
प्राइवेट स्कूल्स के विभिन्न राज्य स्तरीय संगठनों के प्रतिनिधियों एवं क्रिएटिव स्कूल डायरेक्टर्स ने किया सक्रिय संभागित्व
सार्थक संगत की कोर कमेटी का शीघ्र ही होगा विस्तार
ज्ञान गौरव अवार्ड से 111 विभूतियों को किया सम्मानित
बीकानेर, 24 जून। शिक्षा में स्वच्छता लाने के देश के इकलौते स्वच्छ शिक्षा क्रांति मिशन के अंतर्गत चौथी “सार्थक संगत” जोधपुर की होटल चन्द्रा इंपीरियल में आयोजित की गई। इस अवसर पर एज्यूकेशन एक्सीलेंस अवार्ड “ज्ञान गौरव सम्मान” का भी आयोजन किया गया। इस अभिनव आयाम के समन्वयक गिरिराज खैरीवाल के मुताबिक प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस (पैपा), नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल अलायंस (निसा) एवं स्कूल वेलफेअर एसोसिएशन (स्वराज) द्वारा अपॉर्च्यूनिटी इंटरनेशनल तथा क्लिक्स के सहयोग से आयोजित इस संगत में राजस्थान के 25 जिलों के लगभग 150 क्रिएटिव स्कूल डायरेक्टर्स एवं प्राईवेट स्कूल्स यूनियन्स के पदाधिकारियों ने सक्रिय संभागित्व किया। उन्होंने बताया कि आठ सत्रों में सुबह 9 से सायं 6 बजे तक चली इस संगत में संगठनों के सामूहिक समन्वयन, प्राईवेट स्कूल्स के यूनियन्स के दायित्व एवं योगदान, सीबीएसई, आरबीएसई, आईसीएसई एवं बीएसबी इत्यादि शिक्षा बोर्ड्स की तुलनात्मक विवेचना, पेरेंट्स के साथ स्कूल का समन्वय, कोचिंग एक्ट, प्री स्कूल्स के दुष्प्रभाव, स्कूल फाईनेंसिएल मैनेजमेंट इत्यादि विषयों पर विषय विशेषज्ञों ने अपने अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर कोचिंग एक्ट एवं डमी स्कूल्स से संबंधित पैनल डिस्कशन को मोडरेट करते हुए निसा के प्रदेश प्रभारी डॉ. दिलीप मोदी ने प्रदेश में कोचिंग की आड़ में चल रहे अवैधानिक प्राईवेट स्कूल्स, डमी एडमिशन लेने व देने वाले प्राईवेट एवं सरकारी शिक्षण संस्थाओं को आडे़ हाथों लिया। डॉ. मोदी ने कहा कि कोचिंग्स पर नियंत्रण के लिए केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में गठित नौ सदस्यीय कमेटी स्वागत योग्य है। यह कमेटी सरकार को सुझाव देगी कि कैसे मौजूदा शिक्षण व्यवस्था में बदलाव किया जाए। इस संबंध में केन्द्र सरकार ने अधिसूचना जारी की है। कमेटी के अध्यक्ष उच्च शिक्षा विभाग के सचिव डाॅ. विनीत जोशी होंगे। सीबीएसई के चेयरमैन, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के संयुक्त सचिव, आईआईटी कानपुर, आईआईटी मद्रास, एनआईटी, त्रिचि, एनसीईआरटी के प्रतिनिधि, केंद्रीय विद्यालय के प्रिंसिपल, नवोदय विद्यालय तथा निजी विद्यालय से एक एक सदस्य कमेटी में होंगे। पिछले कई वर्षों से प्राइवेट स्कूलों में डमी सीटों का कल्चर बढ़ा है। छात्रों का मानना है कि प्राइवेट स्कूलों में डमी सीट लेकर कोचिंग में तैयारी करने से ही प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हुआ जा सकता है जिस कारण ज्यादातर छात्र स्कूली शिक्षा को नजरअंदाज कर पूरी तरह से कोचिंग में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने पर लगे हुए हैं। जिससे विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास प्रभावित हो रहा है। यह कमेटी डमी स्कूलों पर नजर रखेगी और डमी स्कूलों का अध्ययन कर समाधान व भ्रामक विज्ञापनों की इस प्रवृति पर प्रभावी नियंत्रण के उपाय भी सुझाएगी। इससे स्टूडैंट्स की कोचिंग पर निर्भरता कम होगी तथा डमी स्कूलों पर भी रोक लगेगी। उन्होंनें कहा कि डमी स्कूल्स पर लगाम कसने के लिए शिक्षा विभाग एवं यूनियन्स पर निर्भरता की बजाय उन स्कूल संचालकों को जागरुक होना पड़ेगा जो ईमानदारी से अपनी स्कूल्स चला रहे हैं। शिक्षा माफिया के विरुद्ध खुल्लमखुल्ला शिकायत करने से बिल्कुल भी नहीं डरना चाहिए। यह तो संवैधानिक कर्तव्य एवं अधिकार है। डॉ. मोदी ने स्कूल शिक्षा को एनईपी के अनुरूप सम्मान दिलवाने की पैरवी करते हुए बताया कि लघु विद्यालयों के संचालक सोच रहे हैं कि कोचिंग्स से उनको कोई नुकसान नहीं है। कोचिंग्स अब कक्षा 6 से ही पढ़ाना शुरू कर रहे हैं तो वह दिन दूर नहीं जब ये विद्यालय बंद हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि इन कोचिंग्स का प्रभाव केवल निजी विद्यालयों पर ही नहीं बल्कि सरकारी विद्यालयों पर भी पड़ रहा है। क्योंकि विज्ञान के विद्यार्थी सरकारी विद्यालयों में भी केवल डमी के रूप में ही प्रवेश ले रहे हैं। अतः यह बड़ा ही चिन्ता का विषय है। इस पैनल डिस्कशन में महेश गुप्ता, कोटा, आनन्द थोरी, बाड़मेर, जयन्त सांखला, जोधपुर, के. एन. भाटी, जालौर, कुरडाराम धीवां, झुंझुनू, मदनलाल वर्मा, झालावाड़, कालू सिंह बड़गूजर, नागौर, जयशंकर त्रिवेदी, पाली इत्यादि ने विचार व्यक्त किए तथा पुरजोर शब्दों में कहा कि राज्य सरकार द्वारा कोचिंग रेग्युलेशन एक्ट को विधानसभा में शीघ्रता से पारित कर इसे कानूनी रूप देना चाहिए तथा इसे पूरी सख्ती के साथ लागू किया जाना होगा। पैनल में स्पष्ट रूप से उजागर हुआ कि विद्यालयों के ऊपर सभी तरह के कानून नियम लागू हैं जबकि कोचिंग संस्थाओं पर कोई नियम लागू नहीं है। सभी नियम सिर्फ शिक्षण संस्थाओं के लिए ही बने हैं, कोचिंग सेंटरों के लिए न कोई मापदण्ड है, न कोई योग्यता तय की गई है। इन संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की योग्यता और शैक्षिक अनुभव का कोई मापदण्ड निर्धारित नहीं होता, न ही कोई जांच प्रक्रिया होती है जब कि सरकार स्कूलों में प्रतिवर्ष आडिट करती है। कोचिंग वाले बड़े ही भ्रामक विज्ञापन देते हैं एक ही सलेक्ट हुए बच्चे का फोटो चार-पांच कोचिंग वाले छाप कर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। इस आयोजन के संयोजक स्वराज के प्रदेश महासचिव डॉ. मुकेश माण्डन ने बताया कि इंडिपेंडेंट स्कूल अलायंस एवं वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र कर्णावट ने प्राईवेट स्कूल्स के विभिन्न संगठनों के सामूहिक समन्वयन पर विस्तार से अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि वर्तमान समय में प्राईवेट स्कूल्स की सभी यूनियन्स को एक साझा मंच तैयार करना अत्यावश्यक हो गया है। इस अवसर पर पेरेंट्स एवं स्कूल मैनेजमेंट के मध्य बेहतर तालमेल विषयक पैनल डिस्कशन में मोडरेटर
विलियम डिसूजा, उदयपुर, दयानंद गेपाला, नागौर, गोपीदास रामावत, पाली, दिलीप पोकरना, चित्तौड़गढ़, रेणुदीप गौड़, भरतपुर तथा मनीषा लश्करी, जोधपुर ने बहुत ही प्रभावी तरीके से विचार प्रकट किए। प्राईवेट स्कूल्स की यूनियन्स के दायित्व एवं योगदान विषय पर आयोजित पैनल डिस्कशन का मोडरेशन डा. मुकेश माण्डन, जोधपुर ने किया। इस पैनल डिस्कशन में पैपा के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल, बीकानेर, इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन एंड वेलफेयर सोसाइटी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र कर्णावट, राजसमंद, स्वराज के प्रदेश उपाध्यक्ष भागीरथ पचार, चूरू, न्यू आल राजस्थान स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष भरतकुमार भाटी, ब्यावर, प्राईवेट स्कूल महासंघ के प्रदेश महासचिव डॉ. श्याम लाल सैनी, भोपालगढ़, स्कूल क्रांति संघ के रिसाला सिंह पायल, झुंझुनू, स्कूल शिक्षा परिवार के श्याम लाल बिडियासर, नागौर तथा स्वयं सेवी शिक्षण संस्था संघ के आनन्द सिंह सांखला, जोधपुर ने अपने अपने विचार व्यक्त करते हुए प्राईवेट स्कूल्स के यूनियन्स के दायित्व एवं योगदान पर प्रकाश डाला। इस पैनल डिस्कशन के बाद सभी पैनलिस्ट्स ने प्राईवेट स्कूल्स के यूनियन्स के साझा मंच की मुखर पैरवी की। इस अवसर पर सीबीएसई, आरबीएसई, आईसीएसई एवं बीएसबी इत्यादि शिक्षा बोर्ड्स की तुलनात्मक विवेचना रिटायर्ड डेप्युटी डायरेक्टर सत्येंद्र सिंह पंवार ने की। डॉ. मुकेश माण्डन ने प्री स्कूल्स के दुष्प्रभाव विषय पर अपनी वार्ता रखते हुए आह्वान किया कि प्री स्कूल्स के लिए भी शिक्षा विभाग द्वारा नियम कायदे बनाने के लिए हमें योजनाबद्ध तरीके से अपने सुझाव एवं मांग सरकार तक पहुंचाने होंगे। अपॉर्च्यूनिटी इंटरनेशनल की इंडिया हैड श्रीमती साक्षी सोढ़ी ने प्राइवेट स्कूल के वित्तीय प्रबंधन से सम्बन्धित विशेष जानकारी दी। क्लिक्स के मयंक सफर एवं शिव कुमार शर्मा ने भी फाईनेंसिएल मैनेजमेंट से जुड़े अनेक टिप्स संभागियों को देकर उनसे इंटरेक्शन भी किया।
सार्थक संगत के समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने सार्थक संगत के एक वर्ष के सफर पर प्रकाश डाला तथा उपलब्धियों से अवगत कराते हुए कहा कि हमने जोधपुर में सिर्फ 100 डेलीगेट्स के लिए आयोजन तय किया था लेकिन सार्थक संगत में हो रहे सार्थक चिन्तन एवं क्रियान्वयन से प्रभावित स्कूल्स संचालकों के अनुरोध पर 150 स्कूल संचालकों को सम्मिलित करना पड़ा। उन्होंने ब्यावर के साथियों के आग्रह को स्वीकार करते हुए पांचवीं सार्थक संगत ब्यावर में रखे जाने की घोषणा की। सार्थक संगत का सफलतम एक वर्ष पूरा होने का सेलीब्रेशन इस अवसर पर केक काटकर किया गया।
कार्यक्रम का मंच संयोजन डॉ. मुकेश मांडन, गिरिराज खैरीवाल एवं साक्षी सोढ़ी ने किया। आभार आनन्द सिंह सांखला ने ज्ञापित किया।
एज्यूकेशन एक्सीलेंस अवार्ड “ज्ञान गौरव” का हुआ आयोजन
इस अवसर पर एज्यूकेशन एक्सीलेंस अवार्ड “ज्ञान गौरव का आयोजन भी किया गया। जोधपुर के जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक शिक्षा) ओम सिंह राजपुरोहित के मुख्य आतिथ्य में आयोजित ज्ञान गौरव सम्मान के अंतर्गत शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली 111 विभूतियों को सम्मानित किया गया। सभी अतिथियों एवं सहयोगियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
मुकेश माण्डन, आनन्द सिंह सांखला, युधिष्ठिर सिंह गहलोत, विनोद तिवाड़ी, रायचंद लटियाल, चरण सिंह चौधरी, लोकेश कुमार मोदी, जयपाल सिंह भाटी, भैरूसिंह, विष्णु पंवार एवं विजयलक्ष्मी पारीक, डा. आनन्द थोरी इत्यादि ने विभिन्न व्यवस्थाओं को बखूबी संभाला।
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