4 राज्यों के 49 जिले मिलाकर भीलप्रदेश बनाने की मांग:MP-राजस्थान समेत चार प्रदेशों के आदिवासी बांसवाड़ा के मानगढ़ पहुंचे, कहा- हम हिंदू नहीं
बांसवाड़ा
मानगढ़ धाम में आयोजित महारैली में चार राज्यों के आदिवासी हिस्सा ले रहे हैं। बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने भी इसे संबोधित किया।
देश के 4 राज्यों के 49 जिले मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस मांग को लेकर गुरुवार को बासंवाड़ा के मानगढ़ धाम में आयोजित महारैली में राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग राजस्थान के बांसवाड़ा स्थित मानगढ़ धाम पहुंचे। इस रैली में कई सांसद-विधायक भी शामिल हुए। मानगढ़ धाम आदिवासियों का तीर्थ स्थल है। राजस्थान सरकार भील प्रदेश की मांग पहले ही खारिज कर चुकी है।
बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के सांसद राजकुमार रौत ने कहा- भील प्रदेश की मांग नई नहीं है। बीएपी पुरजोर तरीके से यह मांग उठा रही है। महारैली के बाद एक डेलीगेशन राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से प्रस्ताव के साथ मुलाकात करेगा।
मानगढ़ (बांसवाड़ा) में चार राज्यों के आदिवासी इकट्ठा हुए हैं।
विधायक मेनका डामोर बोलीं- हम हिंदू नहीं
भील समाज की सबसे बड़ी संस्था आदिवासी परिवार सहित 35 संगठनों ने यह महारैली बुलाई थी। आदिवासी परिवार संस्था की संस्थापक सदस्य मेनका डामोर ने मंच से कहा- आदिवासी महिलाएं पंडितों के बताए अनुसार न चलें। आदिवासी परिवार में सिंदूर नहीं लगाते, मंगलसूत्र नहीं पहनते। आदिवासी समाज की महिलाएं-बालिकाएं शिक्षा पर फोकस करें। अब से सब व्रत-उपवास बंद कर दें। हम हिंदू नहीं हैं। आदिवासी परिवार संस्था चारों राज्यों में फैली हुई है।
मानगढ़ धाम पर लोग बाइक, जीप और अन्य वाहनों में सवार होकर सुबह से ही पहुंचना शुरू हो गए थे।
सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट, इलाके में इंटरनेट बंद
बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम पर हो रही सभा के लिए प्रदेश के अलावा मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से भी आदिवासी समाज के लोग जुटे हैं। सभा को लेकर प्रदेश की सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं। सुरक्षा के मद्देनजर महारैली वाले इलाके में इंटरनेट बंद किया गया है।
4 राज्यों के आदिवासी समाज के लोग सुबह से ही कार्यक्रम स्थल मानगढ़ धाम पहुंचने लगे थे। आदिवासियों के वाहनों को मानगढ़ धाम से 5 किमी पहले ही रोक दिया गया।
भील प्रदेश की मांग में राजस्थान के 12, मप्र के 13 जिले शामिल
आदिवासी समाज ने राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात एवं मध्य प्रदेश के 49 जिलों को मिलाकर नया राज्य भील प्रदेश बनाने की मांग की है। इसमें राजस्थान के पुराने 33 जिलों में से 12 जिलों को शामिल करने की मांग है।
मंत्री बोले- जाति के आधार पर प्रदेश नहीं बन सकता
राजस्थान में राजनीतिक ताकत मिलते ही बीएपी ने अन्य जिलों और राज्यों के आदिवासियों को साथ लेकर अलग राज्य और संगठन मजबूत बनाने की मुहिम तेज कर दी है। बीएपी के पास राजस्थान के आदिवासी जिले बांसवाड़ा से 2 विधायक और एक सांसद है। लेकिन भील प्रदेश की मांग को लेकर सरकार ने अपना मत स्पष्ट कर दिया है।
जनजाति मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा- जाति के आधार पर स्टेट नहीं बन सकता। ऐसा हुआ तो अन्य लोग भी मांग करेंगे। हम केंद्र को प्रस्ताव नहीं भेजेंगे। खराड़ी ने यह भी कहा कि जिसने धर्म बदला उनको आदिवासी आरक्षण का लाभ न मिले। खराड़ी ने डूंगरपुर दौरे के दौरान यह बयान दिया।
भारत आदिवासी पार्टी से आसपुर से विधायक उमेश मीणा और धरियावद सीट से विधायक थावरचंद भील प्रदेश लिखी टीशर्ट पहनकर विधानसभा पहुंचे। यह तस्वीर बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने सोशल मीडिया पर शेयर की।
राजकुमार रौत ने शपथ के दौरान संसद में लगाया था भील प्रदेश का नारा
बीएपी सांसद राजकुमार रौत ने पिछले दिनों लोकसभा में सांसद की शपथ लेने के दौरान भी भील प्रदेश के समर्थन में नारे लगाए थे। वे भील प्रदेश बनाने की मांग करते हुए ऊंट पर बैठकर संसद पहुंचे थे।
रोत 18वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए ऊंट पर बैठकर संसद गए थे।
मानगढ़ में 1500 आदिवासियों का नरसंहार हुआ था
बांसवाड़ा जिले के जिस मानगढ़ धाम पर यह रैली हो रही है, वह आदिवासियों के लिए तीर्थ स्थल की तरह है और चारों प्रदेश के आदिवासियों से इसका भावनात्मक जुड़ाव है। मानगढ़ की पहाड़ी का एक हिस्सा गुजरात में और एक हिस्सा राजस्थान में शामिल है।
इस पहाड़ी क्षेत्र में गोविंद गुरू नामक आदिवासी नेता ब्रिटिश हुकुमत के खिलाफ स्वतंत्रता का आंदोलन चला रहे थे। तब 19 नवंबर-1913 को इसी धाम पर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें व उनके आदिवासी साथियों को घेर लिया था। यहां अंग्रेजों ने 1500 आदिवासियों का सामूहिक नरसंहार किया था। उन्हीं की याद में मानगढ़ धाम बना हुआ है। गोविंद गुरू को जीवित पकड़ कर बंदी बना लिया गया था।
आदिवासियों को साधने के लिए मानगढ़ का सहारा लेते हैं राजनीतिक दल
राजनीतिक रूप से इसके महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां सभा की थी, ताकि इससे लगे गुजरात के आदिवासी क्षेत्र को साधा जा सके। वहीं राजस्थान के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यहां बड़ी रैली की थी।
आदिवासी परिवार संगठन क्या है?
भारत आदिवासी पार्टी(बीएपी) आदिवासी परिवार नाम के संगठन से ही निकली है। आदिवासी परिवार को भारत आदिवासी पार्टी के नेताओं के साथ सामाजिक विंग के लोग मिलकर चलाते हैं। इसके साथ ही भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा, भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा भी भारत आदिवासी पार्टी का ही संगठन है।
आदिवासी हक, अधिकार और आरक्षण के मुद्दे को लेकर 10 साल से ये संगठन ज्यादा सक्रिय हैं। पहले आदिवासी परिवार के नाम पर संगठन खड़ा किया। इसके बाद राजस्थान में बीटीपी पार्टी से चुनाव लड़े। पहली ही बार में 2 विधायक जीतने के बाद आदिवासी परिवार से जुड़े नेताओं ने ही भारत आदिवासी पार्टी के नाम से नई पार्टी बनाई। इसके अलावा कई सामाजिक कार्यकर्ता, सरकारी कर्मचारी भी इस विंग का हिस्सा है।
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