उपराष्ट्रपति बोले-हमारी जाति को हनुमानजी से ज्यादा जोड़ा जाता है:मेरे खिलाफ राजस्थान में टिप्पणी हुई, लेकिन गांठ थोड़े ही बांध लूंगा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राजस्थान विधानसभा में विधायकों को सदन में नियमों और आचरण की ट्रेनिंग दी। ट्रेनिंग के उद्घाटन सत्र उन्होंने कहा कि भारत का अभी जो संविधान उपलब्ध है वह पूरा नहीं है, संविधान की पहली कॉपी में हमारी पांच हजार साल पुरानी सभ्यता के चित्र है, वह सबको उपलब्ध करवाएं। संविधान की मूल प्रति में हनुमान जी का चित्र है, हमारी जाति को हनुमान से ज्यादा जोड़ा जाता है। इस कॉपी में महान अकबर, बुद्ध, जैन तीर्थंकर के भी चित्र हैं। संविधान की मूल प्रति में आपको पांच हजार साल पुरानी संस्कृति का चित्रण मिल जाएगा।
देवनानी ने मेरा खूब विरोध किया
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि राजनीतिक अखाड़े में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अजमेर में मेरा खूब विरोध किया है, लेकिन हमारे संबंध बरकरार हैं। दायरे में रहकर कटाक्ष करना कोई देवनानी से सीखे। धनखड़ ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री को जिस तरीके से सौभाग्य मिला है, उससे संकेत मिलता है कि भारत बदल गया है और अब सबकुछ मुमकिन है। कम समय में भजनलाल शर्मा ने लोकप्रियता हासिल की है, कम समय में मिली लोकप्रियता को बढ़ाना और बचाना चुनौती है।
दरअसल, राजस्थान की विधानसभा में सदन के नियम-कानूनों की जानकारी देने के लिए आज विधायकों की ट्रेनिंग रखी गई है। इस ट्रेनिंग कार्यक्रम के समापन समारोह को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला संबोधित करेंगे।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विधानसभा में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का स्वागत किया।
धनखड़ के भाषण की बड़ी बातें…
1. मेरे बारे में भी राजस्थान में टिप्पणी हुई, लेकिन गांठ थोड़े ही बांध लूंगा
आसन पर बैठने वाले को सबका ध्यान रखना होता है। कई हल्की-फुल्की बातें ऐसी हो जाती हैं कि उन्हें लेकर नहीं बैठ सकते। मेरे बारे में खड़गे साहब ने कहा था कि आने वाला मौसम कैसा रहेगा, यह कितना सताएगा। मेरे बारे में राजस्थान में भी टिप्पणी हुई है, लेकिन क्या गांठ बांध लूं, यह ठीक नहीं है। हर सदस्य का आचरण मर्यादित होना चाहिए। गांठ बांधकर नहीं रखें।
2. अफसरों से सौहार्दपूर्ण संबंध रखें विधायक
कई सांसद अफसरों के बारे में शिकायत करते हैं। मैंने गहन अध्ययन किया है। हो सकता है कि कोई विशेष परिस्थिति हो और दिक्कत हो। अफसर सत्ता पक्ष के ही अंग नहीं, आपके भी हैं। मेरे पास भी अफसरों की शिकायत लेकर सांसद आते हैं। अफसर का दायित्व है कि वह जनप्रतिनिधि को सम्मान दे, लेकिन दोनों तरफ अंहकार नहीं हो। अफसरों का संपूर्ण विश्वास प्राप्त करना भी जनप्रतिनिधि का काम हैं। अफसर और जनप्रतिनिधि मिलकर चलें, यही प्रजातंत्र के लिए ठीक है।
3. सोशल मीडिया किसी का भी चरित्र हनन कर देता है
आज किसी भी सदस्य के बारे में सोशल मीडिया पर ऐसी भ्रांति फैलाई जा सकती है, जो एक बड़ी आग का रूप ले लेगी। इस सदन को तय करना है कि ऐसी चीजों पर अंकुश कैसे लगाया जाए? ताकि सार्थकता से हमारे जीवन चलता रहे, हमारे चरित्र हनन का प्रयास न हो। इसे रोकने के उपाय पर चिंतन करना होगा। सोशल मीडिया किसी का भी चरित्र हनन कर देता है।
4. सदन नहीं चलने पर सबसे ज्यादा फायदा सरकार का होता है
विपक्ष के सुझावों पर हमेशा अमल करें। आज विधायिका का आचरण देखकर लोग चिंतित हैं। अनुकरणीय आदर्शवादी आचरण होना चाहिए, लेकिन विधायिका का आचरण उलटा है। प्रभावी बात तभी इतिहास में अंकित हो सकती है, जब सदन में अंकित हो जाए। हो-हल्ले से कही गई बात सुर्खी बन सकती है, लेकिन उसकी उम्र कम होती है। सदन नहीं चलने का सबसे ज्यादा फायदा सरकार को होता है। आप सरकार को कठघरे में खड़ा नहीं कर सकते, घेर नहीं सकते। नुकसान सरकार को भी होता है, क्योंकि उसे अच्छे सुझाव नहीं मिलते।
5. अपने ही लोगों की बेवफाई की वजह से भारत ने आजादी खोई
लोग सड़क पर कई मुद्दों की चर्चा करते हैं, लेकिन सदन में उन मुद्दों की चर्चा नहीं होती है। सदन में चर्चा का मतलब है कि पूरे देश में उसका प्रभाव पड़ता है। अंबेडकर ने चिंता जताई। ऐसा नहीं है कि भारत आजाद नहीं था। मुझे सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात लगती है कि अपने ही लोगों की बेवफाई की वजह से भारत ने आजादी खोई है।
6. विपक्ष की कमी खली
आज विपक्ष के विधायकों की गैर मौजूदगी खली है। उनके नहीं आने का कोई कारण होगा। इस जमाने में कोई सूचना नहीं मिले यह संभव नहीं है।
7. सभी विधायकों को परिवार सहित नए संसद भवन में आमंत्रित किया
धनखड़ ने कहा- मेरा हर विधायक को निमंत्रण है। हर विधायक नए संसद भवन में मेरा आतिथ्य स्वीकार करें। हर सदस्य परिवार सहित आए। उसका विशेष कारण है कि नया संसद भवन कोविड के बावजूद ढाई साल में बना है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को जयपुर में विधानसभा में विधायकों को संबोधित किया।
पक्ष-विपक्ष के विधायकों के बीच मतभेद हो सकते हैं, मनभेद नहीं
विधायकों की ट्रेनिंग वर्कशॉप में विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी ने कहा-विधानसभा की नियम प्रक्रियाओं को समझने के लिए विधायकों को सदन में मौजूद रहना चाहिए। सफल विधायक बनने के लिए नियम प्रक्रियाओं की समझ जरूरी है। विधानसभा की प्रोसीडिंग देखकर बहुत कुछ सीखा जा सकता है। हमें जनता के मुद्दे नियमों के तहत उठाने होंगे। सदन में विधायकों को प्रभावी भागीदारी निभानी चाहिए। सदन में विधायकों का व्यवहार शालीन रहना चाहिए। मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं। इस भावना से विधायकों का सदन में आचरण होना चाहिए।
सीएम बोले- विधायक अपने क्षेत्र की समस्याओं तक ही सीमित नहीं रहें
सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा- विधायक बनने से पहले हमारा दायरा अपने क्षेत्र तक होता है। विधायक बनने के बाद पूरे प्रदेश तक दायरा हो जाता है। विधानसभा में मुद्दे उठाते वक्त विधायक केवल अपने क्षेत्र की समस्याओं तक ही सीमित नहीं रहें, पूरे राजस्थान के बारे में सोचें। यह सदन पक्ष-विपक्ष का नहीं, हमारा है। असहमति और मतभेद लोकतंत्र के अभिन्न अंग है। मुझे गर्व है कि हमारी विधानसभा में हर विचार,पक्ष-विपक्ष को समान महत्व दिया जाता है।
उन्होंने कहा- विधानसभा में पहले भी समय-समय पर प्रबोधन कार्यक्रम होते रहे हैं। संसदीय पद्धति आरैर प्रक्रिया के तहत कोई भी सदस्य जनहित के मुद्दे उठा सकता है, जनता की समस्या के समाधान की मांग उठा सकता है। हमारा यह दायित्व है कि हम सदन का समय विवेकपूर्ण तरीके से करें।
राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को ट्रेनिंग कार्यक्रम में मौजूद विधायक।
Add Comment