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Rajasthan: राज्य सूचना आयोग में पेंडेंसी को कम करने के प्रयास तेज, सबसे ज्यादा केस निस्तारण करने में डीबी गुप्ता और आयुक्त नारायण बारहठ की कोर्ट शामिल

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जयपुर: साइबर युग में सरकारी अफसरों, कामकाज व कार्यप्रणाली की सूचना आम आदमी के लिए बड़ा हथियार है. लेकिन सरकारी मशीनरी में अधिकारियों का सूचना न देने का रवैया RTI एक्ट की मूल भावना को ही समाप्त करती दिख रहा है. राज्य सूचना आयुक्त डीबी गुप्ता की अथक कोशिशों से करीब 9 माह में 7600 से ज्यादा केसेस का डिस्पोजल हुआ है लेकिन कोरोना के चलते केसेस की पेंडेंसी 17600 से ज्यादा हो गई है.
प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त डीबी गुप्ता इस पदभार को संभालते ही राज्य सूचना आयोग में पेंडेंसी को कम करने में मिशन मॉड में जुटे हुए हैं.

ये किये डीबी गुप्ता ने प्रयास:

  • इसके तहत करीब 9 माह के कार्यकाल में 7315 अपीलों और 292 शिकायतों का उन्होंने निस्तारण किया है.
  • कोर्ट की संख्या बढ़ाने के साथ सुनवाई की संख्या बढ़वाई जिससे 1 माह में 800 से ज्यादा केसेस का डिस्पोजल होने लगा. इसके तहत रोजाना का केस डिस्पोजल का औसत 36 का है जबकि पहले यह बेहद कम है.
  • सबसे ज्यादा केस निस्तारण करने वाली कोर्ट में खुद डीबी गुप्ता और आयुक्त नारायण बारहठ की कोर्ट शामिल हैं.
  • इसके बावजूद सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कोरोना के चलते आयोग के कोर्ट करीब ढाई माह बंद रहने से पेंडेंसी में खास इजाफा हुआ. अब आयोग के सामने 16674 अपीलों और 1001 शिकायतों का निस्तारण करना बड़ी चुनौती बन गया है.
  • इसके पहले कदम के रूप में आयोग हाईकोर्ट की तर्ज पर लोक अदालत शुरू करने जा रहा है. इसके तहत 25 सितंबर को जेडीए जयपुर के 132 केसेस का निस्तारण होगा जिसमें सबसे ज्यादा संख्या में केस खुद डीबी गुप्ता की कोर्ट में रखे जाएंगे. यह देश भर में सूचना आयोग के स्तर पर अपनी तरह का पहला कदम है.

नासूर बनी पेंडेंसी:

  • दिसंबर 2020 तक ही पेंडेंसी 15803 थी लेकिन इसमें सितंबर तक 8186 नए मामले जुड़े हैं. इस दौरान 7315 केसेस का निस्तारण हुआ लेकिन कोरोना के दौरान कोर्ट बंद रहने और नए मामले जुड़ते जाने से पेंडेंसी बढ़कर 17675 हो गई जिसमें 16674 अपीलें हैं और 1001 शिकायतें हैं. सबसे ज्यादा जुलाई में 1533 नए केसेस पंजीकृत हुए और सबसे ज्यादा अगस्त माह में 1427 केसेस निस्तारित हुए. सबसे ज्यादा कोर्ट संख्या 4 में 2228 केसेस और कोर्ट संख्या 1 में 1613 केसेस निस्तारित हुए.
  • शिकायतों के निस्तारण पर गौर करें तो दिसंबर 2020 तक 968 पेंडिंग शिकायतें थीं. जनवरी से लेकर सितंबर तक 325 शिकायतें दर्ज हुईं और इस दौरान 292 शिकायतों का निस्तारण हुआ. जारी सितंबर माह में शिकायतों की पेंडेंसी 1001 है.
  • पेंडेंसी के मामले में व्यक्तिगत विभाग की बात करें तो सबसे ज्यादा पंचायती राज विभाग में 580 शिकायतें हैं पेंडिंग हैं.

नगर निगम जयपुर में 256, एलएसजी में 286 केसेस पेंडिंग हैं. जेडीए के 132 केसेस और यूडीएच के 102 मामले पेंडिंग हैं… तो राजस्व विभाग में पेंडिंग केसेस की संख्या 129 और शिक्षा विभाग में 90 है. क्रय विक्रय सहकारी संघ, राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ, जल ग्रहण व भू जल संरक्षण, पेयजल सीवरेज निगम, प्राविधिक शिक्षा, आरटीडीसी,प्रदूषण नियंत्रण मंडल,राजकीय तकनीकी कॉलेज, औषधि नियंत्रक, आबकारी,समेकित बाल विकास व सुरक्षा और कृषि निदेशालय मैं पेंडिंग केसेस सबसे कम 1-1 हैं. जिलों में सबसे ज्यादा केसेस जयपुर मेट्रो के 3649 पेंडिंग हैं तो वहीं सबसे कम उदयपुर संभाग के प्रतापगढ़ में सिर्फ 21 पेंडिंग प्रकरण हैं.
जयपुर संभाग की बात की जाए तो पेंडिंग केसेस 3728:
जयपुर मेट्रो को हटाकर जयपुर संभाग की बात की जाए तो पेंडिंग केसेस 3728 हैं. दिलचस्प है कि आयोग की संभागवार रिपोर्ट में जयपुर संभाग में ही जैसलमेर जिले के 687 पेंडिंग केसेस भी शामिल हैं. इसे जोधपुर संभाग में शामिल नहीं किया गया है और इस तरह जयपुर का कुल आंकड़ा देखें तो यह अकेले ही 7377 हो जाता है. जयपुर के बाद जोधपुर संभाग में सबसे ज्यादा पेंडिंग केसेस 3780 हैं जिसमें सबसे ज्यादा खुद जोधपुर में 1936 हैं और सबसे कम जालोर जिले के 226 हैं.
बीकानेर संभाग में 2332 पेंडिंग केसेस:
इसके बाद बीकानेर संभाग में 2332 पेंडिंग केसेस हैं जिसमें सबसे ज्यादा अकेले बीकानेर में 1073 केसेस हैं. इस संभाग में सबसे कम पेंडिंग प्रकरण हनुमानगढ़ के 301 हैं. अजमेर संभाग में कुल 1393 पेंडिंग केसेस हैं जिनमें सबसे ज्यादा खुद अजमेर में 602 और सबसे कम टोंक में 125 हैं. संभागों में सबसे कम कोटा संभाग के पेंडिंग 920 केसेस हैं जिसमें सबसे कम 73 केसेस बारां के हैं जबकि खुद कोटा में 253 केसेस हैं.
उदयपुर संभाग में कुल 1354 पेंडिंग मामले:
उदयपुर संभाग में कुल 1354 पेंडिंग मामले हैं जिनमें अकेले उदयपुर के 295 मामले हैं जबकि प्रतापगढ़ के सबसे कम 21 प्रकरण हैं. भरतपुर संभाग में पेंडिंग केसेस की संख्या 1015 है. खुद भरतपुर में सबसे ज्यादा 382 पेंडिंग केसेस हैं जबकि संभाग में सबसे कम प्रकरण धौलपुर में 154 हैं. इस पेंडेंसी को कम करने के लिए आयोग प्रशासन शहरों के संग और प्रशासन गांवों के संग अभियान के बाद इन संभागों में लोक अदालत लगाकर केसेस का निस्तारण करेगा.

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