दो जंग जारी हैं, दो नए मोर्चे और खुल रहे… क्या सच में World War-3 होने वाला है?
रूस की यूक्रेन से, इजरायल की हमास और हिजबुल्लाह से जंग जारी है. चीन की कोशिश है ताइवान पर कब्जा जमाने की. नाटो रूस के खिलाफ अलग हथियारों को जुटाने में लगा है. अमेरिका दुनिया के सभी स्ट्रैटेजिक स्थानों पर अपने युद्धपोत और स्ट्राइक ग्रुप्स तैनात कर रहा है. क्या ये तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत
दुनिया में जिस तरह से जंग चल रहे हैं, नए युद्ध की तैयारियां चल रही है, इससे तीसरा विश्व युद्ध होने की आशंका बढ़ती जा रही है.
रूस की यूक्रेन से साथ जंग. चीन लगातार ताइवान के आसपास जंगी उकसावे वाला ड्रिल कर रहा है. अमेरिका दुनियाभर में अलग-अलग जगहों पर नौसैनिक फ्लीट और मिसाइलें तैनात कर रहा है. नाटो देश रूस की सीमा के पास न्यूक्लियर हथियार तैनात कर रहे हैं. क्या ये सारे लक्षण ये बता रहे हैं कि दुनिया में बहुत जल्द तीसरा विश्व युद्ध (Third World War) होने वाला है.
पहले शुरू करते हैं अमेरिका से…
अमेरिका ने हाल ही फिलिपींस में अपनी सुपरसोनिक परमाणु मिसाइलों को तैनात किया था. इसके अलावा उसके कई कैरियर स्ट्राइक ग्रुप और एंफिबियस रेडी ग्रुप्स को दुनिया के अलग-अलग जगहों पर तैनात किया गया है. यूएसएस थियोडोर रूसवेल्ट कैरियर स्ट्राइक ग्रुप इस समय साउथ चाइना सी में तैनात है.
यूएसएस अमेरिका एंफिबियस ग्रुप जापान के सासेबो बंदरगाह पर तैनात है. यूएसएस रोनाल्ड रीगन कैरियर स्ट्राइक ग्रुप फिलपीन सागर में तैनात किया गया है. यूएसएस ड्वाइट डी. आइजनहॉवर कैरियर स्ट्राइक ग्रुप लाल सागर के पास तैनात है. गाजा में पायर डिटैचमेंट को तैनात किया गया है. दक्षिणी अमेरिका के पास यूएसएस जॉर्ज वॉशिंगटन कैरियर स्ट्राइक ग्रुप तैनात है. जबकि उसके पांच जंगी जहाजों का ग्रुप उत्तरी अमेरिका के पास तैनात है.
मतलब ये है कि ईरान, उत्तर कोरिया, रूस और चीन कहीं से किसी ने भी जंग की शुरूआत की तो अमेरिका इन सबको करारा जवाब देने के लिए एकदम रेडी है. उसके सभी स्ट्राइक ग्रुप्स में परमाणु मिसाइलें तैनात हैं. फाइटर जेट्स में खतरनाक मिसाइलें और बम लगाए गए हैं.
इस बीच, नाटो से जुड़े देशों का बड़ा फैसला…
ग्रेट ब्रिटेन, कनाडा, लातविया, लिथुआनिया, द नीदरलैंड्स, पोलैंड, फिनलैंड, फ्रांस, चेक गणराज्य, स्वीडन और इस्तोनिया ने मिलकर यूक्रेन को रूस के टारगेट्स पर स्ट्राइक करने को कहा है. ये सभी देश मिलकर यूक्रेन को सपोर्ट कर रहे हैं. हथियार दे रहे हैं. जबकि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी का दावा एकदम डराने वाला है.
रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी का दावा…
रूस की मुख्य इंटेलिजेंस एजेंसी ने यह पुख्ता किया है कि NATO देश रूस के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं. रूसी जासूसी एजेंसी का मानना है कि इस हमले से पहले नाटो देश पहले साइबरअटैक करेंगे. उसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक करके रूसी नेताओं को मार सकते हैं. इसके बाद पूरी तरह से रूस के खिलाफ जंग छेड़ेंगे. रूस का दावा है कि नाटो इसके लिए सालों से तैयारी कर रहा है.
चीन किसी भी समय कर सकता है ताइवान पर हमला
दुनियाभर के रक्षा एक्सपर्ट्स ये मानते हैं कि चीन बड़े पैमाने पर मिलिट्री को तैयार करके ताइवान पर हमला करेगा. उसपर कब्जा करने का जल्द से जल्द प्रयास करेगा. इसमें भारी मात्रा में सैनिकों को ले जाने वाले जंगी जहाज और अन्य अटैक वॉरशिप्स होंगे. माना जा रहा है कि चीन ये हमला ताइवान पर जून में करेगा. वो भी अमेरिका से ताइवान को मिलने वाले 66 F-16 फाइटर जेट्स की डिलिवरी से पहले.
चीन के साथ समस्या ये है कि उनके पास पर्याप्त जंगी जहाज नहीं हैं. यानी एंफिबियस लैंडिंग क्राफ्ट. इसलिए वह अपने सैनिकों को ताइवान तक पहुंचाने के लिए सिवलियन बोट्स और फेरी का इस्तेमाल करेगा. ये काम उसने शुरू कर दिया है. चीन सिविलियन नावों के जरिए एंफिबियस लैंडिंग क्राफ्ट्स की कमी को पूरा नहीं कर सकता.
ऐसे मिशन के लिए सिविलयन नावों का इस्तेमाल एक गलत निर्णय है. इससे चीन के सैनिकों को खतरा होगा. क्योंकि ये बोट्स जंग के हिसाब से नहीं बनाई जाती. लेकिन चीन ताइवान पर हमला करने के लिए कम से कम 10 से 15 हजार बोट्स, जहाज, क्राफ्ट्स का इस्तेमाल कर सकता है. उसके पास जितने भी नाव होंगे, चाहे वो सिविलियन हो, सेना के हों या फिर व्यावसायिक हो… उन सबका इस्तेमाल करेगा.
उत्तर कोरिया की धमकी और इजरायल-हमास की जंग
उत्तर कोरिया ने भी धमकी दी है कि वह अमेरिका और दक्षिण कोरिया को खत्म कर देगा. इसके लिए वह अपनी मिसाइलों का जखीरा बढ़ा रहा है. जबकि दूसरी तरफ इजरायल-हमास-हिजबुल्लाह की लड़ाई चल रही है. इस जंग को लेकर भी दुनिया दो फाड़ हुई पड़ी है. ये भी विश्व युद्ध की एक प्रमुख वजह बन सकती है
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