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R&AW’s ‘S Wing’ Intensifies Operations to Thwart MSS and ISI’s Subversive Activities

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R&AW’s ‘S Wing’ Intensifies Operations to Thwart MSS and ISI’s Subversive Activities

New Delhi, Dec 12 — India’s Research and Analysis Wing (R&AW), the country’s premier external intelligence agency, is stepping up its counter-intelligence operations through its elite ‘S Wing’ to combat escalating subversive activities orchestrated by China’s Ministry of State Security (MSS) and Pakistan’s Inter-Services Intelligence (ISI).

The heightened measures come amidst growing concerns over cross-border intelligence breaches, hybrid warfare tactics, and covert operations targeting India’s national security. Senior officials in the intelligence community have confirmed that the ‘S Wing,’ known for its specialization in counter-intelligence and espionage detection, has been tasked with eliminating threats emanating from these hostile agencies.

Targeting the Growing Threat

The Ministry of State Security, China’s intelligence and security agency, has ramped up its intelligence-gathering operations in South Asia, particularly India, over the past few years. This includes cyber-espionage, technology theft, and influence operations. Meanwhile, the ISI remains India’s most persistent challenge, focusing on destabilization efforts through terror networks, infiltration, and propaganda.

Sources familiar with the developments indicate that India’s intelligence apparatus has noticed an increase in covert MSS operations aimed at undermining critical sectors, such as defense technology and cyber infrastructure. In parallel, the ISI’s agenda remains deeply rooted in promoting insurgent activities in Kashmir, targeting India’s northeastern regions, and creating communal discord through disinformation campaigns.

‘S Wing’: Silent but Lethal

The ‘S Wing,’ R&AW’s specialized counter-intelligence division, has historically operated under high secrecy. Primarily tasked with monitoring and neutralizing foreign intelligence operatives, its role has expanded in recent years to counter hybrid threats and emerging warfare domains, including cyber and psychological operations.

One senior intelligence official, speaking on condition of anonymity, stated: “R&AW’s ‘S Wing’ has initiated a recalibrated strategy to deal with MSS and ISI activities. We are identifying their operatives, networks, and assets operating on Indian soil and beyond. The focus is now on preemptive elimination of these threats.”

The official also highlighted the advanced tools and methodologies being employed by the division, including human intelligence (HUMINT) operations, cyber monitoring, and counter-espionage technologies. Special emphasis is being laid on pinpointing agents attempting to infiltrate Indian institutions and defense sectors.

China’s Cyber Espionage and Influence Operations

China’s MSS has increasingly turned to cyber warfare to access sensitive Indian government and corporate data. Intelligence reports suggest that Chinese-backed hacker groups have launched multiple cyber-attacks targeting India’s power grid, research institutions, and defense databases. Officials believe that MSS operatives embedded in third-party countries are facilitating these activities.

In addition to cyber warfare, MSS has been active in influence operations aimed at shaping narratives on border issues and political developments. “There’s a coordinated effort to disseminate misinformation to erode trust in India’s policies,” a security analyst commented.

ISI’s Persistent Focus on Destabilization

The ISI’s strategy, however, remains traditional but persistent. Recent intelligence inputs have revealed an increase in ISI’s support to terror outfits operating in Kashmir and Punjab. Additionally, there are reports of attempts to revive insurgent movements in the northeast.

An official from the Ministry of Home Affairs stated: “Pakistan’s ISI is using sleeper cells and intermediaries to smuggle arms, drugs, and counterfeit currency into India. Its support to terror outfits such as Lashkar-e-Taiba and Jaish-e-Mohammed continues unabated.”

Strengthening Multi-Domain Response

Recognizing the evolving nature of security threats, the ‘S Wing’ has collaborated with other intelligence divisions and agencies like the National Technical Research Organization (NTRO) to bolster cyber and electronic intelligence capabilities.

India’s intelligence community is also closely coordinating with its global allies to counter MSS’s and ISI’s overseas activities. Diplomatic channels have been leveraged to expose and dismantle foreign networks attempting to compromise India’s security interests.

Conclusion

With mounting subversive activities from both China’s MSS and Pakistan’s ISI, R&AW’s ‘S Wing’ is playing a critical role in safeguarding India’s national security interests. The enhanced counter-intelligence operations mark a clear shift toward proactive measures to neutralize threats before they can manifest into larger crises.

The success of these initiatives, officials note, will depend on sustained vigilance, advanced intelligence-gathering tools, and India’s ability to stay ahead of adversarial tactics in a rapidly changing security environment.

रॉ के ‘एस विंग’ ने एमएसएस और आईएसआई की विध्वंसक गतिविधियों को नाकाम करने के लिए अभियान तेज किए

नई दिल्ली, 12 दिसंबर — भारत की प्रमुख खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के ‘एस विंग’ ने चीन की मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (एमएसएस) और पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) द्वारा बढ़ती विध्वंसक गतिविधियों को रोकने के लिए अपने अभियानों को तेज कर दिया है।

यह कदम सीमा पार खुफिया सेंधमारी, हाइब्रिड युद्ध तकनीकों और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले गुप्त अभियानों को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच उठाया गया है। खुफिया तंत्र से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की है कि ‘एस विंग’ को इन शत्रुतापूर्ण एजेंसियों से उत्पन्न खतरों को समाप्त करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

बढ़ते खतरे पर फोकस

चीन की सुरक्षा और खुफिया एजेंसी एमएसएस ने पिछले कुछ वर्षों में दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारत में, अपनी खुफिया गतिविधियों को बढ़ाया है। इसमें साइबर जासूसी, तकनीकी चोरी और प्रभाव अभियानों का प्रमुख स्थान है। वहीं, आईएसआई का ध्यान पारंपरिक रूप से आतंकवादी नेटवर्क, घुसपैठ और प्रोपेगेंडा के माध्यम से भारत को अस्थिर करने पर केंद्रित है।

जानकारी के मुताबिक, भारत के खुफिया तंत्र ने एमएसएस की गुप्त गतिविधियों में तेजी देखी है, जो भारत के रक्षा तकनीकी और साइबर ढांचे को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रही हैं। दूसरी ओर, आईएसआई का मुख्य एजेंडा कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देना, भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों को निशाना बनाना और भ्रामक सूचनाओं के जरिए सांप्रदायिक तनाव पैदा करना है।

‘एस विंग’: खामोश लेकिन घातक

रॉ का ‘एस विंग’ विशेष रूप से काउंटर-इंटेलिजेंस अभियानों के लिए जाना जाता है और हमेशा से गहरे गोपनीयता में काम करता रहा है। इसकी मुख्य जिम्मेदारी विदेशी खुफिया एजेंसियों के ऑपरेटिव्स पर नजर रखना और उन्हें निष्प्रभावी करना है। हाल के वर्षों में इसका कार्यक्षेत्र हाइब्रिड खतरों और साइबर व मनोवैज्ञानिक अभियानों तक बढ़ा है।

एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया: “एस विंग ने एमएसएस और आईएसआई की गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए एक नई रणनीति अपनाई है। भारत में और विदेशों में काम कर रहे उनके नेटवर्क, एजेंट और संपत्तियों की पहचान की जा रही है। हमारा फोकस अब इन खतरों को पहले ही खत्म कर देने पर है।”

उन्होंने यह भी बताया कि ‘एस विंग’ द्वारा मानव खुफिया (HUMINT), साइबर निगरानी और काउंटर-इंटेलिजेंस तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। विशेष ध्यान उन एजेंटों को पकड़ने पर दिया जा रहा है, जो भारत के संस्थानों और रक्षा क्षेत्रों में घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं।

चीन की साइबर जासूसी और प्रभाव अभियान

चीन की एमएसएस साइबर युद्ध के माध्यम से भारत के सरकारी और कॉर्पोरेट डेटा तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन-समर्थित हैकर समूहों ने भारत के पावर ग्रिड, अनुसंधान संस्थानों और रक्षा डेटाबेस पर कई साइबर हमले किए हैं। अधिकारियों का मानना है कि तीसरे देशों में छिपे एमएसएस ऑपरेटिव्स इन गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं।

साइबर हमलों के अलावा, एमएसएस प्रभाव अभियानों में भी सक्रिय है। इसका उद्देश्य सीमा मुद्दों और राजनीतिक घटनाक्रमों को लेकर झूठे नैरेटिव गढ़कर भारतीय नीति में अविश्वास पैदा करना है।

आईएसआई का अस्थिरता पर फोकस

आईएसआई की रणनीति पारंपरिक लेकिन लगातार बनी हुई है। हालिया खुफिया इनपुट के मुताबिक, आईएसआई कश्मीर और पंजाब में आतंकवादी संगठनों का समर्थन बढ़ा रहा है। इसके अलावा, पूर्वोत्तर भारत में उग्रवादी गतिविधियों को फिर से खड़ा करने की कोशिशें तेज हुई हैं।

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा: “आईएसआई, भारत में हथियार, ड्रग्स और नकली मुद्रा की तस्करी के लिए स्लीपर सेल्स और बिचौलियों का उपयोग कर रहा है। आतंकवादी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को इसका खुला समर्थन जारी है।”

मल्टी-डोमेन प्रतिक्रिया को मजबूत करना

खतरे की बदलती प्रकृति को देखते हुए ‘एस विंग’ ने नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (NTRO) जैसे अन्य खुफिया विभागों के साथ तालमेल बढ़ाया है ताकि साइबर और इलेक्ट्रॉनिक खुफिया क्षमताओं को मजबूत किया जा सके।

इसके अलावा, भारत की खुफिया एजेंसियां वैश्विक सहयोगियों के साथ मिलकर एमएसएस और आईएसआई की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का मुकाबला कर रही हैं। कूटनीतिक माध्यमों से इन विदेशी नेटवर्क्स को बेनकाब करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

निष्कर्ष

चीन की एमएसएस और पाकिस्तान की आईएसआई की बढ़ती गतिविधियों के बीच, रॉ का ‘एस विंग’ भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को सुरक्षित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। इन अभियानों में गंभीरता और आक्रामकता साफ दिख रही है, जिसका उद्देश्य संभावित खतरों को समय रहते समाप्त करना है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इन अभियानों की सफलता भारत की सतर्कता, अत्याधुनिक खुफिया तकनीकों** और प्रतिद्वंद्वी एजेंसियों से एक कदम आगे रहने की क्षमता पर निर्भर करेगी।

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