वरिष्ठ रंगकर्मी राजेंद्र गुप्ता और हिमानी शिवपुरी अभिनीत नाटक “जीना इसी का नाम है” ने बीकानेर थिएटर फेस्टिवल के चौथे दिन दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
बीकानेर। नाट्य कला की समृद्ध परंपरा को जीवंत बनाए रखने के उद्देश्य से आयोजित बीकानेर थिएटर फेस्टिवल के चौथे दिन रंगमंच के दिग्गज कलाकारों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। फेस्टिवल के इस विशेष दिन पर वरिष्ठ अभिनेता राजेंद्र गुप्ता और हिमानी शिवपुरी की अद्वितीय नाट्य प्रस्तुति जीना इसी का नाम है ने दर्शकों को भावनाओं के गहरे सागर में डुबकी लगाने को मजबूर कर दिया।
इस महोत्सव में बीकानेर, शिमला और चंडीगढ़ के थिएटर समूहों ने भी अपनी प्रस्तुतियां दीं, जिसमें दुलारी बाई, विष्टि लानी और महारथी जैसे नाटकों का मंचन किया गया। लेकिन, इस शाम की सबसे खास प्रस्तुति रही राजेंद्र गुप्ता और हिमानी शिवपुरी अभिनीत नाटक जीना इसी का नाम है, जिसने रंगमंच प्रेमियों को थिएटर की सजीवता और शक्ति का एहसास कराया।
थिएटर का जादू और भावनात्मक प्रस्तुति
नाटक जीना इसी का नाम है जिंदगी के उस मोड़ की कहानी है, जब कोई इंसान 50 वर्ष की उम्र पार कर लेता है और अपने अकेलेपन से जूझने लगता है। इस नाटक में यह दर्शाने का प्रयास किया गया कि समाज में बुजुर्गों की क्या स्थिति होती है, उन्हें किन मानसिक और भावनात्मक संघर्षों का सामना करना पड़ता है और समाज से उनकी क्या अपेक्षाएं होती हैं।
वरिष्ठ अभिनेता राजेंद्र गुप्ता ने एक ऐसे व्यक्ति की भूमिका निभाई, जो अपने अकेलेपन से संघर्ष कर रहा है, वहीं हिमानी शिवपुरी ने एक ऐसी महिला का किरदार निभाया, जो अस्पताल में एक मरीज के रूप में आती है, लेकिन असल में उसकी समस्या मानसिक अवसाद से बाहर निकलने की होती है। दोनों पात्रों के बीच एक भावनात्मक संबंध विकसित होता है, जो नाटक के अंत तक गहराता जाता है और दर्शकों को एक गहरी संवेदनशीलता का अनुभव कराता है।
नाटक के मंचन के दौरान जब राजेंद्र गुप्ता और हिमानी शिवपुरी ने संवाद बोले, तो पूरा सभागार भावनाओं में बहता हुआ नजर आया। कई दर्शकों की आंखें नम हो गईं, क्योंकि यह नाटक न केवल बुजुर्गों की पीड़ा को दर्शाता है बल्कि यह भी संदेश देता है कि जीवन का हर पल अनमोल है और इसे खुशी से जीना ही असली जीवन है।
थिएटर और सिनेमा पर वरिष्ठ कलाकारों के विचार
इस मौके पर वरिष्ठ अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी ने दूरदर्शन से विशेष बातचीत में थिएटर के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा,
“थिएटर करना फिल्म करने से ज्यादा मुश्किल होता है। थिएटर में कलाकार को पूरी ऊर्जा और समर्पण के साथ काम करना पड़ता है, क्योंकि इसमें रीटेक की कोई गुंजाइश नहीं होती। यही कारण है कि थिएटर से निकले कलाकार ही असली कलाकार होते हैं।”
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि आजकल थिएटर के प्रति लोगों की रुचि पहले की तुलना में थोड़ी कम हुई है, लेकिन बीकानेर थिएटर फेस्टिवल में दर्शकों की भारी संख्या और उनके उत्साह को देखकर वे अभिभूत हैं।
राजेंद्र गुप्ता ने भी इस विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि,
“कलाकार चाहे थिएटर का हो या सिनेमा का, उसकी पहली प्राथमिकता रोज़ी-रोटी होती है। इसलिए अगर कोई कलाकार सिनेमा की ओर जाता है, तो इसे गलत नहीं समझना चाहिए। थिएटर में काम करना एक चुनौती है, लेकिन सिनेमा में भी कड़ी मेहनत की जरूरत होती है।”
उन्होंने यह भी कहा कि नाटक की कहानी आम आदमी से जुड़ी हुई है और यह दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर करता है कि जीवन को पूरी खुशी और आत्मविश्वास के साथ जीना चाहिए।
बीकानेर थिएटर फेस्टिवल का महत्व
बीकानेर थिएटर फेस्टिवल पिछले नौ वर्षों से आयोजित किया जा रहा है और हर साल यह रंगमंच के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई को छू रहा है। यह फेस्टिवल न केवल स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों को एक मंच प्रदान करता है, जिससे थिएटर की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है।
इस वर्ष के फेस्टिवल में देशभर से नाट्य समूहों ने भाग लिया और अलग-अलग विषयों पर आधारित नाटकों का मंचन किया। इस आयोजन ने थिएटर प्रेमियों के लिए एक यादगार अनुभव प्रस्तुत किया और यह साबित किया कि बीकानेर थिएटर का केंद्र बनता जा रहा है।
दर्शकों की प्रतिक्रिया
इस नाटक के बाद दर्शकों ने राजेंद्र गुप्ता और हिमानी शिवपुरी के प्रदर्शन की जमकर सराहना की। कई लोगों ने कहा कि यह नाटक उन्हें भीतर तक छू गया और उन्होंने अपने जीवन में पहली बार थिएटर का इतना प्रभावशाली अनुभव किया।
बीकानेर के वरिष्ठ रंगकर्मी अमित राणा ने कहा,
“यह नाटक सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन प्रस्तुत करता है। इसकी कहानी और संवाद लोगों को सोचने पर मजबूर करते हैं।”
वहीं, युवा थिएटर कलाकार रितेश शर्मा ने कहा,
“इस नाटक को देखकर हमें थिएटर की ताकत का एहसास हुआ। यह केवल मंच पर प्रस्तुत किया गया नाटक नहीं था, बल्कि यह एक जीवंत अनुभव था, जिसे हम सभी अपने जीवन में महसूस कर सकते हैं।”
निष्कर्ष
बीकानेर थिएटर फेस्टिवल का चौथा दिन रंगमंच प्रेमियों के लिए अविस्मरणीय रहा। राजेंद्र गुप्ता और हिमानी शिवपुरी जैसे दिग्गज कलाकारों की मौजूदगी ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया।
जीना इसी का नाम है सिर्फ एक नाटक नहीं, बल्कि जीवन का एक आईना था, जिसमें हर व्यक्ति ने कहीं न कहीं खुद को देखा और महसूस किया। इस नाटक ने यह संदेश दिया कि अकेलापन जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नया अध्याय होता है, जिसे प्यार, उम्मीद और आत्मसम्मान के साथ जीना ही असली जीवन है।
बीकानेर थिएटर फेस्टिवल की यह प्रस्तुति न केवल बीकानेर बल्कि पूरे थिएटर जगत में लंबे समय तक याद रखी जाएगी।
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