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BREAKING हेमंत सोरेन 5 महीने बाद जेल से बाहर आए:झारखंड हाईकोर्ट ने जमानत देते हुए कहा- मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल होने के ठोस सबूत नहीं

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BREAKINGहेमंत सोरेन 5 महीने बाद जेल से बाहर आए:झारखंड हाईकोर्ट ने जमानत देते हुए कहा- मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल होने के ठोस सबूत नहीं

रांची

रांची की बिरसा मुंडा जेल के बाहर हेमंत सोरेन के समर्थक पहुंचे हुए थे।

झारखंड के पूर्व CM हेमंत सोरेन शुक्रवार 28 जून को रांची की बिरसा मुंडा जेल से बाहर आ गए हैं। जेल के बाहर समर्थकों ने उनका स्वागत किया। उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी उन्हें लेने के लिए जेल पहुंची थीं। शुक्रवार सुबह जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हाईकोर्ट से उन्हें जमानत मिली है। हाईकोर्ट ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में शामिल होने के ठोस सबूत नहीं मिले हैं।

हेमंत सोरेन को जमानत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि सोरेन PMLA एक्ट के तहत जमानत की दोनों शर्तों को पूरा करते हैं।

PMLA एक्ट के सेक्शन 45 के तहत जमानत की 2 शर्ते हैं:
1. यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं हो कि आरोपी ने कथित अपराध किया है।
2. दूसरी शर्त है कि जमानत पर रहने के दौरान उस तरह का कोई अपराध नहीं करेगा।

कोर्ट ने कहा कि सोरेन उन दोनों शर्तों को पूरा करते हैं। इसलिए अदालत इन्हें नियमित जमानत दे रही है।

कोर्ट के फैसले के बाद सोरेन के सरकारी आवास में मिठाई बांटी गईं। हेमंत को इस मामले में 31 जनवरी की रात ED ने गिरफ्तार किया था।

जमानत याचिका पर 13 जून को सुनवाई पूरी हो चुकी थी। जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत में पिछले तीन दिनों तक सुनवाई हुई। अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

जेल जाने के 96 दिन बाद हेमंत सोरेन चाचा के निधन पर पैरोल पर बाहर आए थे।

हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट से राहत मिलने के बाद पॉलिटिकल रिएक्शन पढ़िए…

  • JMM ने X पर लिखा है- हर अत्याचारी का अंत बुरा ही होता है। तानाशाहों के पास जितनी भी शक्ति है, बंदूक, गोले बारूद हों – अंत में हमेशा सत्य की ही जीत होती है।
  • शरद पवार ने कहा कि उन्हें राजनीति से प्रेरित मामले में जेल भेजा गया। 149 दिन के संघर्ष को आज न्याय मिला। कोर्ट से हेमंत सोरेन को मिली जमानत से यह अहसास और मजबूत हो गया है कि सत्य की जीत अब ज्यादा दूर नहीं है। हम एनडीए सरकार से मांग करते रहेंगे कि वह बदले की भावना से कोई कार्रवाई न करे। यह सुनिश्चित करने का प्रयास करे कि लोकतंत्र संविधान के अनुरूप फले-फूले।
  • बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा है कि महत्वपूर्ण आदिवासी नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक मामले के कारण इस्तीफा देना पड़ा था, लेकिन आज उन्हें माननीय उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई है। हेमंत, हमारे बीच फिर से आपका स्वागत है।

ED ने जमानत का किया था विरोध

13 जून को ED की ओर से वकील एसवी राजू ने कहा कि हेमंत सोरेन को जमानत नहीं दी जा सकती है। वे प्रभावशाली व्यक्ति हैं। उन्हें जमानत मिली तो वे राज्य की मशीनरी का इस्तेमाल करते हुए जांच को प्रभावित कर सकते हैं।

ED ने कोर्ट में आरोप लगाया कि हेमंत सोरेन ने अवैध तरीके से बड़गाईं अंचल की 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जा किया है। यह पीएमएलए-2002 में निहित प्रावधानों के अनुसार मनी लॉन्ड्रिंग है।

हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने कुछ दिन पहले ही गांडेय उपचुनाव में जीत दर्ज की है।

हेमंत सोरेन का पक्ष सुप्रीम कोर्ट की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने रखा। उन्होंने कहा कि इस केस में मनी लान्ड्रिंग​​​​​​ का मामला नहीं बनता है। यह पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध का मसला है। उन्होंने कहा कि ED ने अपनी चार्जशीट में जिस जमीन पर बैंक्वेट हॉल बनाने की बात कही है, वह महज उसका अनुमान है।

इससे पहले हेमंत सोरेन के वकील ने कोर्ट को बताया कि जिस 8.86 एकड़ जमीन को लेकर ईडी कार्रवाई कर रही है, वह उनके नाम है ही नहीं। ईडी सिविल मामले को क्रिमिनल बना रही है। ऐसे में उन्हें दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की तर्ज पर जमानत दी जाए।

ईडी ने 31 जनवरी को हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था।

वहीं 12 जून को हुई सुनवाई में ईडी की ओर ‎‎से एडवोकेट एसवी राजू‎ ने हाईकोर्ट को​​ बताया कि हेमंत सोरेन बरियातू के बड़गाई की 8.86 एकड़ की जिस जमीन को लेकर जानकारी नहीं होने की बात बता रहे हैं, दरअसल वह जमीन उनके नाम से ही है।

इस बात की पुष्टि खुद पूर्व सीएम के प्रेस सलाहकार रहे अभिषेक प्रसाद पिंटू ने अपने बयान में की है। यही बात बड़गाई अंचल के सीओ और राजस्व कर्मी भानु प्रताप ने भी पूछताछ में कही है।

हेमंत सोरेन के आदेश पर ही विवादित जमीन के सत्यापन का दिया गया निर्देश‎

ईडी ने कोर्ट को यह भी बताया कि जब अभिषेक प्रसाद पिंटू से पूछताछ की गई थी, तब उसने ही बताया कि हेमंत सोरेन के निर्देश पर ही उन्होंने सीएमओ में कार्यरत उदय शंकर को बरियातू की विवादित जमीन का सत्यापन का निर्देश दिया था।

इसके बाद उदय शंकर ने बड़गाईं के तत्कालीन अंचलाधिकारी मनोज कुमार को उक्त जमीन का सत्यापन करने को कहा था। भानु प्रताप अवैध कब्जे‎ से जुड़ी गतिविधियों में हेमंत सोरेन की मदद‎ कर रहे थे।‎

ED की टीम ने हेमंत सोरेन के दिल्ली वाले आवास से 36 लाख रुपए कैश जब्त किया था।

कई सरकारी अफसर जमीन ‎कब्जा करने के सिंडिकेट में हैं शामिल‎- ईडी
ईडी ने अपना पक्ष रखने के क्रम में बताया कि राज्य की सरकारी जमीन पर कब्जा करने के लिए सिंडिकेट काम कर रहा था। इसमें हेमंत सोरेन और उनके अधिकारी भी मदद कर रहे थे।

ईडी ने अदालत को बताया कि भानु प्रताप प्रसाद, सद्दाम हुसैन और अन्य लोग सरकारी जमीनों के फर्जी दस्तावेज बनाते थे। फिर नए दस्तावेज के आधार पर जमीन पर कब्जा करते थे।

ईडी ने कोर्ट को बताया कि जमीन के असली मालिक राजकुमार पाहन ने जमीन पर कब्जा होने की शिकायत अधिकारी से की थी। सोरेन ने‎ इस प्लॉट पर गैर कानूनी तरीके से 2009-10 में‎ कब्जा किया था। इस जमीन पर बाउंड्री वॉल भी बना ‎दी गई है। इस प्रॉपर्टी का ईडी ने दो बार सर्वे किया था।‎

10 जून की सुनवाई में क्या हुआ था
याचिका की सुनवाई के पहले दिन लगभग दो घंटे तक बहस चली। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने बहस करते हुए अदालत में कहा कि जिस जमीन को लेकर मामला चल रहा है, वह भूईहरी नेचर की है।

इसका स्थानांतरण नहीं हो सकता है। ईडी इस जमीन पर प्रार्थी के कब्जे की बात कह रहा है। जबकि जांच एजेंसी के पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है जो यह बताए कि जमीन कब्जे में है।

13 मई को पीएमएलए कोर्ट में याचिका खारिज हुई थी
नियमित जमानत को लेकर पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने ईडी की विशेष अदालत में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने गलत तरीके से आरोपी बनाने का हवाला देते हुए जमानत की मांग की थी।

स्पेशल कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई भी हुई। ईडी की स्पेशल कोर्ट ने 13 मई को हेमंत सोरेन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

13 मई को पीएमएलए कोर्ट में जमानत याचिका हुई थी खारिज।

सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार कर दिया था
इससे पहले हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट से जमानत की गुहार लगाई थी। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल पूर्व सीएम की पैरवी कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट में 21-22 मई को वेकेशन बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि सोरेन की ओर से फाइल की गई याचिका में फैक्ट को छिपाया गया है।

अदालत ने उनसे कहा कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी की स्पेशल कोर्ट संज्ञान ले चुकी है। आपने इस बात की जानकारी नहीं दी। इसके बाद अदालत ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

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