सीएस सुधांश पंत अचानक हाउसिंग बोर्ड का निरीक्षण करने पहुंचे:कमिश्नर-सचिव के चेंबर मिले खाली; हर सेक्शन में फाइलें मांगी और रिपोर्ट देखी
जयपुर
मुख्य सचिव सुधांश पंत गुरुवार सुबह अचानक हाउसिंग बोर्ड मुख्यालय पहुंच गए। सुबह करीब 9.15 बजे मुख्यालय पहुंचे सुधांश पंत ने सबसे पहले पहली मंजिल पर चीफ इंजीनियर, कमिश्नर समेत अन्य ऑफिसर्स के चेंबर का दौरा किया। इस दौरान उनको कमिश्नर इंद्रजीत सिंह और सचिव सीमा कुमारी अपने चेंबर में नहीं मिले।
मुख्य सचिव के दौरे की सूचना मिलने पर कमिश्नर करीब 9.35 बजे मुख्यालय पहुंचे। सचिव सीमा कुमारी भी मुख्य सचिव के पहुंचने के 15 मिनट बाद मुख्यालय पहुंचीं।
सुधांश पंत ने पहली मंजिल पर चीफ इंजीनियर, कमिश्नर समेत अन्य ऑफिसर्स के चेंबर का दौरा किया। इस दौरान कमिश्नर इंद्रजीत सिंह और सचिव सीमा कुमारी अपने चेंबर में नहीं मिले।
पंत मुख्यालय की तीसरी मंजिल तक बने चेंबर और सेक्शन में गए। वहां कर्मचारियों की उपस्थिति देखी और फाइलों की पेंडेंसी देखी। पंत के दौरे की सूचना मिलने के बाद एक-एक करके अधिकारियों और कर्मचारियों का बोर्ड मुख्यालय पहुंचना शुरू हो गया।
कर्मचारियों से काम की डिस्पोजल टाइमिंग पर बात की
देरी से पहुंचने पर कमिश्नर खुद मुख्य सचिव के साथ एक-एक सेक्शन में गए और वहां की कार्यप्रणाली के बारे में मुख्य सचिव को बताया। इस दौरान मुख्य सचिव ने एक-एक सेक्शन में कर्मचारियों से रेंडमली फाइलों को मांगा और उनकी स्टेट्स रिपोर्ट देखी। मुख्य सचिव ने वहां मौजूद कर्मचारियों से उनके काम के बारे में पूछा और उनकी काम की डिस्पोजल टाइमिंग पर भी बात की।
पंत ने एक-एक सेक्शन में रेंडमली फाइलें मांगी और उनकी स्टेट्स रिपोर्ट देखी
जेडीए का भी औचक निरीक्षण किया था
बता दें कि सरकार गुड गर्वनेंस और आमजन को राहत देने के उद्देश्य से सरकारी विभागों में अधिकारियों-कर्मचारियों की टाइमिंग पर विशेष ध्यान दे रही है, ताकि आमजन के काम समय पर हो सके। इसको देखते हुए खुद मुख्य सचिव सुधांश पंत पिछले डेढ़ महीने के दौरान कलेक्ट्रेट, जेडीए और नगर निगम समेत कई विभागों का औचक निरीक्षण कर चुके हैं। जेडीए के निरीक्षण के दौरान जेडीए सचिव, जोन उपायुक्त और अतिरिक्त आयुक्त के चेंबर में नहीं मिलने पर उनको एपीओ कर दिया था।
2002 में जयपुर कलेक्टर रह चुके हैं पंत
1991 बैच के सीनियर आईएएस अधिकारी सुधांश पंत जयपुर में कलेक्टर रह चुके हैं। सरकार ने उन्हें अगस्त 2002 में जयपुर कलेक्टर बनाया था। इससे पहले वे ट्रेनिंग के दौरान 1994 में जयपुर उपखण्ड अधिकारी के तौर पर काम कर चुके हैं। 2010 में जयपुर विकास प्राधिकरण के आयुक्त रह चुके हैं।
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