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विवाह का बदलता स्वरूप — आवश्यकता है एक सार्थक पहल की : रुचिता तुषार नीमा

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विवाह का बदलता स्वरूप — आवश्यकता है एक सार्थक पहल की

रुचिता तुषार नीमा

विवाह या पाणिग्रहण संस्कार सनातन धर्म के सोलह संस्कारों में मुख्य है। जिसमे वर और वधू मिलकर गृहस्थ जीवन में प्रवेश कर एक नए जीवन की शुरुआत करते हैं। और इस नूतन जीवन में परिवारजन , गुरुजन,साथी सहयोगियों का स्नेह और आशीर्वाद,मंगल कामनाओ के लिए अपेक्षित रहता है। विवाह की रस्में जिनका एक अलग ही महत्व है , हल्दी से लेकर मेंहदी तक, सब अपने में एक अलग ही सौंदर्य और धर्म की मिठास संजोए है।लेकिन बदलते परिवेश में इस आयोजन का स्वरूप ही बदल दिया है।
पहले तो विवाह मंदिर में या घर में ही हो जाया करते थे और सब रीति रिवाज सगे संबंधी आपस में मिलकर पूर्ण कर लेते थे।लेकिन अब इन शाही शादियों के चलन से शादी का बजट कई गुना हो गया है।अब इवेंट कंपनियों के चलते लोग आंख मूंदकर धन खर्च करते हैं।ये इवेंट कंपनिया तो करोड़ो रुपए कमा रही है। लेकिन इन सबके चलते आज मध्यम वर्ग की पूरी अर्थव्यवस्था गड़बड़ा जाती है।अपनी उम्र भर की जमा पूंजी के साथ ही कर्जा भी लेना पड़ रहा है। आजकल तो वेडिंग लोन भी मिलने लगे जिनको भरते भरते फिर एक उम्र निकल जाती है। इस तरह शाही विवाह तो सम्पन्न हो जाता है और कुछ दिन की वाह वाही भी मिल जाती है। लेकिन मुख्य परेशानी बाद में शुरू होती है , जब ये सब कर्ज और लोन चुकाने होते हैं। तब मानसिक स्थिति तनाव पूर्ण होने लगती है और कई बार तो ये आपसी विवाद का भी कारण बन जाती है। आज के समय में जब महंगाई और बेरोजगारी अपने चरम पर है, तब बिना वजह विवाह में अनाप शनाप खर्च करना बिलकुल उचित नहीं है। जरूरी नहीं की लोगों की नजर में उठने के लिए स्वयं को आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान किया जाए। जितनी आपकी क्षमता है उतने में सौम्य और सुंदर आयोजन कर विवाह संस्कार संपन्न किया जाना चाहिए।
कोरोना काल इसका सबसे बड़ा उदाहरण बनकर आया है, जब 50 लोगों में भी विवाह संपन्न हुए, तो हम अब भी ये पहल कर सकते हैं कि सीमित संसाधन और सीमित लोगों में विवाह संपन्न करवाए जाए और बची हुई धन राशि एक सुखद भविष्य के लिए और लोगों की मदद के लिए सुरक्षित की जाए। इसके लिए समाज के वरिष्ठ और प्रतिष्ठित जन भी पहल करें और लोगों को प्रोत्साहित करें।इस तरह एक सहज, सुखद और तनावमुक्त गृहस्थ जीवन की शुरुआत कर नए आदर्श स्थापित किए जाए।

रुचिता तुषार नीमा

The changing form of marriage — a meaningful initiative is required

Marriage or water eclipse rites are main in the sixteen rites of Sanatan religion. In which the bride and groom together enter the home life and start a new life. And the love and blessings of family, teachers, fellow colleagues are expected in this new life. Marriage rituals that have a different importance, from turmeric to henna, all have a different beauty and sweetness of religion. But in the changing environment, the form of this event has changed.
Earlier, marriage used to happen in temple or at home, and all the customs used to be completed together. But now the budget of marriage has multiplied due to these royal weddings. Now because of event companies, people spend money blindly. These event companies are earning crores of rupees. But because of all this the middle class economy is messed up today. Along with the deposit of my life, I have to take loan. Nowadays, wedding loans are also getting which one age passes by paying them. In this way, royal marriage is completed and the praise of few days is also received. But the main problem begins later, when it’s all to pay off the loans and loans. Then the mental state starts to become stressful and sometimes it also causes mutual dispute. When inflation and unemployment are at its peak, it is not fair to spend culprits in marriage without any reason. It’s not necessary to disturb yourself financially and mentally in order to wake up in people’s eyes. Marriage rituals should be performed by organizing gentle and beautiful as much as you can.
Corona period has become the biggest example of this, when even 50 people got married, we can still take this initiative to get married in limited resources and limited people and remaining money for a happy future and people Be protected for help. For this senior and prestigious people of society also take initiative and encourage people. This is how new ideals should be set by starting a smooth, pleasant and stress-free home life.

Ruchita Tushar Neema

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