DEFENCE / PARAMILITARY / NATIONAL & INTERNATIONAL SECURITY AGENCY / FOREIGN AFFAIRS / MILITARY AFFAIRS

चीन से ज्यादा भारत की निगरानी करता है USA:आपकी हर चैट, रील और पोस्ट पर देश ही नहीं विदेश में भी नजर

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

*CURATED BY SAHIL PATHAN*

*भारत की खुफिया एजेंसी रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग)* मॉरीशस में जाकर लोगों के इंटरनेट अकाउंट्स में तांक-झांक को लेकर विवादों में घिर गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में ही लोगों के इंटरनेट की मॉनिटरिंग सरकारी एजेंसियां कर रही हैं? शायद आपने इसके बारे में सुना हो…लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमेरिका की खुफिया एजेंसी NSA भी आपके ई-मेल या वॉट्सऐप चैट पर नजर रखती है?
2013 में NSA के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडन के लीक दस्तावेजों में यह बात सामने आई थी कि अमेरिका पूरी दुनिया में फाइबर ऑप्टिक टैप के जरिये लोगों के इंटरनेट ट्रैफिक पर नजर रखता है। खास बात ये है कि इन दस्तावेजों में लीक हुए एक मैप के मुताबिक अमेरिका की खुफिया एजेंसी चीन से भी ज्यादा डेटा भारत और पाकिस्तान से इकट्‌ठा करती है। उस समय यह सामने आया था कि अमेरिका की निगरानी लिस्ट में भारत 5वें नंबर पर है। भारत से 63 करोड़ इंटेलिजेंस सूचनाएं अमेरिका ने ली थीं। मगर तब से आज तक किसी भी सरकार या विपक्षी दल ने इसे मुद्दा नहीं बनाया। कारण…सरकार खुद भी आपके डेटा पर निगाह रखती है।
आपकी इंस्टाग्राम रील या फेसबुक पोस्ट पर कौन-कौन निगाह रखता है? यह होता कैसे है और क्या ऐसा करना कानूनी है? जानिए, आपके इन सारे सवालों के जवाब…

*पहले जानिए, मॉरीशस को लेकर क्यों मचा है बवाल*
*चीन बना रहा था टेलीकॉम इंटेलिजेंस बेस*
2015 में चीन की टेलीकॉम कंपनी हुआवेई को मॉरीशस की राजधानी में सर्विलांस सिस्टम इंस्टॉल करने का ठेका मिला। इसमें मॉरीशस टेलीकॉम कंपनी के CEO और प्रधानमंत्री प्रवींद जगुनॉथ के करीबी शेरी सिंह की भूमिका अहम मानी जा रही थी। इस प्रोजेक्ट पर काम के दौरान ही हुआवेई को मॉरीशस के दूसरे सबसे बड़े शहर रॉडरीगज तक हाई स्पीड इंटरनेट पहुंचाने के लिए 700 किलोमीटर अंडर-सी इंटरनेट केबल बिछाने का ठेका भी मिल गया। यह संदेह जताया जाने लगा कि इस बहाने चीन मॉरीशस में अपना टेली-कम्युनिकेशन इंटेलिजेंस बेस बना सकता है। सबसे बड़ा खतरा आगालेगा द्वीप पर भारत के बनाए मेरीटाइम इंटेलिजेंस बेस को था।

*भारत को सीधा खतरा था…रॉ की मौजूदगी के खुलासे पर विवाद*
पिछले माह मॉरीशस टेलीकॉम के CEO शेरी सिंह ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि प्रधानमंत्री ने उन्हें आदेश दिया था कि भारतीय खुफिया एजेंसी को बेई-ड्यु-जाकाटे द्वीप पर बने सबमरीन केबल स्टेशन का एक्सेस दे दें। इसे मॉरीशस की विपक्षी पार्टियों ने देश की संप्रभुता पर खतरा बताते हुए प्रधानमंत्री से इस्तीफा तक मांग लिया। प्रधानमंत्री प्रवींद जगुनॉथ खुले तौर पर कह चुके हैं कि चीन की मंशा पर शक की वजह से उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी थी। भारत ने अब तक इस पूरे मसले पर आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है।

*राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्राइवेसी का हनन*
इंटरनेट की निगरानी करने वाले सभी देश यह दावा करते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह जरूरी है। यह भी दावा किया जाता है कि डेटा के समुद्र से मिले संदेशों के आधार पर कई बड़ी आतंकवादी घटनाओं को भी रोका गया है। हालांकि, इसका कोई भी ठोस आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare
error: Content is protected !!