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दो जान की कीमत एक निबंध और 15 दिन तक ट्रैफिक रूल्स सीखना: आखिर और कितने संवेदनहीन होंगे हम ?

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REPORT BY DR MUDITA POPLI

दो जान की कीमत एक निबंध और 15 दिन तक ट्रैफिक रूल्स सीखना: आखिर और कितने संवेदनहीन होंगे हम?
महाराष्ट्र के पुणे में एक कथित नाबालिग ने नशे में पोर्श कार से दो इंजीनियरों की जान ली ली। इस हादसे में एक की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि उसके साथी ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया ।
पुलिस ने कार ड्राइवर के खिलाफ येरवडा पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया था। इस मामले में आरोपी को गिरफ्तार तो किया गया, लेकिन मात्र 15 घंटों में उसे अदालत से जमानत मिल गई।इस दौरान कोर्ट ने उसे घटना पर निबंध लिखने की सजा दी।
नाबालिग आरोपी पुणे के नामी बिल्डर का पुत्र है। उसने पोर्शे कार से दो लोगों को रौंद के मार दिया जिसके बाद कोर्ट ने निबंध लिखने और 15 दिन ट्रैफिक पुलिस के साथ रहने का आदेश दिया है।


क्या रसूखदारों के सामने दो गरीबों के जीवन की कीमत हमारी न्यायपालिका की नजर में बस इतनी ही है? 600 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति, और लग्जरी होटल के मालिक पुणे पोर्श कांड के आरोपी का बिल्डर पिता होने का फायदा इस लड़के को मिला।हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की सुबह की है। पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 वर्षीय बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई. इस घटना के 15 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई.
पुणे में 17 साल 8 महीने का लड़का शराब के नशे में 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 2 करोड़ रुपये की कार चलाता है। इसने मध्य प्रदेश के रहने वाले दो इंजीनियरों को अपनी कार से रौंदकर मार दिया लेकिन इस बड़े बिल्डर के बेटे को 15 घंटे में जमानत मिल गई।अपने बिल्डर पिता के रसूख, पैसे के दम पर नाबालिग लड़के ने शराब के नशे में बिना ड्राइविंग लाइसेंस के गाड़ी चलाते हुए दो लोगों की जान ले ली। लेकिन जहां सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, वहां ये लड़का सिर्फ 15 घंटे में छूट गया।अदालत से इसे 300 शब्दों का निबंध लिखने जैसी शर्तों पर आसानी से बेल दे दी। निर्भया केस के अनुसार यदि कृत्य जघन्य हो और बालक 16 वर्ष के ऊपर हो तो उसे एडल्ट की श्रेणी में रखा जाएगा तथा उसे उसी के अनुरूप कोर्ट में पेश किया जा सकता है। यह कृत्य भी जघन्य कृत्यों की श्रेणी में आता है तथा लड़के की उम्र 17 साल 8 महीने है इसके बावजूद उसे जुवेनाइल कोर्ट में प्रस्तुत किया गया तथा केवल ऐसी सजा देकर रहा कर दिया गया। उधर पुणे पुलिस के अमितेश कुमार का कहना है कि बोर्ड से निर्भया केस के आधार पर लड़के को एडल्ट की तरह प्रस्तुत करने की परमिशन मांगी गई थी परंतु यह परमिशन नहीं दी गई। उधर होटल मालिक को जरूर गिरफ्त में लिया गया है कि उसने एक नाबालिग को अल्कोहल किस आधार पर परोसी।
मामले की नब्ज को टटोलें तो केवल यह समझ आता है कि अगर व्यक्ति रसूखदार तथा धनवान है तो आम आदमी की जान की कोई कीमत नहीं है ऐसी स्थिति में हमें एक बार फिर से अपनी कानून व्यवस्था को पुनरावलोकित करने की आवश्यकता है ताकि फिर से कोई अनीश और अश्विनी ली जान की कीमत न लगे और उनके माता पिता कानून के नाम पर ठगे ना जाए।

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