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राजस्थान में धर्मांतरण का बड़ा खेल: लालच, डर, विदेशी फंडिंग और सांस्कृतिक पहचान पर हमला

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BY DEFENCE JOURNALIST SAHIL | T.I.N. NETWORK

राजस्थान में धर्मांतरण का बड़ा खेल: लालच, डर, विदेशी फंडिंग और सांस्कृतिक पहचान पर हमला

जयपुर/अजमेर/भरतपुर/कोटा/उदयपुर/हनुमानगढ़
राजस्थान की धरती, जो कभी वीरता, परंपराओं और सांस्कृतिक गौरव के लिए जानी जाती थी, आज एक नई और बेहद गंभीर चुनौती का सामना कर रही है — राज्य के कोने-कोने में गुपचुप तरीके से हो रहे धर्मांतरण का। गरीबी, बीमारी, शिक्षा की कमी और लालच का फायदा उठाकर, आदिवासी, दलित और आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को निशाना बनाया जा रहा है।

पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान के अंदर ईसाई मिशनरियों द्वारा चलाए जा रहे कथित धर्मांतरण के मामलों ने न सिर्फ सामाजिक ताने-बाने को झकझोरा है बल्कि सुरक्षा एजेंसियों और सरकार को भी सतर्क कर दिया है। अब प्रदेश में जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए धर्म परिवर्तन विधेयक लाया गया है, लेकिन इससे पहले की जांच-पड़ताल में जो सच्चाई सामने आई है, वह बेहद चौंकाने वाली है।


मंजा की आत्महत्या ने खोली धर्मांतरण की पोल

खैरथल की रहने वाली मंजा की आत्महत्या ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया। इसी साल 21 जनवरी को हिंदू रीति-रिवाज से मंजा की शादी लक्ष्मण से हुई थी, लेकिन शादी के कुछ दिन बाद ही उसे पता चला कि उसका पति पहले ही ईसाई बन चुका है और अब वह मंजा पर भी धर्म बदलने का दबाव बना रहा है।

मंजा ने धर्म परिवर्तन से इनकार किया, लेकिन लगातार मानसिक प्रताड़ना, धमकी और दबाव ने उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी। मजबूर होकर 14 जून को उसने आत्महत्या कर ली। मरने से पहले उसने 2 मिनट 12 सेकंड का एक वीडियो बनाया, जिसमें उसने स्पष्ट तौर पर कहा कि राजस्थान में किस तरह भोले-भाले लोगों को दबाव और लालच देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है।


राजस्थान के जिलों में कैसे हो रहा है धर्मांतरण

जयपुर: झुग्गी-बस्तियों में गहरी घुसपैठ, मुफ्त सुविधा के बहाने धर्मांतरण

राजधानी जयपुर के शास्त्री नगर, झोटवाड़ा, सांगानेर, सोडाला और वैशाली नगर की झुग्गी-बस्तियों में मिशनरी संगठन सक्रिय हैं। गरीबों को मुफ्त राशन, शिक्षा, इलाज और नकद पैसे का लालच देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है। जांच में विदेशी फंडिंग का बड़ा रोल सामने आया है। स्थानीय प्रशासन को सब पता होने के बावजूद, राजनीतिक दबाव और समाज की चुप्पी के चलते ये षड्यंत्र वर्षों से चल रहे हैं।

अजमेर: चमत्कारी इलाज के नाम पर लोगों को बहकाया जा रहा, धार्मिक स्थलों के आसपास गतिविधियां तेज

अजमेर के केकड़ी, नसीराबाद और पुष्कर में मिशनरी संगठन ‘चंगाई सभा’ और ‘हीलिंग कैंप’ के नाम पर भीड़ जुटाते हैं। यहां पहले बीमारियों का चमत्कारी इलाज दिखाया जाता है, फिर लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया जाता है। अजमेर शरीफ और पुष्कर जैसे धार्मिक स्थलों के आसपास भी ईसाई प्रचारक तेजी से सक्रिय हो रहे हैं, जिससे स्थानीय धार्मिक संतुलन पर खतरा मंडरा रहा है।

अलवर: महिलाएं और बच्चे मुख्य निशाने पर, गांव-गांव फैला नेटवर्क

अलवर के कोटकासिम, बहरोड़, भिवाड़ी और रामगढ़ क्षेत्रों में मिशनरियों का नेटवर्क बेहद संगठित और गहरा है। खासतौर पर महिलाओं और बच्चों को कपड़े, राशन, शिक्षा और इलाज के बहाने फंसाया जाता है। विदेशी एनजीओ और स्थानीय एजेंटों की सांठगांठ से यह नेटवर्क लगातार मजबूत होता जा रहा है।

भरतपुर: खुलेआम हिंदू देवताओं का अपमान, नाकाफी पुलिस कार्रवाई

भरतपुर के मथुरा गेट, चिकसाना और गोवर्धन रोड क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। जुलाई 2024 में चंगाई सभा के दौरान खुलेआम हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया गया, जिससे पूरे इलाके में आक्रोश फैल गया। पुलिस ने 40 लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन मुख्य षड्यंत्रकारी अभी भी फरार हैं। दलित समाज, विशेषकर जाटव समुदाय के गरीब परिवार मुख्य निशाने पर हैं।

खैरथल-तिजारा (अलवर): मंजा की आत्महत्या ने खोली षड्यंत्र की पोल

21 जनवरी 2025 को मंजा की हिंदू परंपरा से शादी हुई थी। पांच दिन बाद ही पता चला कि उसका पति ईसाई धर्म अपना चुका है। मंजा पर भी धर्म बदलने का दबाव बनाया गया। प्रताड़ना और मानसिक तनाव से तंग आकर मंजा ने 14 जून को आत्महत्या कर ली। मरने से पहले उसने 2.12 मिनट का वीडियो बनाया, जिसने धर्मांतरण की गहरी साजिश का सच उजागर कर दिया।

बांसवाड़ा: आदिवासी इलाकों में मिशनरियों की साजिश, अशिक्षा और गरीबी का फायदा

कुशलगढ़, गढ़ी और बागीदोरा जैसे इलाकों में आदिवासी समाज को बीमारी, मुफ्त मकान, शिक्षा और रोजगार का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। स्थानीय चर्च और विदेशी संस्थाओं की संदिग्ध भूमिका सामने आई है। आदिवासी समाज की अशिक्षा और गरीबी का मिशनरी संगठन खुलकर फायदा उठा रहे हैं।

सिरोही: आबूरोड-माउंट आबू में विदेशी फंडिंग से मिशनरी नेटवर्क मजबूत

सिरोही के आबूरोड और माउंट आबू में विदेशी फंडिंग से ईसाई मिशनरियों का नेटवर्क तेजी से फैल रहा है। गरीबों और आदिवासियों को मुफ्त मकान, नौकरी, शिक्षा और इलाज का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इन इलाकों में विदेशी नागरिकों की बढ़ती आवाजाही खुफिया एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है।

डूंगरपुर: भील समाज को निशाना बना रहे हैं, सामूहिक भोज और प्रार्थना के बहाने

डूंगरपुर के सागवाड़ा, आसपुर और गालियाकोट इलाकों में भील समाज को धर्म परिवर्तन के लिए बहकाया जा रहा है। सामूहिक भोज, नकद पैसे, चमत्कारी इलाज और प्रार्थना सभाओं के जरिए लोगों को जाल में फंसाया जाता है। लगातार विरोध के बावजूद प्रशासन की ढिलाई मिशनरियों को बढ़ावा दे रही है।

दौसा: सुदूर गांवों में गुप्त मिशनरी गतिविधियां, लालच और धमकी का खेल

दौसा के बंदीकुई, महवा, सिकंदरा और बासवा क्षेत्रों में गुप्त सभाओं के जरिए गरीब ग्रामीणों को पैसे, इलाज और नौकरी का लालच देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है। जो लोग मना करते हैं, उन्हें डराया-धमकाया जाता है।

झुंझुनूं: महाराष्ट्र-पुणे के प्रचारक खुलेआम हिंदू धर्म का अपमान कर रहे

डुमोली खुर्द गांव में अक्टूबर 2024 में सोलापुर और पुणे से आए प्रचारकों ने हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया और ईसाई धर्म अपनाने पर समृद्धि का लालच दिया। पुलिस में एफआईआर के बावजूद मुख्य षड्यंत्रकारी खुले घूम रहे हैं।

श्रीगंगानगर: पंजाब सीमा से मिशनरियों की घुसपैठ, मजदूर वर्ग निशाने पर

सीमावर्ती गांवों में मजदूरों और गरीबों को बेहतर जीवन और ऊंची मजदूरी का लालच देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है। पंजाब से सटी सीमा से मिशनरियों की घुसपैठ बढ़ रही है, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही।

हनुमानगढ़: नहर में जबरन डुबकी लगवाकर बपतिस्मा, ग्रामीणों में आक्रोश

संगरिया क्षेत्र में अप्रैल 2024 में 20 लोगों को नहर में जबरन डुबकी लगवाकर बपतिस्मा दिया गया। पुलिस ने कुछ लोगों को पकड़ा लेकिन मुख्य षड्यंत्रकारी बच निकले, जिससे इलाके में तनाव फैल गया।

सलूंबर (उदयपुर): गरीब-आदिवासियों को मकान, नौकरी, इलाज का झांसा

सलूंबर में मकान, नकद पैसे, इलाज और शिक्षा का लालच देकर गरीब और आदिवासी परिवारों का धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश जारी है। ग्रामीणों के विरोध के बावजूद प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा।


अंतरराष्ट्रीय साजिश की आशंका, विदेशी फंडिंग पर शक

खुफिया एजेंसियों की मानें तो यह सिर्फ धर्मांतरण का मामला नहीं बल्कि एक गहरी साजिश है, जिसमें विदेशी फंडिंग, एनजीओ नेटवर्क और मिशनरियों की अहम भूमिका है।

राजस्थान के जिन इलाकों में ये गतिविधियां तेज हैं, वो संवेदनशील भी हैं। खासतौर पर सिरोही, बाड़मेर, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़, जहां से पाकिस्तान सीमा बेहद नजदीक है। सूत्रों के मुताबिक, कई ईसाई मिशनरी संगठन विदेशों से फंडिंग लेकर राज्य के गरीब और आदिवासी तबकों को टारगेट कर रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ धार्मिक परिवर्तन नहीं बल्कि सांस्कृतिक और राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश है।


आदिवासी इलाकों पर विशेष फोकस

बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर, कोटा, प्रतापगढ़ जैसे आदिवासी बहुल इलाकों में धर्मांतरण की गतिविधियां सबसे ज्यादा देखी गई हैं। इन इलाकों में गरीबी, शिक्षा की कमी और मूलभूत सुविधाओं की कमजोर पहुंच का फायदा उठाकर लोगों को लालच दिया जा रहा है।

भिल, गरासिया और मीणा समाज के लोग इस साजिश के सबसे बड़े शिकार हैं। स्थानीय संगठन लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि अगर यह खेल नहीं रुका तो इससे राज्य की सांस्कृतिक पहचान खत्म हो सकती है।


राजस्थान में सख्त धर्म परिवर्तन विधेयक लागू

प्रदेश सरकार ने बढ़ते धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए धर्म परिवर्तन विधेयक पेश किया है। इसके तहत:

  • जबरन धर्म परिवर्तन पर 3 से 10 साल की जेल।
  • मर्जी से धर्म बदलने पर 60 दिन पहले कलेक्टर को सूचना देना अनिवार्य।
  • लव जिहाद के मामलों में विवाह कोर्ट द्वारा रद्द किया जा सकता है।
  • यह अपराध गैर-जमानती होगा।
  • दोबारा अपराध करने पर सजा दोगुनी।

सरकार का कहना है कि यह कानून जरूरी है ताकि प्रदेश में चल रही कथित साजिशों पर लगाम लगाई जा सके। वहीं कुछ मानवाधिकार संगठनों ने इसके दुरुपयोग की आशंका भी जताई है।


क्या यह सिर्फ धर्म परिवर्तन है या बड़ा षड्यंत्र?

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान में धर्मांतरण की यह गतिविधियां सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि सामरिक दृष्टि से भी चिंता का विषय हैं। पाकिस्तान सीमा से सटे इलाकों में हो रही ऐसी घटनाएं संदेह पैदा करती हैं कि कहीं यह राष्ट्र विरोधी शक्तियों द्वारा भारत की एकता, अखंडता और सुरक्षा पर हमला करने की साजिश तो नहीं?

विशेष रूप से यह देखा जा रहा है कि जिन इलाकों में धर्मांतरण तेज है, वहीं भारत की सीमा सुरक्षा बल, आर्मी और सामरिक महत्व के क्षेत्र भी मौजूद हैं। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियां अब इस पूरे मामले पर कड़ी नजर रख रही हैं।


समाज को जागरूक करने की जरूरत

विशेषज्ञों का कहना है कि केवल कानून से इस साजिश को नहीं रोका जा सकता। इसके लिए समाज को जागरूक करना जरूरी है। गरीब, आदिवासी और कमजोर तबकों में शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुंच हो, तभी इन षड्यंत्रों को रोका जा सकेगा।


राजस्थान की अस्मिता पर खतरा

राजस्थान में धर्मांतरण का यह खेल न केवल धार्मिक पहचान पर हमला है बल्कि राज्य की सांस्कृतिक अस्मिता, सामाजिक एकता और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती है।

मंजा की मौत, चंगाई सभाएं, लालच, विदेशी फंडिंग और सीमा के नजदीक मिशनरियों की बढ़ती गतिविधियां यह बताती हैं कि राजस्थान आज एक खामोश लेकिन गंभीर खतरे का सामना कर रहा है।

समय रहते अगर यह खेल नहीं रुका, तो सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि भारत की अखंडता भी खतरे में पड़ सकती है।


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