिक मुख्य तौर पर बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं सात अलग-अलग तरह से होती हैं।
- उपेक्षा
- फिजिकल एब्यूज
- सेक्सुअल एब्यूज
- बुजुर्गों को अकेला छोड़ देना
- इमोशनल या साइकोलॉजिकल एब्यूज
- फाइनेंशियल एब्यूज
- आत्म-उपेक्षा
दुर्व्यवहार के इन लक्षणों की पहचान करने के लिए परिवार के सदस्यों या देखभाल करने वाले लोगों की जागरूकता और सक्रिय भागीदारी की जरूरत है।
सवाल- बुजुर्गों के साथ बढ़ती दुर्व्यवहार की घटनाओं के पीछे की वजह क्या है?
जवाब- बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार की अधिकांश घटनाओं के पीछे उनके सगे-संबंधी ही होते हैं। WHO के मुताबिक इमोशनल या साइकोलॉजिकल एब्यूज बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार का सबसे आम कारण है। वृद्ध व्यक्ति का फाइनेंशियल रूप से किसी दूसरे पर निर्भर रहना भी दुर्व्यवहार की एक बड़ी वजह है। कुछ मामलों में खराब पारिवारिक रिश्ते या लंबे समय से किसी गंभीर बीमारी से जूझना भी वजह होती है।
नीचे दिए ग्राफिक से इसे समझिए।
सवाल- भारत में सीनियर सिटिजंस या बुजुर्ग पेरेंट्स को लेकर क्या कानून है?
जवाब- भारत में बुजुर्गों के लिए मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट, 2007 लागू है। इसमें बुजुर्गों के लिए फाइनेंशियल सिक्योरिटी, मेडिकल सिक्योरिटी, भरण-पोषण के लिए खर्च और प्रोटेक्शन का प्रावधान किया गया है।
इस एक्ट के मुताबिक यदि माता-पिता, दादा-दादी या ऐसे बुजुर्ग जो अपनी इनकम या संपत्ति से अपना खर्चा नहीं चला पा रहे हैं, उन्हें मेंटेनेंस के लिए बच्चों पर दावा करने का अधिकार है। इसमें जन्म देने वाले माता-पिता, गोद लेने वाले माता-पिता और सौतेले मां-बाप या संपत्ति के वारिस सभी लोगों को शामिल किया गया है।
सवाल- अगर बच्चे अपने बुजुर्ग पेरेंट्स की देखभाल न करें तो माता-पिता के पास क्या कानूनी अधिकार हैं?
जवाब- अगर किसी बुजुर्ग के साथ उसके बच्चे दुर्व्यवहार, घरेलू हिंसा करते हैं या उन्हें घर से बेदखल करते हैं तो बुजुर्ग अपने क्षेत्र के SDM, DM के पास जाकर इसकी लिखित शिकायत दर्ज कर सकते हैं। मेंटेनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटिजन एक्ट के सेक्शन 12 के तहत बुजुर्गों का अपने बच्चों पर भरण-पोषण पाने का हक है। इसके अलावा बुजुर्ग नेशनल इमरजेंसी नंबर 112 पर पुलिस को भी कॉल कर सकते हैं।
सवाल- अगर बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता को डरा-धमकाकर उनकी प्रॉपर्टी अपने नाम करा लें, तब माता-पिता के पास क्या अधिकार हैं?
जवाब- आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस बताते हैं कि अगर किसी बुजुर्ग के बच्चों या वारिस ने उसकी प्रॉपर्टी को बहला-फुसलाकर या जबरन अपने नाम करा लिया है और उसके बाद उनकी देखभाल भी नहीं कर रहा है तो बुजुर्ग संपत्ति को वापस पाने का कानूनी हकदार है। इसके लिए उसे मजिस्ट्रेट से संपर्क करना होगा। मजिस्ट्रेट मामले की जांच के बाद उस प्रॉपर्टी के ट्रांसफर को निरस्त कर सकता है और कब्जेदार को बेदखल करने का आदेश दे सकता है।
सवाल- सीनियर सिटिजन की सहायता के लिए क्या कोई हेल्पलाइन नंबर भी है?
जवाब- भारत सरकार ने सीनियर सिटिजन की सहायता के लिए टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 14567 जारी किया है। इस हेल्पलाइन नंबर के जरिए सीनियर सिटिजन पेंशन से संबंधित और अन्य कानूनी मामलों की जानकारी ले सकते हैं। साथ ही बेसहारा बुजुर्गों को इमोशनल सपोर्ट देने, दुर्व्यवहार की घटना को रोकने व बचाव के लिए भी इस नंबर से मदद मिलती है। इस सेवा को ‘एल्डर लाइन’ नाम दिया गया है, जो सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक प्रदान की जाती है।
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