DEFENCE / PARAMILITARY / NATIONAL & INTERNATIONAL SECURITY AGENCY / FOREIGN AFFAIRS / MILITARY AFFAIRS

CRPF-BSF: बॉर्डर-आंतरिक सुरक्षा को मिलेगी नई ताकत, दोनों बलों में ’57’ नई बटालियन; खुलेगा पदोन्नति का पिटारा

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

CRPF-BSF: बॉर्डर-आंतरिक सुरक्षा को मिलेगी नई ताकत, दोनों बलों में ’57’ नई बटालियन; खुलेगा पदोन्नति का पिटारा

सीआरपीएफ और बीएसएफ में ’57’ नई बटालियनों के सृजन को मंजूरी दी गई है। इससे बॉर्डर और आंतरिक सुरक्षा को नई ताकत मिलेगी। साथ ही दोनों बलों में पदोन्नति की समस्या से जूझ रहे कैडर अधिकारी एवं निचला स्टाफ भी राहत महसूस करेगा।

देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ और ‘फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस’ सीमा सुरक्षा बल में ’57’ नई बटालियनों के सृजन को मंजूरी दी गई है। इससे बॉर्डर और आंतरिक सुरक्षा को नई ताकत मिलेगी। साथ ही दोनों बलों में पदोन्नति की समस्या से जूझ रहे कैडर अधिकारी एवं निचला स्टाफ भी राहत महसूस करेगा। हालांकि ये राहत वन टाइम होगी। दोनों ही बलों में इंस्पेक्टर से लेकर कमांडेंट और डीआईजी रैंक तक में नए पद सृजित होंगे। सूत्रों का कहना है, लंबे समय से सीआरपीएफ में 35 और बीएसएफ में 22 बटालियनों के सृजन की फाइल गृह मंत्रालय में विचाराधीन थी। सूत्रों के मुताबिक, इस फाइल को शीर्ष नेतृत्व की मंजूरी मिल गई है। हालांकि अभी आधिकारिक आदेश आना बाकी है। फिलहाल ये तय नहीं है कि सीआरपीएफ व बीएसएफ की नई बटालियनों के सृजन के कितने चरण होंगे और कितना समय लगेगा।

सीआरपीएफ की बात करें तो करीब पौने तीन सौ इंस्पेक्टरों को फायदा हो सकता है। लंबे समय से पदोन्नति का इंतजार कर रहे निरीक्षकों को राहत मिल सकती है। उन्हें सहायक कमांडेंट के पद पर पदोन्नति दे दी जाएगी। 35 बटालियनों के सृजन के हिसाब से लगभग पौन दो सौ सहायक कमांडेंट डीसी बन जाएंगे। इसी तरह सौ से अधिक डिप्टी कमांडेंट, टूआईसी बन सकते हैं। 35 टूआईसी, कमांडेंट बन जाएंगे। अगर नए सेक्टर या रेंज बनती हैं तो डीआईजी के पद भी सृजित होंगे। इसी तरह बीएसएफ में भी 150 से अधिक सहायक कमांडेंट, डिप्टी कमांडेंट बन जाएंगे। 22 कमांडेंट भी बनेंगे। इनके अलावा साठ से ज्यादा टूआईसी भी बनेंगे। केंद्रीय अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ में सवा तीन सौ के करीब इंस्पेक्टरों को भी एक रैंक आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा। 

बीएसएफ के लिए दो नए सेक्टर/21 यूनिटों की बात कही जा रही है। इनमें से मिजोरम के लिए एक सेक्टर व तीन यूनिट खड़ी की जा सकती हैं। आईसीपी के लिए पांच यूनिट, सिलीगुड़ी कॉरिडोर के लिए 2 यूनिट तैयार करने की बात है। जलपाईगुड़ी में एक यूनिट और पांच यूनिट, रिजर्व बटालियन की सृजित की जा सकती हैं। इनके अलावा जम्मू से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बढ़ रहे घुसपैठ के मामलों को देखते हुए वहां भी नई यूनिटें प्रदान की जा सकती हैं। घुसपैठ रोकने के मकसद से वहां एक सेक्टर व पांच यूनिट ‘2 टीयर’ को मंजूरी मिल सकती है। 

इन दोनों बलों के जवान और अफसर, पदोन्नति के मोर्चे पर पिछड़ रहे हैं। सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर और सीधी भर्ती के जरिए बल में आने वाले सहायक कमांडेंट से कमांडेंट तक, सभी को पदोन्नति में देरी का दंश झेलना पड़ रहा है। सिपाही को हवलदार बनने में 18 से 20 साल लग रहे हैं। इंस्पेक्टर को सहायक कमांडेंट तक पहुंचने में 13 साल से ज्यादा वक्त लग रहा है तो वहीं ग्राउंड कमांडर को अपने करियर की पहली पदोन्नति के लिए 15 वर्ष का इंतजार करना पड़ रहा है। कैडर अधिकारियों की पदोन्नति का मामला तो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है, मगर कोई राहत नहीं मिल रही। 

सीआरपीएफ डीजी अनीश दयाल सिंह ने कुछ समय पहले ही कैडर अधिकारियों की पदोन्नति एवं दूसरे मुद्दों का हल निकालने के लिए ‘बोर्ड ऑफ ऑफिसर’ गठित किया था। कुछ रैंकों को फौरी तौर पर थोड़ी बहुत राहत मिल जाए, इसके लिए उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय में 35 बटालियन के सृजन का प्रस्ताव भेजा था। डीजी अनीश दयाल सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ढाई सौ से अधिक ग्राउंड कमांडरों से बातचीत की थी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान पदोन्नति के मोर्चे पर पिछड़े एक सहायक कमांडेट ने कहा, ‘प्रमोशन में विलंब है अभिशाप’। डीजी के समक्ष, जवानों के कल्याण से जुड़े कई दूसरे मुद्दे भी उठाए गए। तब डीजी ने बताया था कि बल की तरफ से केंद्रीय गृह मंत्रालय को 35 नई बटालियन के सृजन का प्रस्ताव भेजा गया है। इससे प्रमोशन में कुछ तात्कालिक राहत मिलेगी। सहायक कमांडेंट एवं इससे निचले रैंक वालों को पदोन्नति में थोड़ा बहुत फायदा होगा। सूत्रों का कहना है कि बोर्ड की रिपोर्ट सौंपी जा चुकी है, लेकिन अब उस पर कोई एक्शन नहीं हो रहा। 

‘सीआरपीएफ’ में गत वर्ष इंटेलिजेंस विंग को मजबूती प्रदान करने के बाद ‘सिग्नल’ इकाई में भी दो नई बटालियनों के गठन को मंजूरी दी गई थी। इसके चलते आंशिक तौर पर कमांडेंट, टूआईसी से लेकर सिपाही तक का भला होने की बात कही गई। पहले से मौजूद बटालियनों और नए बटालियन हेडक्वार्टर को मिलाकर बल में कुल 1034 नए पद सृजित होने का प्रस्ताव आया था। रांची (झारखंड) और खटखटी (असम) में सिग्नल के नई बटालियन हेडक्वार्टर बनाने की बात कही गई। तब सीआरपीएफ के पास सिग्नल की पांच बटालियन थी। दो नए बटालियन हेडक्वार्टर तैयार किए गए। पांच बटालियनों में भी रेशनलाइजेशन किया गया। उसके अंतर्गत 202 नए पद सृजित हुए। कई पदों को खत्म भी किया गया। सिग्नल में हवलदार का एक अहम पद होता है। हवलदार आरओ/क्रिप्टो के 69 पद खत्म कर दिए गए। कुल मिलाकर 79 मौजूदा पदों को खत्म किया गया। 

बल में 281 नए पद सृजित किए गए थे। पांच सिग्नल बटालियनों में स्टाफ की कुल संख्या 1878 रही है। पहली बटालियन में 398, दूसरी बटालियन में 390, तीसरी बटालियन में 315, चौथी बटालियन में 357 और पांचवीं बटालियन में 418 पद स्वीकृत हैं। सीआरपीएफ में रांची (झारखंड) और खटखटी (असम) में दो नए बटालियन हेडक्वार्टर स्वीकृत हुए थे। उनमें कुल 832 पद रखे गए हैं। इनमें कमांडेंट के दो पद, सेकेंड इन कमांड के दो पद, डिप्टी कमांडेंट के आठ पद, सहायक कमांडेंट के 16 पद, एसआई जीडी के दो पद, एसआई एमटी के दो पद, एएसआई जीडी के 16 पद, हवलदार जीडी 24 पद, हवलदार ड्राइवर 30 पद, सिपाही जीडी 110 पद, सिपाही ड्राइवर के 60 पद, सिपाही किचन सर्विस के 40 पद, इंस्पेक्टर आरओ/क्रिप्टो के 8 पद, इंस्पेक्टर ‘टेक्नीकल’ के 30 पद, एसआई आरओ/क्रिप्टो के 20 पद, एसआई टेक्नीकल के 12 पद, एएसआई आरओ/क्रिप्टो के 76 पद, हवलदार आरओ/क्रिप्टो के 166 पद, एसआई एमटी के 12 पद और एएसआई ‘एम’ के 22 पद शामिल हैं।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare
error: Content is protected !!