ACCIDENT / CRIME / BLAST / CASUALTY / MISCELLANEOUS / FEATURES / MURDER / SUICIDE BUSINESS / SOCIAL WELFARE / PARLIAMENTARY / CONSTITUTIONAL / ADMINISTRATIVE / LEGISLATIVE / CIVIC / MINISTERIAL / POLICY-MAKING / PARTY POLITICAL

बीकानेर महाराजा गंगासिंह विवि 500 करोड़ की रार:दूसरे बैंक में खाता खुलवाने पर उलझे रजिस्ट्रार-वित्त नियंत्रक; गुस्से में छुट्‌टी पर गए रजिस्ट्रार, फोन भी बंद किया

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

500 करोड़ की रार:दूसरे बैंक में खाता खुलवाने पर उलझे रजिस्ट्रार-वित्त नियंत्रक; गुस्से में छुट्‌टी पर गए रजिस्ट्रार, फोन भी बंद किया

बीकानेर

महाराजा गंगासिंह विवि में बचत के 500 करोड़ रुपए को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया है। जब से विवि गठित हुआ तब से उसका खाता एक ही बैंक में था। विवि अब एक और खाता दूसरे बैंक में खुलवा रहा है। इससे विवि कर्मचारियों में पेंशन और फंड फंसने का डर सताने लगा है। रजिस्ट्रार और वित्त नियंत्रक इसी मुद्दे को लेकर आमने-सामने हैं। विवाद से नाराज रजिस्ट्रार छुट्‌टी चले गए अपना फोन भी ऑफ कर रखा है।

दरअसल 2003 में महाराजा गंगासिंह विवि की स्थापना हुई थी। तभी से विवि का खाता एक ही बैंक में हैं। धीरे-धीरे विवि की जमा राशि बढ़ती गई। अब विवि की राशि करीब 500 करोड़ से ऊपर हो चुकी है जो उसी बैंक में एफडीआर के रूप में जमा है। वित्त नियंत्रक अरविंद बिश्नोई ने सरकार के तमाम पत्रों का हवाला देते हुए दूसरी बैंकों से रेट आफ इंटरेस्ट मंगाई। इस तर्क के साथ दूसरे बैंक में खाता खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी जिससे सारी रकम एक ही बैंक में न रहे। नए बैंक ने विवि को बिना किसी चार्ज के गेट-वे देने का निर्णय किया है।

हालांकि कर्मचारियों को ये लगा कि नए बैंक में पुराने बैंक का सारा पैसा जमा किया जाएगा। इससे उनके भुगतान फंस जाएंगे। इसके बीद कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया। राज्यपाल, कुलपति समेत तमाम जनों को ज्ञापन दिया। मामला इतना बढ़ा कि भाजपा के तीन विधायक, एक सांसद ने भी विवि में कॉल कर हस्तक्षेप किया।

विवि का तर्क है कि जिस बैंक में इतनी मोटी रकम जमा है वो ना तो नई ब्याज दरें विवि काे बताते हैं न ही कोई स्पेशल ट्रीटमेंट विवि को देता है। दूसरे बैंक गेट-वे जैसे काम का भी कोई चार्ज नहीं लगा रहे। विवि के पास एक दर्जन बैंक पहुंचे जिसमें एक छोटा बैंक भी पहुंचा था। कर्मचारियों को इसी बैंक में खाता शिफ्ट होने का सबसे ज्यादा डर था।

कर्मचारियों से लेकर राजनेताओं के बीच आपकी यूनिवर्सिटी का फंड और एक बैंक बहुत चर्चा का विषय है
हां, जरूर होगा। मेरे पास भी कुछ लोगों के फोन आए थे। मैने उनको बताया कि मेरा काम है विवि का हित। इसके अलावा कुछ नहीं।

बैंक बदलने से क्या हित है।
अभी हमें करीब 6 प्रतिशत ब्याज मिल रहा है। उससे करीब प्रति वर्ष 24 करोड़ का बेनीफिट विवि को हो रहा है। आज हमारे पद खाली हैं पर जब पद भर दिए जाएंगे तो विवि को प्रति वर्ष करीब 36 करोड़ रुपए की जरूरत होगी। क्योंकि विवि को बाहरी आर्थिक मदद नहीं मिल रही तो हमें ब्याज और दूसरे इंटरेस्ट की ओर सोचना होगा।

कितना फायदा होगा नए बैंक से
पहले एक चीज स्पष्ट कर दूं कि हम पुराने बैंक से पैसा नहीं निकाल रहे। दूसरे बैंक को हमने गेटवे दिया है। उससे विवि को करीब प्रति वर्ष 2 करोड़ की बचत होगी। इसके अलावा अब जो फीस का पैसा इसमें जमा होगा उससे करीब 5 करोड़ के आसपास ब्याज का फायदा होगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि ये बैंक भी आरबीआई की ओर से जारी सूची में से ही एक है। देश के दो दर्जन से ज्यादा विश्वविद्यालयों का फंड इसमें हैं।

फिर कर्मचारियों को क्यों नहीं संतुष्ट कर रहे आप
मुझे लग रहा उनको कोई गुमराह कर रहा है। कर्मचारी सरकार के हैं। कर्मचारियों की पेंशन और फंड देने का अधिकार सरकार का है। विवि का फंड रहे या ना रहे। उनको अपने फंड और पेंशन की चिंता नहीं करनी चाहिए।

कुछ लोग तो आरोप लगा रहे कि अधिकारियों का व्यक्तिगत फायदा है
चाहूं तो मैं भी अपनी तीन साल की नौकरी करके जा सकता हूं पर जो फंड है उसमें अगर मैने इजाफा नहीं किया तो मेरा यहां आना ही बेकार है।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!