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विश्व का एकमात्र ओम् आकार का शिव मंदिर:बकरी चराने से संत बने ‘विश्वगुरु’ को आया आइडिया; प्राण-प्रतिष्ठा में सीएम भी पहुंचे

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विश्व का एकमात्र ओम् आकार का शिव मंदिर:बकरी चराने से संत बने ‘विश्वगुरु’ को आया आइडिया; प्राण-प्रतिष्ठा में सीएम भी पहुंचे

पाली

राम मंदिर के बाद देश के एक और भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई। ओम् आकार में दुनिया के एक मात्र शिव मंदिर का निर्माण पाली के जाडन स्थित ओम् आश्रम में किया गया है। मंदिर इतना भव्य कि इसे बनने में 28 साल लग गए। इसका श्रेय जाता है विश्वदीप गुरुकुल के महामंडलेश्वर महेश्वरानंद महाराज को।

बचपन में जंगल में बकरियां चराने वाले संत महेश्वरानंद ने दुनियाभर में 45 हजार से ज्यादा ध्यान योग केंद्र की स्थापना की है। उन्होंने लाखों विदेशियों को मांसाहार छोड़ योग और अध्यात्म के रास्ते पर चलने को प्रेरित किया है।

ओम् आकार में तैयार शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम चल रहा है।

ओम् आकार में तैयार शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम चल रहा है।

संत महेश्वरानंद के बारे में बताने से पहले आपको बताते हैं पाली के जाडन में बन रहे ओम् आकार के भव्य शिव मंदिर के बारे में, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम चल रहा है। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा दोपहर 2.14 बजे पहुंचे और मंदिर में दर्शन किए। इसके बाद वे संत महेश्वरानंद के साथ लौटे और मंदिर के बारे में चर्चा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने सभा को भी संबोधित किया।

दोपहर 2.10 पर मुख्यमंत्री का हेलिकॉप्टर जाडन स्थित ओम् आश्रम के नजदीक उतरा।

दोपहर 2.10 पर मुख्यमंत्री का हेलिकॉप्टर जाडन स्थित ओम् आश्रम के नजदीक उतरा।

मुख्यमंत्री ने किया संबोधित, कहा- मंदिर की भव्यता देख हर्ष

इस दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने संबोधन में कहा- मंदिर की भव्यता देख खुशी हो रही है। यह मंदिर 28 साल बना। दुनिया का पहला ओमाकार शिव मंदिर है। यह भारतीय वास्तु शिल्प व स्थापत्य का सामंजस्य है। पीएम मोदी देश के मंदिरों का जीर्णोद्धार कर रहे हैं। सनानत धर्म, सांस्कृतिक परंपरा को दुनिया में स्थापित कर रहे हैं। काशी विश्वनाथ, उत्तराखंड केदारनाथ धाम, उज्जैन का महालोककाल का भव्य जीर्णोद्धार किया है।

भवन का फीता काटकर मुख्यमंत्री ने उद्घाटन किया। महामंडलेश्वर को वस्त भेंट किया और द्वादश ज्योतिर्लिंग की पूजा अर्चना की।

भवन का फीता काटकर मुख्यमंत्री ने उद्घाटन किया। महामंडलेश्वर को वस्त भेंट किया और द्वादश ज्योतिर्लिंग की पूजा अर्चना की।

राजस्थान में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सर्किट बना रहे हैं। बणेश्वर धाम, त्रिपुरा सुंदरी, सीता माता अभ्यारण्य को जोड़कर तीर्थ सर्किट बनाया जा रहा है, मंदिर जीर्णोद्धार के काम के लिए 300 करोड़ दिए हैं। खाटूश्याम, मेहंदीपुर बालाजी, पूंछड़ी का लौठा, सालासर धाम का जीर्णोद्धार किया गया है। महाराणा प्रताप का स्मारक बनाया जा रहा है, मीरांबाई के स्मारक का विकास किया जाएगा।

प्रदेश की पानी की समस्या पर भी काम किया जा रहा है। सरकार ने आते ही ईआरसीपी पर काम किया। इससे 12 जिलों को फायदा होगा। इसी तरह शेखावाटी के जिलों के लिए यमुना के पानी की व्यवस्था पर सरकार ने हरियाणा से बात की है।

संत महेश्वरानंद के साथ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा मंदिर में दर्शन कर सीढ़ियां उतरते हुए।

संत महेश्वरानंद के साथ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा मंदिर में दर्शन कर सीढ़ियां उतरते हुए।

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल विदेशी भक्त।

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल विदेशी भक्त।

सोमवार सुबह मंदिर में देव पूजन व ध्वज दंड का विधान करते हुए।

सोमवार सुबह मंदिर में देव पूजन व ध्वज दंड का विधान करते हुए।

पाली में जाडन के पास नेशनल हाईवे-62 पर विश्वदीप गुरुकुल (ओम् आश्रम) है। गुरुकुल का संचालन स्वामी महेश्वरानंद महाराज करते हैं। जिनके देश-विदेश में बड़ी संख्या में अनुयायी हैं। विश्वदीप गुरुकुल ट्रस्ट ने ही गुरुकुल परिसर में ओम् आकार का भव्य शिव मंदिर बनवाया है। जाडन आश्रम में मंदिर की नींव 1995 में रखी गई थी। शिव मंदिर बनकर तैयार है।

देव पूजन, ध्वज दंड हुआ

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के तहत सुबह 9 बजे से ओम् आश्रम में देव पूजन, ध्वज दंड, शिखर पूजन हुआ। इसके बाद दोपहर में मूर्ति प्रतिष्ठा होगी। साथ ही हवन, पूर्णाहुति, महाआरती के बाद प्रसादी कार्यक्रम होगा। दोपहर 12.30 बजे से 1.30 बजे तक अभिजित मुहूर्त में बांसवाड़ा जिले के राजपुरोहित त्रिपुरा सुंदरी मंदिर के उपासक निकुंजमोहन पंड्या और सह आचार्य पंडित कपिल त्रिवेदी मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधान से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम सम्पन्न कराया।

मंदिर के शिखर पर ध्वज दंड का विधान करने क्रेन से पहुंचे पुजारी और संत। समारोह में शामिल भक्त।

मंदिर के शिखर पर ध्वज दंड का विधान करने क्रेन से पहुंचे पुजारी और संत। समारोह में शामिल भक्त।

मंदिर में बड़ी संख्या में देसी-विदेशी गेस्ट।

मंदिर में बड़ी संख्या में देसी-विदेशी गेस्ट।

मंदिर का अस्थायी मुख्यद्वार बंगाली कारीगरों ने तैयार किया है। दूर से यह द्वार भी बंशी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थर से बनी इमारत नजर आ रहा है।

मंदिर का अस्थायी मुख्यद्वार बंगाली कारीगरों ने तैयार किया है। दूर से यह द्वार भी बंशी पहाड़पुर के गुलाबी पत्थर से बनी इमारत नजर आ रहा है।

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में 2200 से ज्यादा विदेशी अनुयायी शामिल हो रहे हैं।

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में 2200 से ज्यादा विदेशी अनुयायी शामिल हो रहे हैं।

शिव मंदिर की सीढ़ियों पर खड़े होकर मंदिर प्रांगण में धार्मिक आयोजन को कैमरे कैद करते श्रद्धालु।

शिव मंदिर की सीढ़ियों पर खड़े होकर मंदिर प्रांगण में धार्मिक आयोजन को कैमरे कैद करते श्रद्धालु।

नवनिर्मित मंदिर के अंदर द्वादश ज्योतिर्लिंग के सामने विदेश से आए भक्त पूजा अर्चना करते हुए।

नवनिर्मित मंदिर के अंदर द्वादश ज्योतिर्लिंग के सामने विदेश से आए भक्त पूजा अर्चना करते हुए।

जानिए कैसे एक बकरियां चराने वाला बना महामंडलेश्वर

महामंडलेश्वर महेश्वरानंदपुरी महाराज ने दुनियाभर में 45 हजार से ज्यादा ध्यान योग केंद्र की स्थापना की है। दुनियाभर के लोगों को नॉनवेज छोड़ने के लिए प्रेरित किया और योग व अध्यात्म की शिक्षा दी। एक साधारण परिवार का बच्चा कैसे स्वामी महेश्वरानंद बना। वह बच्चा जो स्कूल छोड़कर जंगल में बकरियां-ऊंट चराने चला जाता था।

संत महेश्वरानंद ने बताया- मेरा जन्म 15 अगस्त 1945 को पाली जिले के रूपावास पुरोहितान (सोजत) में हुआ। माता का नाम फूलीदेवी और पिता का नाम किशनाराम था। हम 4 भाई और 3 बहनें हैं। जब मैं 9 साल का था तो मेरा मन स्कूल में ज्यादा लगता नहीं था।

ऐसे में स्कूल से भागकर जंगल में शांति की तलाश में चला जाता था। वहां बकरियां और ऊंट चराता था और जंगल की शांति मेरे मन को काफी सुकून देती थी। घर पर जब यह पता चला कि मैं स्कूल से भागकर जंगल में चला जाता हूं तो मां बहुत गुस्सा हुई और स्कूल में पढ़ाई करने के लिए कहा।

संत महेश्वरानंद महाराज।

संत माधवानंद पुरी ने हाथ थामा तो बदला जीवन

उन्होंने बताया- एक दिन नीपल धाम (देसूरी, पाली) के संत माधवानंद पुरी गांव आए थे। तब मां के साथ मैंने भी उनका आशीर्वाद लिया था। इस दौरान मां ने उनसे कहा कि यह पढ़ाई नहीं करता और जंगल में चला जाता है। बकरियां-ऊंट चराता है। इस पर उन्होंने कहा कि इसे मुझे सौंप दो, मैं इसे ऐसा बना दूंगा कि आपके परिवार को इस पर गर्व होगा।

इस पर मां से आज्ञा मिलने पर मैं 9 साल की उम्र में स्वामी माधवानंद के सान्निध्य में नीपल धाम चला गया। गुरुजी के सान्निध्य में रहकर योग, ध्यान, धर्म शास्त्र, अध्यात्म की सीख ली।

शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने विदेश से 2200 से ज्यादा अनुयायी पाली आए हैं।

शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने विदेश से 2200 से ज्यादा अनुयायी पाली आए हैं।

वर्ष 1970 में ऑस्ट्रिया में की योग सोसायटी की स्थापना

उन्होंने कहा- मेरे गुरु संत माधवानंद के सान्निध्य में योग, ध्यान आदि का ज्ञान लेने के लिए मैं विदेशों में गया। वहां के लोगों को योग, ध्यान सिखाने लगा। वर्ष 1970 में ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना अंतरराष्ट्रीय ऑस्ट्रिनयन भारतीय योग वेदांत सोसायटी और अंतरराष्ट्रीय श्रीदीप माधवानंद आश्रम सदस्यता संस्थान की स्थापना की। पश्चिम के लोगों को योग, भारतीय संस्कृति, पर्यावरण, विश्व शांति का पाठ पढ़ाते हुए सत्य, अहिंसा का उपदेश दिया।

वर्तमान में संत महेश्वरानंद के विश्व भर में चल रहे हजारों योग केंद्रों में योगा- इन डेली लाइफ यानी दैनिक जीवन में योग की शिक्षा दी जा रही है।

विदेशी भक्तों ने प्राण प्रतिष्ठा के हर कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

विदेशी भक्तों ने प्राण प्रतिष्ठा के हर कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

एक रिपोर्टर के सवाल पर आया ओम् आकर का मंदिर बनाने का विचार

संत महेश्वरानंद उत्तराधिकारी अवतारपुरी ने बताया- करीब 30 साल पहले कि बात है, संत महेश्वरानंद जर्मनी में थे। इस दौरान उनका एक शिष्य जो जर्मनी में रिपोर्टर था। वह इंडिया घूमकर वापस आया था। उन्होंने उससे सवाल किया कि तुम्हें इंडिया में क्या अच्छा लगा। तो उसने कई पैलेस के नाम बताए और बताया कि वह इंडिया टूर के दौरान ताजमहल नहीं देख सका।

इसलिए दोबारा इंडिया टूर होने पर वह ताजमहल देखना चाहेगा। विदेशी रिपोर्टर के इस भाव को जानकर संत महेश्वरानंद के मन में यह सवाल आया कि क्यों न मैं भारत में कुछ ऐसी इमारत बनाऊं जो यूनीक हो। उसे देखने देश-विदेश से लोग पहुंचे।

इस पर उन्होंने अपने गुरु माधवानंद से भी चर्चा की। एक दिन उन्हें सपने में ओम् की ध्वनि सुनाई दी। उन्होंने तुरंत ओम् आकार का शिव मंदिर बनाने का संकल्प लिया और दो साल बाद उस पर काम शुरू किया। 1995 में मंदिर की नींव रखी और अब नतीजा सभी के सामने है।

ड्रोन से लिया गया ओम् आश्रम का दृश्य।

ड्रोन से लिया गया ओम् आश्रम का दृश्य।

कई उपाधियों से हुए सम्मानित

संत महेश्वरानंद को विश्व उन्नयन संसद ने डॉक्टर ऑफ योगा, ब्रहाऋषि, विश्व योग रत्न एवं प्रोफेसर ऑफ स्प्रीच्युअल साइंस इन योगा, महानिर्वाणी अखाड़ा द्वारा महामंडलेश्वर, ब्रिटिश सरकार व विश्व धर्म संसद द्वारा भारत गौरव, संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा विश्व शांति दूत एवं काशी विद्वत परिषद द्वारा विश्व गुरु की उपाधि से सम्मानित किया गया है।

ओम् आश्रम में शिव मंदिर को धौलपुर के गुलाबी बंशी पहाड़पुर पत्थर से निर्मित किया गया है।

ओम् आश्रम में शिव मंदिर को धौलपुर के गुलाबी बंशी पहाड़पुर पत्थर से निर्मित किया गया है।

10 फरवरी से शुरू हुए प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम

शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 10 फरवरी से शुरू हो गया था। इस दौरान शिव महापुराण कथा का आयोजन 10 से 18 फरवरी तक किया गया। संत चिदम्बरानंद सरस्वती ने कथा वाचन किया। कथा के दौरान भक्तों के लिए भोजन प्रसाद की व्यवस्था की गई। कथा के दौरान रोजाना 5 हजार भक्तों का भोजन बना।

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए विदेशों से 2200 मेहमान आए हुए हैं। उनके रहने के लिए आश्रम परिसर में अस्थायी कॉटेज बनाकर सभी व्यवस्थाएं की गई हैं।

विश्वदीप गुरुकुल (ओम आश्रम जाडन) के सचिव स्वामी फूलपुरी के अनुसार- दुनिया में ओम् आकार का यह एक मात्र शिव मंदिर है। इसे बनने में 28 साल का वक्त लगा। 250 एकड़ के आश्रम में मंदिर बीचों बीच बना है। मंदिर के बीच में विश्वदीप गुरुकुल के संस्थापक स्वामी माधवानंद की समाधि है। सबसे ऊपर के भाग में ज्योतिर्लिंग है। चार मंजिला इमारत में स्कूल-कॉलेज होंगे, इसका निर्माण विश्वदीप गुरुकुल ट्रस्ट ने कराया है।

ओम् आश्रम में स्थित द्वादशज्योतिलिंग।

ओम् आश्रम में स्थित द्वादशज्योतिलिंग।

ओम् आश्रम में स्थित नंदी की प्रतिमा।

ओम् आश्रम में स्थित नंदी की प्रतिमा।

अभी तक यह आयोजन हुए

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 10 फरवरी को हेमादी श्रवण प्रायश्चित हवन, दशविध स्नान, मण्डप रचना शुद्धिकरण से शुरू हुए। 11 फरवरी को गणेश पूजन, स्वस्ति पुण्याहवाचन, मंडप प्रवेश, वर्णार्चन-मंडपादी, आवाहित स्थापित देवता पूजन हुआ। 12 फरवरी को शिव महापूजन, सहस्त्रार्चन, पंच वक्र पूजन स्थापित देवता पूजन, मंडप देवता पूजन किया गया।

इसके बाद 13 फरवरी को अग्नि स्थापन गणेश महापूजन, सहस्त्र मोदकार्पण, ग्रह होम श्री ललिता सहस्त्रार्चन, श्री ललिता सहस्त्र होम किया गया। 14 फरवरी वसंत पंचमी को महारुद्र प्रारम्भ किया गया, मां सरस्वती की पूजन शोभा यात्रा निकाली गई और गंगा कलश यात्रा की गई। 15 फरवरी को कुटीर होम, प्रासाद वास्तु, शिखर एवं मूर्ति संस्कार महारुद्र हवन और पार्थिश्वर शिव महापूजा की गई।

आश्रम में शिव महापुराण कथा सुनते भक्त। कथा 10 से 18 फरवरी तक हुई थी।

आश्रम में शिव महापुराण कथा सुनते भक्त। कथा 10 से 18 फरवरी तक हुई थी।

16 फरवरी को एकादश महारुद्र न्यास, अर्न्तमामका, आवरण महापूजा जलाधिवास, धान्याधिवास के कार्यक्रम हुए। 17 फरवरी को शिखर मूर्ति फलाधिवास, पुष्पाधिवास, श्रीअधिवास स्थापित देवता पूजन, शिव सहस्त्र नाम हवन किया गया। 18 फरवरी श्री शिवार्चन सहस्त्र कमलार्चन, बिल्व पत्र अर्चन, स्थापित देवता पूजन, महारुद्र याग-पूर्ण तत्व न्यास और शैयाधिवास-शयनविद्रि संस्कार किए गए।

पाली के जाडन में विश्वदीप गुरुकुल की स्थापना करने वाले संत माधवानंद की प्रतिमा। उनके शिष्य संत महेश्वरानंद ने इसे यूरोपीय देश चेक रिपब्लिक से बनवाया है ।

पाली के जाडन में विश्वदीप गुरुकुल की स्थापना करने वाले संत माधवानंद की प्रतिमा। उनके शिष्य संत महेश्वरानंद ने इसे यूरोपीय देश चेक रिपब्लिक से बनवाया है ।

शिव मंदिर के जगमोहन में बैठे भक्त।

शिव मंदिर के जगमोहन में बैठे भक्त।

मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रमों का प्रसारण एलईडी स्क्रीन लगाकर भी किया जा रहा है।

मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रमों का प्रसारण एलईडी स्क्रीन लगाकर भी किया जा रहा है।

शिव पुराण कथा सुनते भक्त।

शिव पुराण कथा सुनते भक्त।

निर्माण काल के दौरान शिव मंदिर।

निर्माण काल के दौरान शिव मंदिर।

मंदिर की कलश यात्रा में शामिल विदेशी भक्त।

मंदिर की कलश यात्रा में शामिल विदेशी भक्त।

रोशनी में नहाया शिव मंदिर।

रोशनी में नहाया शिव मंदिर।

संत महेश्वरानंद से आशीर्वाद लेते युवा संत।

संत महेश्वरानंद से आशीर्वाद लेते युवा संत।

मंदिर में नंदी प्रतिमा का अवलोकन करते संत और अन्य मेहमान।

मंदिर में नंदी प्रतिमा का अवलोकन करते संत और अन्य मेहमान।

मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम 10 फरवरी महा शिव पुराण कथा के साथ आरंभ हुए थे।

मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम 10 फरवरी महा शिव पुराण कथा के साथ आरंभ हुए थे।

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