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गांधी जयंती पर बच्चों को गुड टच और बेड टच के बारे में जागरूक करने का अनूठा प्रयास

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गांधी जयंती पर बच्चों को गुड टच और बेड टच के बारे में जागरूक करने का अनूठा प्रयास

जयपुर : गांधी जयंती के अवसर पर, स्पर्श वालेंटियर रेहाना चिश्ती और उनके विद्यालय के बच्चों की टीम ने एक अभिनव पहल के तहत बच्चों को गुड टच और बेड टच के महत्व के बारे में जागरूक करने का बीड़ा उठाया। इस आयोजन का उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित स्पर्श के बारे में शिक्षा देना और उन्हें आत्म-सुरक्षा के लिए प्रेरित करना था।

रेहाना और उनकी टीम ने इस गतिविधि को और भी रोचक बनाने के लिए गांधी जी और उनके तीन बंदरों के पपेट्स तैयार किए। इस दौरान, गांधी जी बच्चों को स्पर्श की छड़ी के माध्यम से गुड टच के बारे में समझाते दिखाई दिए, जबकि उनके दूसरे हाथ में चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 को लेकर बच्चों को जानकारी दी गई।

तीन बंदरों का संदेश

इस गतिविधि में शामिल तीन बंदरों में से पहला बंदर बच्चों को नो का संदेश देता है, जिससे वे बुरे स्पर्श को रोकने और उसका विरोध करने के लिए प्रेरित होते हैं। दूसरा बंदर गो का संदेश देकर बच्चों को बुरे व्यक्तियों से बचने के लिए प्रेरित करता है, जबकि तीसरा बंदर टैल का संदेश देकर बच्चों को यह बताता है कि उन्हें अपने साथ हुए दुर्व्यवहार की जानकारी अपने बड़ों को देनी चाहिए।

शैक्षिक मेले में सराहना

इस पहल का आयोजन एक शैक्षिक किशोरी मेले में किया गया, जहां रेहाना और उनके बच्चों के इस क्रिएटिव मॉडल ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। उपस्थित लोगों ने इस अनूठे प्रयास की सराहना की और बच्चों के साथ इस विषय पर संवाद को महत्वपूर्ण बताया।

रेहाना चिश्ती ने इस मौके पर बताया, “2 अक्टूबर को गांधी जी और शास्त्री जी की जयंती पर कुछ नया करने का विचार आया। पिछले कई वर्षों से बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाओं को देखते हुए, मैं गुड टच और बेड टच पर कार्य कर रही हूं। पिछले वर्ष श्री नवीन जैन जी (आईएएस) के साथ जुड़ने के बाद, उनके द्वारा दिए गए प्रोत्साहन से मेरा यह अभियान और गति पकड़ पाया।”

सफल प्रयोग का परिणाम

उन्होंने आगे कहा, “इसलिए गांधी जयंती के अवसर पर गांधी जी और उनके तीन बंदरों को इस अभियान से जोड़ने का विचार आया। हमारा यह प्रयोग सफल रहा, और शैक्षिक मेले में सभी को हमारा प्रयास अत्यधिक पसंद आया।”

कक्षा 10 के छात्रों दिलखुश, तोसीफ, आमीन और छात्रा चंचल ने इस कार्यक्रम में सराहनीय कार्य किया, जिससे यह पहल और भी सफल हुई।

इस तरह के जागरूकता अभियानों की आवश्यकता आज के दौर में अत्यंत महत्वपूर्ण है, जहां बच्चों को आत्म-सुरक्षा और सही-सही जानकारी देने का प्रयास किया जा रहा है। गांधी जयंती पर इस तरह की अनूठी पहल ने साबित कर दिया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में भी होना चाहिए।

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