कांग्रेस के लिए गहलोत और पायलट दोनों जरूरी, संगठन को देखते हुए उचित हल निकालेंगे- जयराम रमेश
नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा कांग्रेस नेता सचिन पायलट को ‘‘गद्दार’’ कहे जाने को शुक्रवार को ‘‘अप्रत्याशित’’ करार दिया. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस को दोनों नेताओं की जरूरत है और राजस्थान के मसले का उचित हल व्यक्तियों को देखते हुए नहीं, बल्कि पार्टी संगठन को प्राथमिकता देकर निकाला जाएगा.
कांग्रेस के संचार, प्रचार और मीडिया विभाग के प्रभारी महासचिव रमेश इन दिनों राहुल गांधी की अगुवाई वाली ‘‘भारत जोड़ो यात्रा‘‘ में शामिल हैं. पायलट को गहलोत द्वारा ‘‘गद्दार’’ कहे जाने को लेकर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर उन्होंने सनावद में संवाददाताओं से कहा कि गहलोत, कांग्रेस के वरिष्ठ और अनुभवी नेता हैं. लेकिन उनके द्वारा एक साक्षात्कार में (पायलट के लिए) जिस शब्द (गद्दार) का इस्तेमाल किया गया, वह अप्रत्याशित था और इससे मुझे भी आश्चर्य हुआ.
रमेश ने कांग्रेस को एक परिवार बताया और कहा कि पार्टी को गहलोत और पायलट, दोनों की जरूरत है. कुछ मतभेद हैं जिनसे हम भाग नहीं रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व द्वारा राजस्थान से जुड़े मसले का उचित हल निकाला जाएगा. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि …लेकिन यह हल कांग्रेस संगठन को प्राथमिकता देते हुए निकाला जाएगा. हम व्यक्तियों के आधार पर कोई हल नहीं निकालेंगे. रमेश ने पायलट की तारीफ करते हुए उन्हें कांग्रेस का ‘‘युवा, ऊर्जावान, लोकप्रिय और चमत्कारी नेता’’ करार दिया.
गौरतलब है कि गहलोत ने एनडीटीवी को दिए साक्षात्कार में पायलट को ‘‘गद्दार’’ करार देते हुए कहा है कि उन्होंने वर्ष 2020 में कांग्रेस के खिलाफ बगावत की थी और गहलोत नीत सरकार गिराने की कोशिश की थी इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता.
राजस्थान में कांग्रेस की आंतरिक कलह बढ़ती नजर आ रही:
पायलट को लेकर गहलोत के इस बयान से राजस्थान में कांग्रेस की आंतरिक कलह बढ़ती नजर आ रही है, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. यह बयान ऐसे वक्त दिया गया, जब राहुल गांधी नीत ‘‘भारत जोड़ो यात्रा’’ की राजस्थान में चार दिसंबर को दाखिल होने की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. गहलोत की बयानबाजी से कांग्रेस की भारी फजीहत के बीच रमेश ने राजस्थान के मुख्यमंत्री का नाम लिए बगैर कहा कि कांग्रेस के नेता बिना किसी डर के अपने मन की बात कहते हैं क्योंकि पार्टी आलाकमान तानाशाही के आधार पर कोई निर्णय नहीं लेता. कांग्रेस और भाजपा में यही फर्क है.
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