PM सुरक्षा चूक:सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब पुलिस को दोषी माना; हमने बताया था 7 में से 5 गलती पुलिस की
करीब 8 महीने पहले PM नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे में सुरक्षा चूक हुई थी। इसकी पड़ताल के लिए कमेटी बनाई गई थी। उस कमेटी ने गुरुवार, यानी 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर दी। इसकी सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने पाया कि सुरक्षा चूक के लिए पंजाब पुलिस जिम्मेदार है।
रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब पुलिस के SSP को दो घंटे पहले ही उस रास्ते के बारे में बता दिया गया था, जहां से PM जाने वाले थे। इसके बावजूद पंजाब पुलिस सुरक्षा बंदोबस्त ठीक नहीं कर पाई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने बताया कि रिपोर्ट में प्रधानमंत्री की पुख्ता सुरक्षा के लिए कुछ जरूरी उपाय भी सुझाए गए हैं, जिसे सरकार को भेजा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में पेश इस रिपोर्ट की इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट पर मुहर लगा दी है। 8 महीने पहले इन्वेस्टिगेशन टीम ने उस 130 किमी रूट की कॉम्बिंग की थी, जिससे 5 जनवरी को प्रधानमंत्री का काफिला गुजरा था। ग्राउंड इन्वेस्टिगेशन के साथ-साथ रूल बुक, PM सिक्योरिटी प्रोटोकॉल और एक्सपर्ट्स से बात करके इसकी पड़ताल की थी कि PM की सुरक्षा में चूक का सबसे बड़ा दोषी कौन है। सुप्रीम कोर्ट में पेश जांच रिपोर्ट के बाद एक बार फिर से 15 जनवरी को जारी इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट पढ़िए…
सबसे पहले 5 जनवरी 2022 को PM मोदी का पहले से तय टूर प्रोग्राम जान लेते हैं…
प्रधानमंत्री के पहले से तय प्लान में कहां हुई गड़बड़ी?
5 जनवरी 2022 की सुबह 9.30 बजे PM ने दिल्ली से उड़ान भरी। सुबह 10.25 बजे वे पंजाब के बठिंडा के भिसियाना एयरबेस पर लैंड हुए। यहां से उन्हें हेलिकॉप्टर के जरिए फिरोजपुर स्थित हुसैनीवाला शहीद मेमोरियल पहुंचना था। बठिंडा एयरपोर्ट पर बारिश हो रही थी। यहां PM करीब 35 मिनट तक इंतजार करते रहे। 11 बजे तक बारिश नहीं रुकी तो प्रधानमंत्री को सड़क रूट से ले जाने का फैसला किया गया।
यहीं से गड़बड़ी की शुरुआत हुई, जिस पर 7 बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं। एक-एक करके पहले इन सवालों की गुत्थी सुलझा लेते हैं…
1. क्या PM के तय कार्यक्रम में हुसैनीवाला शहीद मेमोरियल जाने का प्लान था?
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का कहना है कि PM के कार्यक्रम में हुसैनीवाला शहीद मेमोरियल जाने का प्लान नहीं था। ऐन वक्त पर यह प्लान जोड़ा गया। PM मोदी ने 5 जनवरी को ट्विटर पर PIB का जो लिंक शेयर किया है, उसमें भी इसका जिक्र नहीं है। उस दिन के अखबारों में भी इसका जिक्र नहीं है। हालांकि 4 जनवरी को PM के OSD ने जो PM का टूर प्लान जारी किया है, उसमें हुसैनीवाला शहीद मेमोरियल जाने की बात लिखी है।
- यानी केंद्र से राज्य सरकार को भेजे गए सरकारी दस्तावेज में हुसैनीवाला शहीद मेमोरियल जाने की बात पहले से तय थी।
2. क्या 5 जनवरी के मौसम की जानकारी पहले से थी?
28 दिसंबर 2021 को PM की पंजाब विजिट कन्फर्म हुई। 2 जनवरी को अगले चार दिन के मौसम की रिपोर्ट आई थी। SPG से लेकर राज्य पुलिस तक को जानकारी थी कि 5 जनवरी को इलाके में बारिश हो सकती है। पंजाब के ADG (लॉ एंड ऑर्डर) के इंटरनल मेमो से भी मौसम की जानकारी होने की तस्दीक होती है।
यह पंजाब पुलिस का इंटरनल मेमो है, जो ADG लॉ एंड ऑर्डर ने 5 जनवरी 2022 को जारी किया था। इसमें साफ तौर पर किसानों के प्रदर्शन और बारिश की संभावना का जिक्र है।
- यानी मौसम की जानकारी न होने के सवाल का कोई औचित्य नहीं है।
3. क्या ऑल्टरनेट रूट पहले से तय किया गया था?
SPG ब्लू बुक के मुताबिक प्रधानमंत्री कहीं भी यात्रा करते हैं, तो हवाई मार्ग के साथ एक ऑल्टरनेट सड़क मार्ग भी हमेशा तैयार रखा जाता है। सिक्योरिटी सोर्सेज के मुताबिक 29 दिसंबर 2021 को ही SPG की एडवांस सिक्योरिटी लाइजन (ASL) टीम पंजाब पहुंच गई थी। पंजाब पुलिस के साथ मिलकर ऑल्टरनेट रूट तैयार कर लिया गया था। यानी अगर किसी वजह से PM हेलिकॉप्टर से नहीं जा पाते, तो इसका ऑल्टरनेट रूट पहले से तय था।
- यानी पहले से ऑल्टरनेट रूट तैयार न होने की बात भी गलत है।
4. क्या ऑल्टरनेट रूट पर पंजाब पुलिस ने किया था ड्राई रन?
प्रोटोकॉल के मुताबिक ड्राई रन एक ऐसा तरीका है, जिसमें पूरे रूट पर SPG और राज्य पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी जाते हैं। संवेदनशील जगहों की पहचान करते हैं। वहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करते हैं। इस तरह से पूरे रास्ते को सैनिटाइज कर तैयार किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक SPG और पंजाब पुलिस ने 3 जनवरी को इस ऑल्टरनेट रूट पर ड्राई रन किया था। कस्बे की सड़कों, ढाबों और सेंसिटिव पॉइंट्स पर फोर्स खड़ी की थी। इसकी तस्दीक पंजाब पुलिस का इंटरनल मेमो भी करता है।
- यानी ड्राई रन की जिम्मेदारी SPG और पंजाब पुलिस दोनों की है और दोनों ने मिलकर इस काम को अंजाम दिया।
5. कब पता चला कि PM सड़क मार्ग से ही जाएंगे और इसकी क्लियरेंस किसने दी?
PM बठिंडा के भिसियाना एयरबेस पर 11 बजे तक बारिश रुकने का इंतजार करते रहे। बारिश नहीं रुकने पर ऑल्टरनेट रूट का इस्तेमाल करने का फैसला किया गया। केंद्रीय एजेंसियां दावा करती हैं कि पंजाब पुलिस के DGP सिद्धार्थ चटोपाध्याय से मंजूरी मांगी गई। DGP की हरी झंडी मिलने के बाद PM मोदी का काफिला निकल पड़ा। इस पर पंजाब पुलिस का कोई काउंटर बयान नहीं आया है। इसलिए माना जा रहा है कि पंजाब पुलिस के DGP की तरफ से मंजूरी दी गई थी।
- यानी पीएम के रूट का रास्ता क्लियर न होने के बावजूद पंजाब पुलिस के DGP ने गलत जानकारी दी।
6. प्रदर्शनकारी PM के रूट में कैसे पहुंचे और उन्हें हटाया क्यों नहीं गया?
PM की रैली तय होने के बाद पंजाब के 8-10 किसान संगठनों ने बरनाला में एक बैठक की। बैठक में तय हुआ कि जिस दिन PM आएंगे, किसान संगठन अपने क्षेत्र के DC ऑफिस यानी कलेक्टर ऑफिस में PM का पुतला फूकेंगे। इसी तय प्लान के तहत 5 जनवरी को भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) का एक जत्था फिरोजपुर DC ऑफिस जा रहा था।
इस जत्थे की अगुआई कर रहे बदलेव सिंह जीरा ने बताया, ‘’जब वो प्यारेआना गांव के पास पहुंचे, तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया। इससे जत्थे के लोग नाराज हो गए और हाईवे जाम कर दिया। इससे PM की रैली में शामिल होने जा रही कई बसें और गाड़ियां भी फंस गई। पुलिस ने हमें बताया कि इस रूट पर PM आने वाले हैं, लेकिन हमें उनकी बात पर भरोसा नहीं हुआ। हमें लगा BJP रैली की बसें निकालने के लिए पुलिस हमसे झूठ बोल रही है।’
पुलिस ने इन्हें हटाने के लिए फोर्स का इस्तेमाल नहीं किया। वहां तैनात पुलिसकर्मियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों तक हालात को सही से नहीं बताया। इस वजह से PM का काफिला प्रदर्शनकारियों के इतने नजदीक पहुंच गया।
- यानी मौके पर तैनात पंजाब पुलिस की गलती है। वो न तो स्थिति को संभाल पाई और न ही समय पर कम्युनिकेट कर पाई।
7. अब आखिरी सवाल…
क्या फिरोजपुर रैली में भीड़ नहीं पहुंची थी, इसलिए प्रधानमंत्री लौट आए?
फिरोजपुर रैली के लिए 6 ब्लॉक बनाकर करीब 70 हजार कुर्सियां लगाई गई थीं। मौके पर मौजूद लोग बताते हैं कि सिर्फ एक ब्लॉक ही भर पाया था। रैली का वीडियो भी मौजूद है, जिसमें कैप्टन अमरिंदर बोल रहे हैं और सामने कुर्सियां खाली पड़ी हैं। हालांकि इससे पहले पुलिस ने अपने मेमो में एक लाख लोगों के आने की संभावना जताई थी।
- यानी मुख्यमंत्री चन्नी की बात सही है कि रैली में भीड़ नहीं पहुंची थी, लेकिन इसका PM की सुरक्षा में लापरवाही से कोई लेना-देना नहीं है।
इस तरह हमने अपनी इन्वेस्टिगेशन में जब PM की सुरक्षा में चूक के दोषियों को सात सवालों की कसौटी पर कसा तो 5 मामले में पंजाब पुलिस की गलती सामने आई। 2 मामले में SPG और पंजाब पुलिस दोनों की गलती है।
PM मोदी के रूट की कॉम्बिंग में इन्वेस्टिगेशन टीम ने क्या देखा?
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130 किलोमीटर लंबे उस रूट की कॉम्बिंग की, जहां से PM का काफिला गुजरा। इसमें बठिंडा के भिसियाना एयरबेस से फिरोजपुर के प्यारेआना गांव और वहां से 1 किलोमीटर आगे सैदांवाली नहर का वो पुल शामिल रहा, जहां प्रदर्शनकारियों ने हाईवे ब्लॉक किया।
- PM का काफिला शुरुआती 92 किलोमीटर बठिंडा-अमृतसर फोरलेन पर चला और उसके बाद मोगा-फिरोजपुर फोरलेन पर मुड़ा। इन दोनों हाईवे के हाल VVIP की सुरक्षा के लिहाज से उचित नहीं लगते। 140 किलोमीटर लंबा रूट बठिंडा, फरीदकोट, मोगा और फिरोजपुर जिलों से गुजरता है।
- इन चारों जिलों के लगभग 4 दर्जन गांव और आधा दर्जन कस्बे हाईवे के दोनों तरफ बसे हुए हैं। इनकी कई गलियां सीधी हाईवे पर खुलती हैं। उन्हें पुलिस 10 से 15 मिनट तो रोक सकती है, लेकिन इससे ज्यादा संभव नहीं।
- हाईवे के अधिकांश हिस्से में दोनों तरफ ओपन खेत हैं। हाईवे और इन खेतों के बीच कोई बाउंड्री या ग्रिल तक नहीं। कोई भी कहीं से PM के काफिले के बीच आ सकता है। इतने लंबे हिस्से को पुलिस खड़ी कर सील करना संभव नहीं लगता।
- गांव घल्ल खुर्द के पास तो हाईवे की एक ही लेन है। यहां मौजूद अमरजीत सिंह कहते हैं कि 4 साल से दूसरी लेन बन रही है। PM इसी पर गए और वापस लौटे। यहां के हालात देख तो कतई नहीं कहा जा सकता कि इसे PM का रूट कहा भी जा सके। फरीदकोट में जूस की रेहड़ी लगाने वाले बलदेव कहते हैं कि PM जिस दिन आए, पुलिस तो थी, लेकिन वह सड़क किनारे जूस बेच रहे थे।
- बठिंडा-अमृतसर हाईवे पर बने दीप गिल फैमिली वैष्णो ढाबे के कर्मचारी सोनू ने कहा कि उनके ढाबे के आगे पुलिसवालों की ड्यूटी 3 जनवरी को ही लग गई थी। पुलिसवालों से ही उन्हें पता चला कि इस रूट से PM आने वाले हैं। फिरोजपुर जिले के तलवंडी भाई चौक पर मूंगफली बेचने वालों ने भी यही बात कही। पुलिसवालों ने उनसे 4 जनवरी की शाम को ही बता दिया कि 5 जनवरी को अपनी दुकान न लगाएं।
20 मिनट तक पाकिस्तानी आर्टिलरी की रेंज में रहे PM मोदी
जिस प्यारेआना फ्लाई ओवर पर PM मोदी खड़े थे, सड़क मार्ग से उसकी पाकिस्तान बॉर्डर से दूरी 20 किमी है। अगर एरियल डिस्टेंस देखें तो यह महज 10 किमी रह जाती है। रक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि पाकिस्तानी आर्टिलरी की रेंज 65 किमी तक है। यानी, PM मोदी उस दिन 20 मिनट तक पाकिस्तानी आर्टिलरी की रेंज में रहे
1. 147 किमी लंबे सड़क रूट को सैनिटाइज करना संभव नहीं
8 साल के प्रधानमंत्री के इस कार्यकाल में ये सबसे लंबी सड़क यात्रा थी। यहां सुरक्षा में कोताही ऑल्टरनेट रूट की रिहर्सल से ही हो गई थी। खराब मौसम के बीच PM के लिए जो रूट चुना गया, वह पूरी तरह सैनिटाइज नहीं था। बठिंडा, फरीदकोट, मोगा और फिरोजपुर जिलों के लगभग 4 दर्जन गांवों और आधा दर्जन कस्बों से होकर गुजरने वाले इतने लंबे रूट को सैनिटाइज करना संभव भी नहीं था। रूट पर दर्जनों गांव और कस्बे पड़ते हैं। यहां से निकलकर कभी भी कोई हाईवे पर आ सकता है।
2. PM को ओवरब्रिज पर खड़े रखना भी गलत
PM को फिरोजपुर के प्यारेआना गांव के ओवरब्रिज पर रोकना भी बड़ी चूक है। अगर हाईवे ब्लॉक था तो PM के काफिले को तुरंत वापस मुड़ जाना चाहिए था। सिक्योरिटी एक्सपर्ट के मुताबिक PM के काफिले को वापस मोड़ना बेहद आसान होता है। इसे ऐसे समझना चाहिए कि PM हमेशा काफिले के बीच में चलते हैं। अगर किसी वजह से अचानक वापस मुड़ना पड़ जाए तो सबसे पीछे वाला सिक्योरिटी व्हीकल सबसे पहले मुड़कर काफिले में पहले नंबर की गाड़ी बन जाता है। इसी तरह एक-एक कर सभी गाड़ियां मुड़ जाती हैं और जो सिक्योरिटी व्हीकल पहले सबसे आगे चल रहा होता है, वह सबसे पीछे हो जाता है।
3. पंजाब पुलिस ने रूट सैनिटाइज करने में लापरवाही की
स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप, यानी SPG, केंद्र की दूसरी खुफिया एजेंसियों और पंजाब पुलिस को इस रूट पर PM को लेकर जाना ही नहीं चाहिए। रूट सैनिटाइज करने का जिम्मा पंजाब पुलिस का था और उसके अफसर SPG को साफ इनकार कर सकते थे। उसके बाद भी SPG या PM मोदी सड़क के रास्ते जाना चाहते तो पंजाब पुलिस इसे ऑन रिकॉर्ड लेकर आती।
4. PM मोदी के जाने से आधे घंटे पहले डमी काफिला भेजना चाहिए था
पंजाब में 1980-90 के दशक में आतंकवाद का खात्मा करने वाले DGP केपीएस गिल की सुरक्षा में रहे रिटायर्ड ADGP के मुताबिक जब आप PM को ले जा रहे हों तो उनसे आधा घंटा पहले डमी काफिला क्यों नहीं भेजा? यहां इसके दो फायदे होते.. पहला अगर कोई खतरा होता तो इसी से पता चल जाता। दूसरा इस सूरत में जैसे हाईवे ब्लॉक था तो यह डमी काफिला पहले ही असली को सूचित कर देता और PM के काफिले के आगे जाने पर पहले ही फैसला ले लिया जाता।
5. PM मोदी के काफिले में काली रंग की सिर्फ एक कार क्यों थी?
रिटायर्ड ADGP ने PM के काफिले में ब्लैक कलर की सिर्फ एक गाड़ी होने पर भी सवाल उठाया। उनके अनुसार, PM के सिक्योरिटी प्रोटोकॉल के हिसाब से काफिले में एक ही तरह और रंग वाली कई गाड़ियां होनी चाहिए। अगर कोई नुकसान पहुंचाने की योजना भी बनाए तो उसे कन्फ्यूज किया जा सके।
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