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सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग: 4 करोड़ से अधिक की चपत लगाने वाले बीकेईएसएल पर नहीं हो रही कार्रवाई, डिस्कॉम की सीएमडी के समक्ष उठे गंभीर आरोप

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सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग: 4 करोड़ से अधिक की चपत लगाने वाले बीकेईएसएल पर नहीं हो रही कार्रवाई, डिस्कॉम की सीएमडी के समक्ष उठे गंभीर आरोप

बीकानेर। जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JVVNL) के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों के हितों और सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग से जुड़े मामलों को लेकर भारतीय जनता मजदूर मंच ने डिस्कॉम की सीएमडी आईएएस आरती डोगरा से मुलाकात की। इस दौरान संगठन के प्रतिनिधियों ने पांच सूत्रीय मांग पत्र सौंपते हुए कई गंभीर आरोप लगाए। उनका दावा है कि निजी कंपनियों की लापरवाही और सरकारी तंत्र की उदासीनता के कारण न केवल कर्मचारियों को नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकार को करोड़ों रुपये की आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है।

निजीकरण से बढ़ रही अव्यवस्था

मांग पत्र में संगठन ने स्पष्ट किया कि विद्युत निगमों के निजीकरण से उपभोक्ताओं को कोई स्थायी लाभ नहीं मिल रहा है, बल्कि विद्युत तंत्र की हालत और बदतर होती जा रही है। उनका आरोप है कि सरकार और प्रबंधन द्वारा पिछले कुछ वर्षों में वितरण प्रणाली में किए गए नवाचार केवल दिखावे तक सीमित रहे हैं। उन्होंने कहा कि विद्युत तंत्र को निजी हाथों में सौंपने का निर्णय राजनीतिक और प्रशासनिक असफलताओं को छिपाने का प्रयास मात्र है।

4.2 करोड़ रुपये की चपत, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं

भारतीय जनता मजदूर मंच ने बीकेईएसएल (Bikaner Electricity Supply Limited) पर सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग और चार करोड़ बीस लाख रुपये की हानि पहुंचाने का आरोप लगाया। संगठन के अनुसार, MOU के अनुसार, पब्लिक पार्क में स्थापित कस्टमर केयर सेंटर को केवल एक साल की अवधि के लिए दिया गया था, लेकिन कंपनी ने इसे अभी तक खाली नहीं किया। इतना ही नहीं, 2018 से 2024 तक उन्होंने कोई किराया भी नहीं चुकाया, जिससे निगम को करोड़ों रुपये की हानि हुई।

इसके बावजूद, सरकार और डिस्कॉम प्रशासन द्वारा इस विषय पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है।

फर्जी शिकायतों के जरिए कर्मचारियों पर दबाव

संगठन ने आरोप लगाया कि कुछ स्वार्थी तत्व निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों पर अनैतिक रूप से दबाव बनाने के लिए फर्जी नामों से शिकायतें दर्ज करवा रहे हैं। इन शिकायतों का उद्देश्य अधिकारियों को अपनी मनमर्जी से काम करने के लिए मजबूर करना है। इस तरह की शिकायतों की वैधता जांचे बिना कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करना अन्यायपूर्ण है।

संगठन ने इस संदर्भ में जारी पूर्व सर्कुलर का हवाला देते हुए मांग की कि बिना शिकायतकर्ता के सत्यापन, आधार कार्ड, ईमेल आईडी और मोबाइल नंबर की पुष्टि के किसी भी शिकायत पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

अनियमित बिलिंग और वित्तीय गड़बड़ियां

संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी द्वारा सरकारी कार्यालयों के बिजली बिलों में अनावश्यक रूप से अधिक बिलिंग की जा रही है। इससे निगम और राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि कोटा और भरतपुर में भी इसी तरह की वित्तीय अनियमितताओं की आशंका है, इसलिए राज्य सरकार को इस मामले में मुख्यालय स्तर पर विस्तृत जांच करवानी चाहिए।

स्थानांतरण नीति को लेकर नाराजगी

संगठन ने डिस्कॉम में स्थानांतरण नीति को पारदर्शी और प्रभावी बनाने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि जनवरी 2025 में हुए स्थानांतरण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुईं। संगठन के पदाधिकारियों, जिनका रिकॉर्ड ईमानदार और निष्पक्ष कार्य का रहा है, उन्हें अनुचित तरीके से स्थानांतरित कर दिया गया।

विशेष रूप से, जोधपुर डिस्कॉम के लेखाधिकारी (आ.अ.) कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों ने पिछले वर्ष सहायक अभियंता (वितरण) जोधपुर डिस्कॉम, सिंधरी, लूणी, और मंडोर कार्यालयों में 3-4 करोड़ रुपये के वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इस जांच के आधार पर कुछ अधिकारियों को निलंबित भी किया गया।

लेकिन, जिन कर्मचारियों ने ईमानदारी से यह जांच की थी, उन्हें ही उसी क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उनके लिए काम करना मुश्किल हो सकता है। संगठन ने आशंका जताई है कि इस स्थानांतरण के पीछे प्रभावित पक्षकारों का दबाव हो सकता है, जो जांचकर्ताओं को डराने-धमकाने की कोशिश कर रहे हैं।

संगठन ने दी चेतावनी

भारतीय जनता मजदूर मंच ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि सरकार और डिस्कॉम प्रबंधन ने इन मामलों में त्वरित कार्रवाई नहीं की, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होंगे।

सीएमडी ने दिया आश्वासन

इस पूरे मामले पर डिस्कॉम की सीएमडी आईएएस आरती डोगरा ने संगठन की मांगों को गंभीरता से सुना और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि सभी मामलों की विस्तृत जांच करवाई जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।

अब देखना यह होगा कि सरकार और डिस्कॉम प्रशासन इस मामले में वास्तविक कार्रवाई करता है या फिर यह मामला भी अन्य अनियमितताओं की तरह फाइलों में दबकर रह जाता है।

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