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फ्रेंडशिप डे- दोस्ती से बढ़ती उम्र, सेहत रहती दुरुस्त:दोस्त बारिश में छाता है और सर्दी में धूप, सच्चे दोस्त की 10 निशानियां

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फ्रेंडशिप डे- दोस्ती से बढ़ती उम्र, सेहत रहती दुरुस्त:दोस्त बारिश में छाता है और सर्दी में धूप, सच्चे दोस्त की 10 निशानियां

मैथिलीशरण गुप्त की ये कविता कहती है कि दोस्ती वाकई इस दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता है। जीवन में दोस्त हों तो हर मुश्किल आसान लगने लगती है। और दोस्त न हों तो दुनिया के सारे रंग भी बेरंग हो जाते हैं।

वो स्कूल में दोस्त के साथ टिफिन शेयर करना, दोनों का साथ मिलकर क्लास बंक करना, दोस्त के साथ अपने क्रश को चोरी-छिपे देखना, कोचिंग के बाद शाम को घूमने जाना। दोस्ती की मीठी शुरुआत यहीं से होती है। और वहां से आते-आते कब कॉलेज, यूनिवर्सिटी की कैंटीन से ऑफिस की टपरी वाली चाय की दोस्ती और कभी-कभी शादी तक भी कब पहुंच जाती है, पता ही नहीं चलता।

दोस्ती वो नहीं, जो कसमों-वादों और कंडीशंस के लिफाफे में आती है। दोस्ती वो है, जो आपको अपने होने का एहसास दिलाती है। जब आप अकेले हों तो अपने दोस्त को साथ खड़ा पाएं, जब खुशी और प्यार भरे चाय के दो प्याले ही सुकून के यादगार पल बन जाएं। सालों बाद भी मिलें तो ऐसा लगे कि कल ही तो मिले थे। जब आप मुश्किल में हों तो दोस्त रात के 2 बजे भी आपके घर के दरवाजे खटखटाए।

इसे ही कहते हैं सच्ची दोस्ती, जो 4-5 या 10 से नहीं, केवल एक खास इंसान से ही होती है। स्कूल से लेकर बड़े होने तक हमारे कई दोस्त बनते हैं। लेकिन खास तो वही एक होता है, जो दिल के हमेशा करीब होता है।

इसमें जाति, धर्म, रंग और उम्र नहीं देखी जाती है। दोस्ती तो बस ऐसे ही हो जाती है। गहरी दोस्ती तो वो बड़े मियां-छोटे मियां टाइप होती है, जहां दोनों के बीच कुछ भी एक जैसा नहीं होता। एक लंबा तो दूसरा छोटा, एक मोमोज का दीवाना तो दूसरा गोल-गप्पे का शौकीन, एक फिल्मों का दीवाना तो दूसरा किताबों का कीड़ा, एक नदी की धारा सा शांत तो दूसरा समंदर के तूफान जैसा। लेकिन दोस्ती फिर भी बड़ी गहरी।

तो आज इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे के मौके पर ‘रिलेशनशिप’ कॉलम में बात करेंगे दोस्ती की। जीवन में एक खास दोस्त होना क्यों जरूरी है। साथ ही जानेंगे-

  • सच्चे दोस्त की क्या क्वालिटीज होती हैं।
  • कैसे करें सच्चे दोस्त की पहचान।

कृष्ण-सुदामा की दोस्ती असली मित्रता की मिसाल

भारत में दोस्ती की कई कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन जब मिसाल देने की बात आती है तो सभी कृष्ण-सुदामा की दोस्ती को ही याद करते हैं। इनकी दोस्ती में त्याग, ईमानदारी और सम्मान का भाव है। यही एक सच्चे मित्र की पहचान है। जीवन में माता-पिता और गुरू के बाद दोस्त को ही विशेष स्थान दिया गया है।

कृष्ण अपने दोस्त सुदामा से ऋषि संदीपन के आश्रम में मिले थे। कृष्ण एक राजपरिवार से थे और गरीब सुदामा ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे। शिक्षा-दीक्षा पूरी होने के बाद भगवान कृष्ण राजा बन गए। वहीं सुदामा बुरे दौर से गुजर रहे थे। पत्नी की जिद मानकर सुदामा अपने बाल सखा कृष्ण से मिलने द्वारिका पहुंचे। सुदामा से मिलने की खुशी में कृष्ण नंगे पैर ही उन्हें लेने के लिए दौड़ पड़े। उनकी दयनीय हालत देखकर भगवान कृष्ण के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। यह बताता है कि कृष्ण अपने मित्र से कितना प्यार करते थे। इसलिए दोनों की मित्रता का गुणगान पूरी दुनिया करती है।

अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की साल 2023 की एक रिसर्च के मुताबिक जीवन में सच्ची और गहरी दोस्तियों का प्रभाव हमारी सेहत पर भी पड़ता है। जिनके जीवन में भरोसेमंद दोस्त होते हैं, जो उनके साथ अपने इमोशंस शेयर करते हैं और उनके साथ सुरक्षित महसूस करते हैं, उनमें हाइपरटेंशन और डायबिटीज की संभावना 13% तक कम हो जाती है। ऐसे लोग लंबा जीवन जीते हैं।

कैसे हुई फ्रेंडशिप डे की शुरूआत

फ्रेंडशिप डे हर किसी के लिए खास दिन है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन की शुरुआत कैसे हुई थी। सबसे पहले इस दिन की शुरुआत 1930 में पराग्वे में हुई। अमेरिकन बिजनेसमेन और हॉलमार्क कार्ड्स के फाउंडर जॉयस हॉल ने इसका प्रस्ताव रखा। आइडिया ये था कि पूरी दुनिया में एक दिन दोस्ती को समर्पित हो। हालांकि थी तो ये एक बिजनेस स्ट्रेटजी, लेकिन जल्द ही यह दिन पूरी दुनिया में पॉपुलर हो गया। 1998 में यूनाइटेड नेशंस ने विन्नी द पू को फ्रेंडशिप डे का ब्रांड एंबेसडर बनाया। प्रसिद्ध कॉमिक सीरीज का वो भालू, जो क्रिस्टोफर रॉबिन का बेस्ट फ्रेंड था।

सच्चे दोस्त की क्या क्वालिटीज होती हैं

असल में दोस्त वही होता है, जो आपका हाथ हमेशा थामकर रखता है। उसे यह परवाह नहीं होती कि आपकी स्थिति क्या है, कौन आपके साथ खड़ा है, आप कितने सफल हैं। जैसा कवि विनोद विट्ठल ने कहा है कि असली दोस्त तो वही है, जो बुरे मौसम में भी साथ रहे।

दोस्त जब आपके साथ होता है तो आंखों में एक अलग ही चमक दिखती है। उसके साथ जितना वक्त बिताओ, कम लगता है। ऐसा लगता है कि बातें शुरु भी नहीं हुईं और पता भी नहीं चला कि वक्त हाथों से कब गुजर गया।

सच्चे दोस्त के सामने हमें कभी सोचना नहीं पड़ता। दोस्त वो है, जो आपकी हर बात बिना कहे ही समझ लेता है। उससे हम कोई राज नहीं छिपा सकते। नीचे ग्राफिक में जानें कि क्या हैं सच्चे दोस्त के गुण-

कैसे करें सच्चे दोस्त की पहचान

कितने अजीब हैं ना ये रिश्ते, जो किस्मत से मिलते हैं। और उन्हीं रिश्तों में सबसे खास होती है दोस्ती। जहां हम अपनी यारी को जन्नत बना देते हैं। दोस्त मिलते तो अनजाने में हैं, लेकिन कब अपना परिवार बन जाते हैं, पता ही नहीं चलता।

लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह कि हमें यह जानना बहुत जरूरी है कि कैसे करें सच्चे दोस्त की पहचान।

दोस्तों को हमेशा बांधकर रखना दोस्ती की डोर से क्योंकि दोस्ती के रिश्ते का कोई मोल नहीं होता है। तो इस फ्रेंडशिप डे अपने उस खास दोस्त को कहना न भूलें-

हैप्पी फ्रेंडशिप डे!

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