न हथियार, न पैसा… पाकिस्तान ने बिना तैयारी कर दिया सैन्य ऑपरेशन का ऐलान, अमेरिका में राजदूत ने खोली पोल, गिड़गिड़ाए
पाकिस्तान ने हाल ही में आतंकवाद विरोधी एक नया सैन्य अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। इस सैन्य अभियान का उद्देश्य पूरे देश में फैले आतंकी गुटों का पूरी तरह से खात्मा करना है। ये फैसला पीएम शहबाज शरीफ के आतंकवाद विरोधी अभियानों की समीक्षा के बाद किया गया।
हाइलाइट्स
- पाकिस्तान ने किया है आतंक विरोधी अभियान का ऐलान
- सैन्य अभियान का उद्देश्य आतंकी गुटों का पूरी तरह खात्मा करना
- पाक ने लिया बड़ा फैसला लेकिन ऑपरेशन के लिए हथियारों की कमी
इस्लामाबाद: पाकिस्तान की सरकार ने हाल ही में अज्म-ए-इस्तेहकम (जिसका अर्थ है स्थिरता के लिए संकल्प) नाम के सैन्य अभियान को मंजूरी दे दी है। पाकिस्तान सरकार का कहना है कि इस ऑपरेशन का उद्देश्य टीटीपी और दूसरे आतंकी गुटों से सशस्त्र लड़ाकों से लड़ना है। शहबाज शरीफ के कार्यालय की ओर से इसकी घोषणा कर दी गई है लेकिन ऐसा लगता है कि पाकिस्तान ने इसके पूरी तैयारी नहीं की है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि ऑपरेशन का ऐलान किए जाने के साथ ही पाकिस्तान ने अमेरिका से हथियारों की मांग शुरू कर दी है। पाकिस्तान ने अमेरिका से छोटे हथियार मांगे हैं।
पाकिस्तानी मिडिया संस्थान जियो न्यूज के मुताबिक, अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत मसूद खान ने कहा है कि ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकम की सफलता सुनिश्चित करने के लिए उनके देश को छोटे हथियारों और दूसरे आधुनिक सैन्य उपकरणों की आवश्यकता है। मसूद खान ने वऑशिंगटन डीसी में विल्सन सेंटर केएक कार्यक्रम में कहा, ‘पाकिस्तान ने आतंकवादी नेटवर्क को तोड़ने करने और उसे नष्ट करने के लिए अज़्म-ए-इस्तेहकम लॉन्च किया है लेकिन इसके लिए हमें परिष्कृत छोटे हथियारों और संचार उपकरणों की आवश्यकता है।
अमेरिका और पाकिस्तान में बढ़े सहयोग: खान
मसूद खान ने कहा, ‘पाकिस्तान और अमेरिका को अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए दूसरे मोर्चे के साथ ही खुफिया सहयोग बढ़ाना चाहिए। साथ ही उन्नत सैन्य प्लेटफार्मों की बिक्री फिर से शुरू करना और पाकिस्तान के अमेरिकी मूल के रक्षा उपकरणों को बनाए रखना भी जरूरी है। यह क्षेत्रीय सुरक्षा और आतंकवाद को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।’ खान ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को जमीनी हकीकत पर आधारित होना चाहिए, भले ही उनका लक्ष्य मजबूत सुरक्षा और आर्थिक साझेदारी हो। किसी एक मुद्दे को संबंधों में अड़चन नहीं बनाना चाहिए।
मसूद खान ने कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच सुरक्षा सहयोग का अपना महत्व है उन्होंने प्रस्ताव रखा कि अमेरिका को काबुल में कूटनीतिक वापसी के लिए पाकिस्तान को भागीदार बनाना चाहिए। बता दें कि पाकिस्तान सरकार ने इस सप्ताह देश से आतंकवाद को खत्म करने के लिए नए सिरे से ऑपरेशन चलाने को मंजूरी दी है। हालांकि इस बात को लेकर चिंताएं थीं कि इस कदम से उन क्षेत्रों में स्थानीय आबादी प्रभावित होगी जिन पर अभियान में ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
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