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कोटा में कार ने दो सहेलियों को कुचला, मौत:पैर भी कटे; कथा के बाद पंडितों को भीलवाड़ा छोड़कर लौट रहा था ड्राइवर

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कोटा में कार ने दो सहेलियों को कुचला, मौत:पैर भी कटे; कथा के बाद पंडितों को भीलवाड़ा छोड़कर लौट रहा था ड्राइवर

कोटा

कोटा में आज सुबह 8 बजे कार की टक्कर से दो सहेलियों की मौत हो गई। कार की स्पीड इतनी तेज थी कि दोनों उछलकर 20 फीट दूर झाड़ियों में गिर गईं। हादसा सिमलिया थाना इलाके में हुआ।

सिमलिया थाना SHO दलपत सिंह ने बताया- ज्योति प्रजापत (23) पुत्री बजरंग लाल प्रजापत और वर्षा नागर (22) पुत्री बृजगोपाल नागर सिमलिया गांव में पावर हाउस बस्ती के पास रहती थीं और पड़ोसी थीं। दोनों सहेलियां गढ़ेपान फैक्ट्री के ट्रेनिंग सेंटर में सिलाई सिखाने जाती थीं।

आज भी फैक्ट्री जाने के लिए कोटा-बारां हाईवे पर पावर हाउस बस्ती के सामने सड़क किनारे रेलिंग पर बैठकर गाड़ी का इंतजार कर रही थीं। इस दौरान कोटा की तरफ से इनोवा कार स्पीड में आई और रेलिंग को तोड़ते हुए दोनों को टक्कर मार दी।

गंभीर हालत में दोनों को कोटा के न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल लाया गया, जहां डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हादसे में दोनों के पैर कट गए थे। शव हॉस्पिटल की मॉर्च्युरी में रखवाए गए हैं। कार ड्राइवर को पकड़ लिया है। दोनों की माता-पिता हॉस्पिटल पहुंचे तो अपनी बेटी का शव देखकर बदहवास हो गए।

यह वो कार है, जिसकी टक्कर से युवतियों की मौत हुई है। कार को जब्त कर ड्राइवर को पकड़ लिया है।

यह वो कार है, जिसकी टक्कर से युवतियों की मौत हुई है। कार को जब्त कर ड्राइवर को पकड़ लिया है।

भीलवाड़ा से लौट रहा था कार ड्राइवर
SHO दलपत सिंह ने बताया- इनोवा कार राजेश नागर निवासी मरायथा थाना, खानपुर चला रहा था। वह ड्राइवर है। उसे पकड़ लिया है और कार काे भी जब्त कर लिया है। पूछताछ में सामने आया कि वह खानपुर में कथा के बाद पंडितों को छोड़ने भीलवाड़ा गया था। रात करीब 3 बजे भीलवाड़ा से वापस आने के लिए निकला था।

कोटा-बारां हाईवे पर पावर हाउस बस्ती के सामने हादसे के बाद टूटी हुई रेलिंग। दोनों युवतियां इसी रेलिंग पर बैठी थीं। यहीं कार ने उन्हें टक्कर मारी थी।

कोटा-बारां हाईवे पर पावर हाउस बस्ती के सामने हादसे के बाद टूटी हुई रेलिंग। दोनों युवतियां इसी रेलिंग पर बैठी थीं। यहीं कार ने उन्हें टक्कर मारी थी।

7 साल से दे रही थीं सिलाई की ट्रेनिंग
ज्योति के मौसेरे भाई दीपक ने बताया कि ज्योति तीन भाई-बहन में सबसे छोटी थी। उससे बड़े दो भाई हैं। वह एमए कर रही थी। 6-7 साल से फैक्ट्री के ट्रेनिंग सेंटर पर सिलाई सिखाने जाती थी।

वर्षा नागर के ताऊ हेमराज नागर ने बताया कि वर्षा बीए कर चुकी थी। 7-8 साल से सिलाई सिखाने फैक्ट्री के सेंटर पर जाती थी। उसका एक बड़ा भाई है। माता-पिता खेती करते हैं।

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