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रिलेशनशिप- रिश्तों में झगड़े को कैसे सुलझाएं:रिलेशनशिप एक्सपर्ट की 10 जरूरी सलाह, लड़ते हुए भी ये न भूलें कि प्यार भी करते हैं

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रिलेशनशिप- रिश्तों में झगड़े को कैसे सुलझाएं:रिलेशनशिप एक्सपर्ट की 10 जरूरी सलाह, लड़ते हुए भी ये न भूलें कि प्यार भी करते हैं

किसी भी खास रिश्ते में छोटी-मोटी नोंक-झोंक होना आम बात है। लेकिन जब यही नोंक-झोंक बढ़ जाती है तो बड़ा रूप ले लेती है। फिर रूठना-मनाना, गुस्से में खाना न खाना, मनुहार करना, नाराजगी दूर करने के लिए तोहफे देना, यही सिलसिला चलता है। रिश्तों में यह सब होता रहता है। लेकिन कुछ झगड़े ऐसे होते हैं कि अगर सुलझाए न जाएं तो नासूर बन जाते हैं।

इसलिए उन्हें वक्त रहते सुलझा लेना बहुत जरूरी है। बॉलीवुड एक्ट्रेस कृति सेनन भी यही मानती हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू में जब कृति से पूछा गया कि जब किसी के साथ उनका झगड़ा होता है तो क्या वे पहले माफी मांगती हैं तो उन्होंने जवाब में कहा, “यह निर्भर करता है। अगर मुझे लगता है कि मैं गलत नहीं हूं तो मैं ऐसा नहीं करूंगी। लेकिन मैं झगड़े को सुलझाना जरूर चाहूंगी। मैं चीजों को यूं ही अनसुलझा नहीं छोड़ सकती।”

झगड़े को सुलझाना तो हम सब चाहते हैं, लेकिन ये नहीं जानते कि कैसे। झुक जाना, माफी मांगना, विनम्र होना, अपनी गलती को स्वीकार करना, ये सब भी कला है, जिसे सीखने की जरूरत है।

लाइफ कोच और जानी-मानी लेखिका रोसली प्यूमैन ने इस विषय पर एक किताब लिखी है- ‘द माइंडफुल गाइड टू कॉन्फ्लिक्ट रिजॉल्यूशन।’ इस किताब में वह लिखती हैं कि कैसे रिश्तों में हुई अनबन, किसी से हुई बहस और झगड़े को सुलझाना भी एक आर्ट है।

तो आज ‘रिलेशनशिप’ कॉलम में बात करेंगे कि जब रिश्तों में दरार आ जाए तो कैसे अनसुलझी बातों और गलतफहमियों को दूर करें।

कब बढ़ जाते हैं रिश्तों में झगड़े

इस दुनिया में ऐसा कोई कपल नहीं है, जिसके बीच कभी-कभी झगड़ा न होता हो। झगड़ा होना बहुत सामान्य और स्वाभाविक है। झगड़े तब बढ़ जाते हैं, जब पिछली नोंक-झोंक की उलझनों को सुलझाया ही न गया हो। नतीजतन छोटी-सी बात भी लंबे समय तक खिंचती चली जाती है, कई बार जिसके गंभीर परिणाम सामने आते हैं। इसलिए कहा-सुना तुरंत ही भूलकर माफ कर देना जरूरी होता है।

लोग अपनी पीड़ा और हताशा को अलग-अलग तरीकों से व्यक्त करते हैं। कुछ लोग आक्रामक तरीके से प्रतिक्रिया करते हैं तो कुछ टकराव से बचते हैं। यहां तक ​​कि कुछ लोग अत्यधिक मिलनसार बन सकते हैं और अपने हितों को अनदेखा करते हुए दूसरे को खुश करने की कोशिश कर सकते हैं।

रिश्तों में इन कारणों से हो सकता है मनमुटाव-

पैसा: खर्च करना, बचाना, मैनेज करना और साझा करना।

बच्चे: कब होने चाहिए, उनका पालन-पोषण और अनुशासन कैसे करें।

प्यार के झगड़े: तुम मुझे प्यार नहीं करते, मुझे वक्त नहीं देते वगैरह-वगैरह।

घरेलू काम: जिम्मेदारी कौन लेगा, घर के काम कौन करेगा।

साथ में बिताया गया समय: काम या सामाजिक व्यस्तताओं के कारण साथ में बहुत कम समय बिताना या साथ में बहुत ज्यादा ही समय बिताना।

कम्युनिकेशन: बातचीत में गलतफहमी होना।

तनाव को बढ़ावा देना

झगड़े के बाद पति-पत्नी का आपस में बात न करना नॉर्मल है। लेकिन इसका भी जल्द निराकरण जरूरी है क्योंकि नाराजगी में बात न करना, भूखे रह जाना भी दाम्पत्य जीवन में मुश्किलें पैदा कर सकता है।

जब अहं इगो हो रिश्ते से ऊपर

इगो रिश्ते के बिगड़ने की बड़ी वजह होता है। अहं की लड़ाई कभी खत्म नहीं होती। इसलिए ध्यान रखें कि जहां प्यार होता है, वहां माफी मांगने से हम छोटे नहीं होते। माफी हर झगड़े को खत्म कर देती है।

एक-दूसरे की निजता में जरूरत से ज्यादा दखल

साथ होने के बावजूद हर व्यक्ति का एक अपना पर्सनल स्पेस होता है और उस स्पेस की रिस्पेक्ट बहुत जरूरी है। अगर एक पार्टनर दूसरे के हर छोटे-बड़े काम में दखल देने लगे तो यह भी झगड़े और दूरियों का कारण बन सकता है।

एक-दूसरे का मान न करना

झगड़े तब और बढ़ जाते हैं, जब रिश्ते में इज्जत न हो। प्रेम से पहले और ज्यादा जरूरी है कि रिश्ते में एक-दूसरे का मान रखा जाए। एक-दूसरे को बराबर सम्मान दिया जाए। कभी किसी तीसरे व्यक्ति के सामने अपने पार्टनर की आलोचना न की जाए।

रिश्तों में भरोसा और वक्त देना दोनों जरूरी

रिश्तों में भरोसा रखना, एक दूसरे के लिए समय निकालना और पार्टनर को समझना कुछ ऐसी बातें हैं, जिनसे आप रिलेशनशिप को मजबूत बना सकते हैं।

अपने साथी के साथ विवाद का ऐसे समाधान करें-

अहं से बड़ा है प्यार

हमेशा याद रखें कि आपका रिश्ता आपके इगो से बड़ा है। प्यार अहं से ज्यादा कीमती है। इसलिए किसी भी बहस, झगड़े के बीच उस प्यार को कभी न भूलें, जिसकी वजह से आप दोनों साथ हैं।

आपस में संवाद है जरूरी

दो लोगों के बीच गलतफहमी, झगड़े और विवाद तभी होते हैं, जब उनके बीच वास्तविक अर्थों में संवाद खत्म हो जाता है। जब वो एक-दूसरे को सुनना और समझना बंद कर देते हैं। इसलिए झगड़ा भी करें, बहस भी करें, लेकिन बातचीत कभी बंद न करें। कम्युनिकेशन बना रहना चाहिए।

बहस का मकसद जीतना नहीं, झगड़े को सुलझाना है

पता है, जिंदगी में जीतने के बाद भी सबसे ज्यादा दुख कब होता है। तब, जब वह जीत किसी अपने प्रिय को हराकर हासिल की हो। जिससे मुहब्बत करते हैं, बहस और झगड़े में उससे जीतकर भी अंत में हम हारा हुआ ही महसूस करते हैं। और यह इतनी जरूरी बात है कि हमें कभी भूलनी नहीं चाहिए।

अपनों के साथ झगड़े का मकसद अंत में जीत हासिल करना नहीं है, बल्कि गलतफहमी को दूर करके उस प्यार को फिर से महसूस करना है, जो आपके रिश्ते की सबसे मजबूत बुनियाद है।

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