दिल्ली में 370 पर फैसला, 800 किमी दूर कश्मीर शांत:लाल चौक से शोपियां तक कहीं प्रदर्शन नहीं, लोगों ने चुप्पी साधी
श्रीनगर
11 दिसंबर को सुबह से श्रीनगर के लाल चौक पर कड़ी सिक्योरिटी थी। रोज की तरह टूरिस्ट आ रहे थे। पुलिस जगह-जगह गाड़ियों की चेकिंग कर रही थी।
करीब 11:30 बजे सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने का केंद्र सरकार का फैसला बरकरार रहेगा, लेकिन 800 किमी दूर लाल चौक पर कुछ नहीं बदला।
टूरिस्ट और आम लोग आते-जाते रहे। कश्मीर घाटी की सड़कें जहां कभी पत्थरबाजी, आगजनी, हंगामे हुआ करते थे, आज शांत थीं।
11 दिसंबर, सोमवार को श्रीनगर के लाल चौक पर खासी चहल-पहल रही। लोग बिना किसी डर के घूमने आए।
केंद्र सरकार ने 6 अगस्त 2019 को आर्टिकल-370 हटा दिया था। 4 साल, 4 महीने और 6 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर फैसला सुनाया। फैसला आने से पहले PDP की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने जरूर कहा कि उन्हें घर में नजरबंद कर दिया गया है।
पॉलिटिकल पार्टियों ने अपने स्टैंड के हिसाब से बयान दिए, पर आम लोग इस पर क्या सोचते हैं और कश्मीर घाटी में क्या माहौल है,। पढ़िए ये रिपोर्ट-
श्रीनगर से आतंकियों के गढ़ रहे शोपियां तक न प्रदर्शन, न नारेबाजी
राजधानी श्रीनगर की डल लेक से लेकर डाउन टाउन मैसूमा से लेकर हैदरपोरा, नॉर्थ कश्मीर में बारामुला से लेकर साउथ कश्मीर के आतंकियों की एक्टिविटी वाले शोपियां तक माहौल शांत रहा। रास्तों पर ट्रैफिक नॉर्मल रहा, रोज की तरह दुकानों पर चहल-पहल थी। बर्फबारी के बीच टूरिज्म और कारोबार सब चलता रहा।
श्रीनगर के मार्केट में आम दिनों की तरह लोग खरीदारी करने निकले। हालांकि यहां भी जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान तैनात दिखे।
हमने कश्मीर के आम लोगों से बात करनी चाही, लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ। कश्मीर में कैमरे पर लोगों का बात न करना कोई नई बात नहीं है। 2019 के बाद से कश्मीर में आम लोग कैमरे पर आने से बचते रहे हैं, कोई खुलकर बात नहीं करता।
कश्मीर में लोगों की चुप्पी से दो बातें जाहिर हुईं
- लोग 370 जैसे मुद्दों पर कुछ बोलना नहीं चाहते
- उनके लिए ये बातें नॉर्मल हैं, उन्होंने इस बदलाव को मान लिया है
भड़काऊ मैसेज सर्कुलेट किया, 9 लोग हिरासत में
सुप्रीम कोर्ट में फैसले के दो दिन पहले 9 दिसंबर को जम्मू कश्मीर पुलिस ने सोशल मीडिया पर अफवाह और भड़काऊ मैसेज सर्कुलेट करने के आरोप में 9 लोगों को हिरासत में लिया था।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसमें आतंकवाद और अलगाववाद को सपोर्ट करने वाला कंटेंट शेयर और लाइक करने से मना किया गया है। सभी जिलों के SP बार-बार सोशल मीडिया पर वीडियो के जरिए इस तरह के कंटेंट पोस्ट न करने की अपील कर रहे थे।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, इस तरह का कंटेंट पोस्ट करने पर अनंतनाग, पुलवामा, बडगाम, बांदीपोरा और गांदरबल में 9 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
आर्टिकल-370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए 11 दिसंबर को लाल चौक पर सिक्योरिटी बढ़ा दी गई थी। CRPF के जवान यहां गश्त करते रहे।
कश्मीरी पंडित बोले- कश्मीरियों को गुमराह करने का खेल खत्म
कश्मीरी मूल के हिंदू कश्मीरी पंडित समुदाय के लोगों ने आर्टिकल-370 के खात्मे को सही ठहराने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। जम्मू में रहने वाले राकेश कौल कहते हैं, ‘हमारी मांग थी कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराए जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने उस पर अहम फैसला दिया है। इससे हम खुश हैं। कुछ लोगों ने साढ़े चार साल तक जनता को बेवकूफ बनाया, जबकि उन्हें पता था कि 370 हटाने का फैसला पूरी प्रक्रिया के साथ हुआ है।’
कुलगाम की वेस्सू कश्मीरी पंडित कॉलोनी में रहने वाले विजय रैना कहते हैं, ‘370 हटने के बाद से हमने कश्मीर में शांति को महसूस किया है। हम उस खुशहाली में जी रहे हैं। बच्चे स्कूल जा रहे हैं, बड़े नौकरी पर जा रहे हैं, टूरिस्ट कश्मीर आ रहे हैं।’
विजय रैना साउथ कश्मीर के कुलगाम जिले में सरपंच और BJP जिला महासचिव हैं।
महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला का आरोप- हमें हाउस अरेस्ट किया गया
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पहले खबर आई कि जम्मू-कश्मीर की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और PDP नेता महबूबा मुफ्ती को हाउस अरेस्ट किया गया है। दोनों ने सोशल मीडिया पर घर के गेट बंद होने की फोटो शेयर की।
ये फोटो महबूबा मुफ्ती के घर के गेट की बताई जा रही है। दावा किया गया कि सुबह से उनके घर पर ताला लगा दिया गया था।
इस पर जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने कहा- ‘ये पूरी तरह से निराधार है। जम्मू कश्मीर में ना किसी को हाउस अरेस्ट किया गया है, ना ही किसी की गिरफ्तारी की गई है। ये भ्रामक अफवाह फैलाने की कोशिश है।’
LG सिन्हा के बयान के जवाब में उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तस्वीरें पोस्ट कर दावा किया कि उनके घर के बाहर दरवाजे को लोहे की चेन से बांधा गया है। उन्होंने लिखा- ‘डियर मिस्टर एलजी, मेरे दरवाजे पर ये जो चेन बांधी गई है, ये मैंने खुद नहीं लगाई है। ये आपकी पुलिस ने किया है। आप इससे इनकार क्यों कर रहे हैं।’
‘ये भी हो सकता है कि ये आपको भी नहीं पता कि आपकी पुलिस क्या कर रही है। क्या आप झूठ बोल रहे हैं या आपकी पुलिस आपके काबू में नहीं है? दोनों में से कौन सी बात सही है।’
फोटो उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी। उन्होंने लिखा कि घर के गेट पर ये चेन पुलिस ने बांधी है।
कांग्रेस से अलग होने के बाद डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी बनाने वाले गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच से हमें एक उम्मीद थी, लेकिन पिछले कई साल से हम कह रहे थे कोर्ट जो कहेगा, वो होगा।’
‘बुनियादी तौर पर 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 को खत्म करना एक गलती थी। जम्मू कश्मीर की सियासी पार्टियों से पूछा जाना चाहिए था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्शन कराने की तारीख दी है और राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करने के लिए कहा है। अदालत के खिलाफ कुछ नहीं कह सकते हैं, लेकिन इस फैसले से हम सब को बहुत मायूसी और अफसोस है।’
आजाद ने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से निराश हैं। कोर्ट का फैसला दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। जम्मू-कश्मीर के लोग इससे खुश नहीं हैं, लेकिन हमें इसे स्वीकार करना होगा।’
‘मैंने पहले भी यह कहा है कि सिर्फ संसद और सुप्रीम कोर्ट ही जम्मू-कश्मीर के लोगों को आर्टिकल 370 और 35ए वापस कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट की बेंच निष्पक्ष है और हमें उम्मीद थी कि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों के पक्ष में फैसला देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’
उमर अब्दुल्ला ने गुलाम नबी आजाद के बयान पर कहा कि आजाद साहब वाकई में आजाद हैं। वो पार्टी दफ्तर जा पा रहे हैं। हमारे दरवाजे पर बेड़ियां जड़ी हुई हैं। मीडिया वालों को हमारे घरों तक नहीं आने दिया जा रहा, ताकि हम उन्हें कोई रिएक्शन न दे सकें।
धारा 370 हटाए जाने के पहले जम्मू कश्मीर की आखिरी मुख्यमंत्री और PDP चीफ महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘जम्मू कश्मीर के लोग उम्मीद नहीं हारेंगे। हमारी गरिमा और सम्मान की लड़ाई हमेशा जारी रहेगी। ये रास्ता यहां खत्म नहीं होता है।’
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बोले नेता…
उधर, जम्मू-कश्मीर आरक्षण-पुनर्गठन संशोधन बिल राज्यसभा से भी पास
संसद के शीतकालीन सत्र के छठे दिन 11 दिसंबर को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो बिल पेश किए। इनमें जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023 शामिल रहे।
राज्यसभा में बहस के दौरान अमित शाह ने धारा 370 हटाने का विरोध कर रहे विपक्ष को चेतावनी दी कि लौट आइए, नहीं तो जितने हो, उतने भी नहीं बचोगे।
दरअसल, पूरे दिन बिल पर बहस के दौरान विपक्ष सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत ठहराता रहा।
अमित शाह के जवाब के दौरान भी विपक्ष ने राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया। इसके बाद बिलों पर वोटिंग हुई और दोनों बिल राज्यसभा से भी पास हो गए।
बिल पास होने से जम्मू में 37 की जगह 43, कश्मीर में 46 की जगह 47 विधानसभा सीटें होंगी। पहले यहां 83 सीटें थी, जो बढ़कर 90 होंगी। इसमें अभी लद्दाख शामिल नहीं है।
वहीं, 24 सीटें PoK के लिए रिजर्व हैं। SC/ST के लिए 9 सीटें रिजर्व हैं। साथ ही संसद में कश्मीरी पंडितों के लिए 2 और PoK विस्थापितों की 1 सीट भी रिजर्व होगी।
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