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रिलेशनशिप- डेट पर जाएं तो सुंदर बनकर:डेटिंग सर्वे में 37% लोगों ने कहा, पार्टनर चुनते हुए सबसे पहले देखते हैं रूप-रंग, कपड़े, स्टाइल

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रिलेशनशिप- डेट पर जाएं तो सुंदर बनकर:डेटिंग सर्वे में 37% लोगों ने कहा, पार्टनर चुनते हुए सबसे पहले देखते हैं रूप-रंग, कपड़े, स्टाइल

डेट पर जाते हुए सबसे जरूरी बात क्या है? वह कौन सा फैक्टर है, जो डेट या क्रश को संभावित पार्टनर या जीवनसाथी में बदल सकता है?

ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब की तलाश कमोबेश हर एलिजिबल बैचलर को होती है। लेकिन इन सवालों का जवाब किसी फॉर्मूले से नहीं दिया जा सकता है और न ही यह इतना आसान है। कारण कि ये काफी सब्जेक्टिव मामला है।

बावजूद इसके रिसर्च, सर्वे और एक्सपर्ट के सुझावों के आधार पर सही तरीके की एक झलक जरूर मिल सकती है।

ऐसी ही एक झलक डेटिंग ऐप ‘QuackQuack’ के नए सर्वे में मिली है। सर्वे के मुताबिक 37% लोगों के लिए डेट पर लुक्स सबसे ज्यादा मायने रखता है। अगर डेटिंग पार्टनर का फिजिकल अपीयरेंस यानी उसका चेहरा, रूप-रंग, तैयार होने का ढंग और स्टाइल बेहतर हो तो उसके रिश्ते में आने की संभावना बढ़ जाती है।

9000 लोगों पर हुआ सर्वे, सामने आई डेटिंग वर्ल्ड की हकीकत

इस सर्वे के लिए QuackQuack पर मौजूद 9000 लोगों को चुना गया। ये ऐसे लोग थे, जो या तो किसी रिश्ते में आए थे या फिर रिश्ते की संभावनाएं तलाशने के लिए डेटिंग कर रहे थे।

इनसे पूछा गया कि आप डेट पर सबसे ज्यादा किस चीज पर गौर करते हैं। 18 से 30 साल के 37% लोगों ने माना कि फर्स्ट लुक संभावित रिश्ते के मामले में सबसे अहम फैक्टर साबित होता है।

वे डेट पर सबसे पहले पार्टनर के फिजिकल अपीयरेंस और लुक्स पर ध्यान देते हैं। अगर पहली मुलाकात में पार्टनर अट्रैक्टिव और स्टाइलिश नजर आए तो इससे डेट के रिलेशनशिप में बदलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

अट्रैक्टिव हो पार्टनर तो बढ़ता है कॉन्फिडेंस

सर्वे में यह बात भी सामने आई कि अगर डेटिंग पार्टनर अट्रैक्टिव हो तो सामने वाला भी कॉन्फिडेंट फील करता है। यानी अट्रैक्टिव दिखना न सिर्फ अपने लिए बल्कि पार्टनर के कॉन्फिडेंस के लिए भी जरूरी है।

इस सर्वे में शामिल 24% लोगों ने स्वीकार किया कि जब डेटिंग पार्टनर अट्रैक्टिव दिखे तो उनमें अचीवमेंट की फीलिंग आती है। जिसकी वजह से उनका कॉन्फिडेंस बढ़ता है।

अगर डेट पर एक पार्टनर अट्रैक्टिव दिखे तो दूसरे के मन में रिश्ते को लेकर कुछ एक्ट्रा और बेहतर करने का ख्याल आता है, जिसका सीधा पॉजिटिव असर उन दोनों के रिश्ते पर पड़ता है।

संभव है, अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा हो कि आखिर फिजिकल अपीयरेंस और लुक्स रिश्ते के मामले में इतना महत्वपूर्ण क्यों हो जाता है।

बॉडी लैंग्वेज का हिस्सा है लुक्स, इसे न करें नजरअंदाज

किताब ‘द बॉडी लैंग्वेज ऑफ डेटिंग’ की राइटर टोन्या रीमन की मानें तो फिजिकल अपीयरेंस बॉडी लैंग्वेज का अहम हिस्सा है। सिर्फ कपड़े या महंगी घड़ी पार्टनर को प्रभावित नहीं करती। बल्कि फिजिकल अपीयरेंस, हावभाव, बोलने का लहजा और देखने का तरीका, ये सारी चीजें मिलकर प्यार की एक भाषा बनाती हैं। अगर पार्टनर्स एक-दूसरे की इस भाषा को पढ़ने में कामयाब हो जाएं तो उनका रिश्ता जम जाता है।

कुछ वक्त पहले अमेरिका में हुई एक कम्युनिकेशन रिसर्च भी इस बात की तस्दीक करती है कि हमारे संवाद में सबसे अहम भूमिका बॉडी लैंग्वेज की ही होती है।

अब चाहे कोई कितने ही प्यार भरे बोल बोले या शेरो-शायरी कहे, कम्युनिकेशन में इसकी भूमिका सिर्फ 7% होगी। बाकी का 93% संवाद बॉडी लैंग्वेज पर निर्भर करता है। ऐसे में नए रिश्ते की शुरुआत करने और लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में बॉडी लैंग्वेज की भूमिका सबसे अहम हो जाती है।

प्यार में मुफीद बॉडी लैंग्वेज के लिए अपनी किताब में टोन्या रीमन ये टिप्स सुझाती हैं-

डेटिंग पार्टनर की पसंद और कल्चर के अनुसार हो फिजिकल अपीयरेंस- इस बात का ध्यान रखें कि पहली डेट या मुलाकात पर लुक्स भड़कीला न हो। कुछ नया और एक्ट्रा करने की ख्वाहिश बने-बनाए काम को बिगाड़ सकती है। डेटिंग के लिए फिजिकल अपीयरेंस पार्टनर की पसंद और कल्चर के अनुरूप हो तो बेहतर है।

नजरें चुराकर बात न करें, डिफेंसिव मोड भी न अपनाएं- पहली मुलाकात या प्यार के शुरुआती दौर में आई कॉन्टैक्ट बहुत जरूरी है। अगर बातचीत के दौरान आंखें नहीं मिल रहीं तो इसका मतलब है कि दिलों के बीच दीवार अभी कायम है।

इस दीवार को तोड़ने के लिए डिफेंसिव लहजा छोड़ना होगा। इसके लिए बात करते हुए पार्टनर की ओर थोड़ा झुकें, आंखों में आंखें डालकर बातें कहें और सुनें। पैरों को स्थिर रखें और हाथों में मूवमेंट हो। बातचीत के दौरान चेहरे पर हल्की मुस्कान भी बनाए रखें।

परमिशन हो तो फिजिकल टच- अगर डेटिंग के दौरान पार्टनर की ओर से सहमति मिले तो फिजिकल टच सामान्य बातचीत को रुहानी बना सकता है। क्योंकि जब पार्टनर एक-दूसरे के फिजिकल टच में आते हैं तो उनकी बॉडी हैप्पी हॉर्मोन रिलीज करती है, जिसकी वजह से पार्टनर्स को खुशी महसूस होती है। उनका दिमाग सिग्नल देता है कि पार्टनर की मौजूदगी अच्छी और खुशी देने वाली है। फिर दोनों में प्यार अपने आप गहरा हो जाता है और मुलाकात रिश्ते की बुनियाद रखती है। इसके लिए बातचीत के दौरान पार्टनर के हाथ को थामना, कंधे पर सिर रखना या जुल्फें संवारना विकल्प हो सकता है।

लेकिन ऐसा करते हुए इस बात का अच्छी तरह ख्याल रखें कि हद क्या है और फिजिकल टच के लिए पार्टनर तैयार है या नहीं। फिजिकल टच का विकल्प सिर्फ-और-सिर्फ तभी होता है, जब पार्टनर भी इसके लिए तैयार हो।

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