*NIA: राज्यों की परमिशन जरूरी नहीं, विदेश में भी जांच का हक, समझें CBI से कितनी अलग है यह एजेंसी*
*REPORT BY SAHIL PATHAN*
भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के 1978 बैच के अधिकारी दिनकर गुप्ता राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (NIA) के अगले महानिदेशक होंगे। पंजाब कैडर से आने वाले गुप्ता ढाई साल तक राज्य पुलिस की कमान संभाल चुके हैं। 2021 में कैप्टन (रिटा.) अमरिंदर सिंह की वजह चरणजीत सिंह चन्नी के सीएम बनने पर गुप्ता को डीजीपी पद से हटा दिया गया था। तब से वह सेंट्रल डेप्युटेशन की ऑफर लिस्ट में थे। कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) के आदेश के अनुसार, गुप्ता अपने रिटायरमेंट की तारीख (31 मार्च, 2024) या अगले आदेश तक, जो पहले हो, एनआईए के डीजी बने रहेंगे।
गुप्ता NIA में YC मोदी की जगह लेंगे जो मई 2021 में रिटायर हुए थे। उनकी जगह CRPF के डीजी कुलदीप सिंह को NIA का अतिरिक्त चार्ज दिया गया था। बतौर NIA चीफ, दिनकर गुप्ता के सामने चुनौतियां कम नहीं होंगी। नए बॉस के नेतृत्व में NIA कैसे काम करेगी, यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल जानते हैं कि NIA क्या है, उसका काम क्या है और बाकी केंद्रीय जांच एजेंसियों से यह कितनी अलग है।
*NIA की स्थापना कब हुई? कहां ऑफिस है?*
2008 मुंबई हमलों के बाद एक ऐसी एजेंसी की जस्रत महसूस हुई जो सिर्फ आतंकवाद पर फोकस करे। संसद से राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 पास होने के बाद NIA अस्तित्व में आई।
NIA आतंकवाद, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, परमाणु ठिकानों से जुड़े अपराधों को डील करती है।
NIA देश में कहीं भी आतंकवाद से जुड़े मामलों की जांच कर सकती है। इसके लिए उसे राज्यों से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।
गृह मंत्रालय के तहत आने वाली NIA का मुख्यालय दिल्ली में है। देशभर में 8 जगहों पर इसके रीजनल ऑफिसेज हैं। यह ऑफिसेज हैदराबाद, गुवाहाटी, कोच्चि, लखनऊ, मुंबई, कोलकाता, रायपुर और जम्मू में हैं।
NIA का नेतृत्व महानिदेशक करते हैं जो सामान्यत: एक आईपीएस अधिकारी होता है।
NIA का उद्देश्य ग्लोबल स्टैंडर्ड्स की बराबरी करने वाली प्रफेशनल जांच एजेंसी बनना है।
इसकी अपनी एक ‘मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट’ होती है।
*राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) का काम क्या है?*
NIA एक्ट 2008 इस एजेंसी को सही मायनों में देश की इकलौती संघीय एजेंसी बनाता है। जैसे अमेरिका में FBI है, कमोबेश वैसे ही भारत में NIA काम करती है।
भारत के किसी भी हिस्से में आतंकी गतिविधि का NIA खुद संज्ञान लेकर केस दर्ज कर सकती है। किसी राज्य में घुसने, जांच करने और लोगों को गिरफ्तार करने के लिए उसे राज्य सरकार की अनुमति नहीं चाहिए। इस पावर का कई राज्य सरकारें समय-समय पर विरोध कर चुकी हैं।
*2019 के संशोधन ने क्या-क्या बदला?*
2019 में एक संशोधन के जरिए NIA की जांच का दायरा बढ़ा दिया गया। अब NIA जाली करेंसी और इससे जुड़े अपराधों की भी जांच करती है। इसके अलावा प्रतिबंधित हथियारों की बिक्री और उत्पादन पर नकेल भी NIA के जिम्मे है। विस्फोटक पदार्थ एक्ट, 2908 के तहत अपराधों की जांच भी NIA करती है। अब साइबर आतंकवाद के मामले भी NIA के हवाले होते हैं।
इसी संशोधन के जरिए, NIA का न्यायक्षेत्र बढ़ा दिया। अब वह भारतीय क्षेत्र से बाहर भी जांच कर सकती है।
केंद्र सरकार को सेशन कोर्ट्स को NIA ट्रायल्स के लिए स्पेशल कोर्ट्स बनाने की इजाजत है। अभी राज्यों में 38 स्पेशल NIA कोर्ट्स हैं। केंद्रशासित प्रदेशों में NIA कोर्ट्स की संख्या 7 है। इन कोर्ट्स में जजों की नियुक्ति वहां के हाई कोर्ट चीफ जस्टिस की रजामंदी से भारत सरकार करती है।
अगर NIA कोर्ट में ट्रायल चल रहा है तो उसे वरीयता मिलेगी। मतलब आरोपी को किसी और अदालत में, किसी और केस में पेश होने से रोका जा सकता है।
2019 में ही पास गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत, NIA ऑफिसर किसी भी संदिग्ध आंतकी के यहां छापेमारी कर सकता है और प्रॉपर्टी सीज कर सकता है। इसके लिए उसे राज्य के डीजीपी की इजाजत नहीं चाहिए। ऑफिसर को सिर्फ NIA डीजी की अनुमति चाहिए होती है।
*NIA से जांच कैसे करवाई जा सकती है?*
अपने न्यायक्षेत्र में आने वाले अपराधों पर NIA खुद ही ऐक्शन लेती है।
राज्य सरकारें चाहें तो NIA से जांच की रिक्वेस्ट कर सकती हैं। हां, इसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति चाहिए होगी।
केंद्र सरकार भारत में कहीं का भी केस NIA को सौंप सकती है।
*NIA और CBI में क्या फर्क है?*
सीबीआई देश की प्रीमियर जांच एजेंसी है। उसके जिम्मे आर्थिक अपराध (भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी आदि) और वीभत्स अपराध ज्यादा आते हैं। NIA का मकसद आतंकवाद और उससे जुड़े अपराधों को रोकना है।
NIA और CBI में सबसे बड़ा फर्क यह है कि NIA को जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति नहीं चाहिए होती। इसके उलट, सीबीआई को किसी राज्य में जांच शुरू करने से पहले वहां की सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य है। सीबीआई की कार्यप्रणाली ‘द दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 1946)’ से चलती है।
*NIA में भर्ती कैसे होती है?*
NIA की ज्यादातर भर्तियां सीधी भर्ती के जरिए होती हैं। लेटरल एंट्री का प्रतिशत खासा कम है।
NIA में जाने के लिए कम्बाइंड ग्रैजुएट लेवल (CGL) एंट्रेस एग्जाम पास करना जरूरी है। फिर फिजिकल टेस्ट और इंटरव्यू होता है। सिलेक्शन और ट्रेनिंग के बाद NIA जॉइन कर सकते हैं। इसके जरिए NIA में सब-इंस्पेक्टर्स की भर्ती होती है।
अगर किसी कानून प्रवर्तन एजेंसी में पहले से काम कर रहा कोई कर्मचारी NIA में जाना चाहता है ट्रांसफर रिक्वेस्ट डाल सकता है।
NIA में जाने का एक और रास्ता UPSC के जरिए है। IPS और IRS को NIA में पोस्टिंग मिल सकती है।
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