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राजस्थान कैडर के दो IAS की चुनाव ड्यूटी कैंसिल:6 IAS के लिए की थी अनुशंसा, चार को इनकार, आखिर सरकार के किन तर्कों से माना आयोग

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राजस्थान कैडर के दो IAS की चुनाव ड्यूटी कैंसिल:6 IAS के लिए की थी अनुशंसा, चार को इनकार, आखिर सरकार के किन तर्कों से माना आयोग

जयपुर

चुनाव आयोग ने राजस्थान कैडर के करीब 50 आईएएस अफसरों की चुनाव ड्यूटी विभिन्न राज्यों में लगा रखी है, लेकिन हाल ही में 2 आईएएस की ड्यूटी कैंसिल कर दी गई। कुल 6 अफसरों के लिए अनुशंसा भेजी गई थी।

जिन दो आईएएस अफसरों की ड्यूटी कैंसिल की गई, वे हैं अजिताभ शर्मा और डॉ. समित शर्मा। ब्यूरोक्रेसी में यह सामान्य घटना नहीं मानी जा रही है, क्योंकि आमतौर पर चुनाव आयोग एक बार ड्यूटी लगा देता है तो उसे कैंसिल करने के मामले बहुत ही कम होते हैं।

आखिर किन कारणों को मानते हुए चुनाव आयोग ने 2 अफसरों की ड्यूटी कैंसिल की, यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है। पढ़िए इस रिपोर्ट में…

कैसे कैंसिल हुई दोनों आईएएस की ड्यूटी?
नियमानुसार जब किसी आईएएस अफसर की ड्यूटी चुनावों में बाहरी राज्यों में लगाई जाती है, तो वे सीधे निजी स्तर पर आयोग से मांग नहीं कर सकते कि उनकी ड्यूटी हटाई जाए। हालांकि बहुत जरूरी कारण होने पर वे अपने स्टेट काडर की सरकार को अपनी बात कह सकते हैं। उसके बाद राज्य सरकार के स्तर पर यह तय होता है कि उनकी चुनाव ड्यूटी हटवाने के लिए आयोग के पास अनुशंसा भेजी जाए या नहीं।

डॉ. समित शर्मा और अजिताभ शर्मा

डॉ. समित शर्मा और अजिताभ शर्मा

नियमानुसार इसका आधार राज्य सरकार किसी निजी कार्य को कभी नहीं बनाती, बल्कि सरकारी कार्यों की अति-आवश्यकता को ही आधार बनाया जाता है। उसके बाद चुनावी ड्यूटी कैंसिल करने की अनुशंसा आयोग को भेजी जाती है। राज्य सरकार की अनुशंसा पर आयोग के पास ही अंतिम फैसला करने का अधिकार होता है। आयोग चाहे तो उसे मान ले या फिर इनकार कर सकता है। उदाहरण के तौर पर 2 आईएएस के मामले को मंजूरी मिल गई, लेकिन शेष 4 आईएएस को नहीं।

1. समित शर्मा : ड्यूटी करने पहुंच भी गए थे छत्तीसगढ़, राज्य सरकार ने क्या बताया कारण
डॉ. समित शर्मा जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव पद पर कार्यरत हैं। आयोग ने शर्मा की ड्यूटी छत्तीसगढ़ के महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में लगाई गई थी। इधर, राज्य सरकार ने शर्मा के पद का अतिरिक्त कार्यभार अतिरिक्त मुख्य सचिव अभय कुमार को सौंप दिया था।

डॉ. समित शर्मा के पास गर्मियों में जल संकट से निपटने की चुनौती है।

डॉ. समित शर्मा के पास गर्मियों में जल संकट से निपटने की चुनौती है।

शर्मा आयोग के निर्देशानुसार ड्यूटी करने पहुंच भी गए थे। इसी बीच चुनाव आयोग ने उनकी ड्यूटी कैंसिल कर दी। अब शर्मा के स्थान पर आईएएस अनिल अग्रवाल को भेजा गया है। ड्यूटी कैंसिल होने पर शर्मा लौट आए हैं। अतिरिक्त कार्यभार कुमार से हटा कर वापस शर्मा को सौंप दिया गया है।

शर्मा के लिए राज्य सरकार ने गर्मियों के मौसम में राजस्थान में पेयजल व्यवस्था से जुड़ी चुनौतियों को आधार बनाया था। मरू प्रदेश राजस्थान में अप्रैल व मई के महीने पेयजल व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिहाज से बेहद मुश्किल माने जाते हैं। ऐसे में जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव की भूमिका बहुत खास बन जाती है। चुनाव आयोग ने इन तर्कों को मानते हुए शर्मा को वापस राजस्थान लौटने की इजाजत दे दी।

राजस्थान के 50 आईएएस अधिकारियों को चुनाव आयोग ने ड्यूटी पर लगाया है।

राजस्थान के 50 आईएएस अधिकारियों को चुनाव आयोग ने ड्यूटी पर लगाया है।

ड्यूटी कैंसिल होने के बाद क्या किया डॉ. समित शर्मा ने?
समित शर्मा ने जलदाय विभाग के सभी इंजीनियरों की फील्ड ड्यूटी जलापूर्ति जांचने के लिए लगा दी है। बुधवार को शर्मा ने इस संबंध में एक वीडियो कांफ्रेंसिंग भी की। इंजीनियरों की ड्यूटी इस तरह से लगाई गई है कि उन्हें खुद अपने मातहत क्षेत्रों में उस वक्त जाकर देखना पड़ेगा, जब नलों से पानी की सप्लाई होती है। किसी इलाके में अगर सुबह 4 बजे पानी की सप्लाई होती है, तो संबंधित क्षेत्र के इंजीनियरों को सुबह 4 बजे क्षेत्र में जाकर देखना होगा कि सप्लाई हो रही है या नहीं।

यह ड्यूटी जेईएन लेकर चीफ इंजीनियर तक की लगाई गई है। जेईएन को रोजाना यह ड्यूटी निभानी होगी, जबकि उनसे ऊपर के सभी अफसरों को सप्ताह में एक से तीन बार यह ड्यूटी निभानी होगी।

2. अजिताभ शर्मा : दिसंबर में होने वाली इन्वेस्टमेंट समिट की तैयारियों के आधार पर हुई ड्यूटी कैंसिल

अजिताभ शर्मा राजस्थान में इन्वेस्टमेंट समिट की तैयारी में जुटे हैं।

अजिताभ शर्मा राजस्थान में इन्वेस्टमेंट समिट की तैयारी में जुटे हैं।

अजिताभ शर्मा वर्तमान में उद्योग विभाग व रीको के प्रमुख शासन सचिव हैं और उनके पास माइंस एंड पेट्रोलियम विभाग का अतिरिक्त कार्यभार भी है। शर्मा इन दिनों दिसंबर-2024 में होने वाली राज्य सरकार की सबसे बड़ी इन्वेस्टमेंट समिट की तैयारियों में जुटे हुए हैं। सरकार इस समिट को अब तक की सबसे बड़ी इन्वेस्टमेंट समिट बनाने में जुटी है।

इसी बीच मुख्य सचिव सुधांश पंत व केन्द्रीय पेट्रोलियम अधिकारियों की पचपदरा रिफाइनरी में स्पॉट विजिट भी हुई है। राजस्थान को औद्योगिक इन्वेस्टमेंट की सख्त जरूरत है, क्योंकि रोजगार के अवसर सृजित करने का सबसे बड़ा तरीका यही है। ऐसे में सरकार ने आयोग को तर्क दिया कि शर्मा के जाने से इस समिट की तैयारियां लगभग एक महीने तक प्रभावित रहेंगी। चुनाव आयोग ने इस तर्क को मानते हुए शर्मा की ड्यूटी कैंसिल कर दी। उनकी ड्यूटी तेलंगाना में लगाई गई थी। अब उनके स्थान पर आईएएस राजेन्द्र विजय को भेजा जाएगा।

टी रविकांत यूडीएच विभाग के प्रमुख शासन सचिव हैं।

टी रविकांत यूडीएच विभाग के प्रमुख शासन सचिव हैं।

इन 4 अफसरों की ड्यूटी नहीं हो पाई कैंसिल

चुनाव आयोग ने नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव टी. रविकांत, जयपुर विकास प्राधिकरण की आयुक्त (जेडीसी) मंजू राजपाल, वित्त विभाग के शासन सचिव केके पाठक और संस्कृत शिक्षा विभाग की शासन सचिव पूनम की चुनाव ड्यूटी कैंसिल नहीं की। रविकांत को पश्चिमी बंगाल, पाठक और मंजू को आंध्रप्रदेश और पूनम को कर्नाटक में ड्यूटी पर लगाया गया है। इन चारों अफसरों के सरकारी कामकाज को चुनाव आयोग ने ड्यूटी कैंसिल होने के लिहाज से जरूरी नहीं माना।

नगरीय विकास विभाग में इससे रोचक स्थिति बन गई है। विभाग के प्रमुख शासन सचिव रविकांत व जेडीसी मंजू राजपाल की प्रदेश से बाहर चुनाव ड्यूटी लगी है और जेडीए सचिव हेमपुष्पा शर्मा भी चुनावों से संबंधित काम-काज संभाल रहे हैं। ऐसे में जेडीए में अब करीब एक महीने तक काम-काज की रफ्तार धीमी ही रहने की संभावना जताई जा रही है।

मंजू राजपाल जेडीए आयुक्त हैं, लेकिन उनकी ड्यूटी चुनाव आयोग ने आंध्र प्रदेश में लगाई है।

मंजू राजपाल जेडीए आयुक्त हैं, लेकिन उनकी ड्यूटी चुनाव आयोग ने आंध्र प्रदेश में लगाई है।

कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी में खुद लगानी पड़ती है सिफारिश और बनाने पड़ते हैं बहाने
लंबी चुनावी ड्यूटी, परिवार और खुद के शहर-कस्बे से दूरी के चलते अधिकारी-कर्मचारी अपनी चुनावी ड्यूटी कैंसिल करवाने की जुगत लगाते रहते हैं। वे अपने आवेदन में कुछ कारण भी गिनाते हैं। कुछ कर्मचारी-अधिकारी और कॉलेज-विवि शिक्षक तो खुद के चुनाव लड़ने तक का तर्क देकर यह भी आवेदन कर देते हैं कि वे जल्द ही चुनाव लड़ सकते हैं, ऐसे में चुनाव में ड्यूटी नहीं लगाई जाए।

प्रदेश में हाल ही विधानसभा और लोकसभा चुनावों में 20 से अधिक काॅलेज-विवि के शिक्षकों ने यह आवेदन किया था। यह आवेदन केवल चुनाव लड़ सकने की संभावनाओं को लेकर होता है, स्वैच्छित सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के संबंध में नहीं।

यह होते हैं सामान्य कर्मचारियों के चुनाव ड्यूटी को कैंसिल करवाने के बहाने, सरकारी काम-काज के बारे में नहीं की जाती अपील

  • आयु रिटायरमेंट के करीब है। ऐसे में ज्यादा भाग-दौड़ का काम संभव नहीं।
  • तबीयत लगातार खराब रहती है। डायबिटीज, बीपी और घुटनों में लगातार दर्द की समस्या। हार्ट पेशेंट, बायपास सर्जरी, घुटनों के ऑपरेशन आदि को भी प्रमुख कारण बताया जाता है।
  • पत्नी भी जॉब में हैं और दूसरे शहर में है। ऐसे में बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी के साथ चुनाव ड्यूटी संभव नहीं हो सकेगी।
  • महिला कर्मचारी आम तौर पर बच्चे छोटे होने और पति के दूसरे शहर में कार्यरत होने का तर्क देती हैं।
चुनावी ड्यूटी कैंसिल करनी है या नहीं यह सबकुछ चुनाव आयोग पर ही निर्भर करता है।

चुनावी ड्यूटी कैंसिल करनी है या नहीं यह सबकुछ चुनाव आयोग पर ही निर्भर करता है।

इन बहानों के जवाब में आम तौर पर ड्यूटी कैंसिल करने वाले जिला कलेक्टर व उनके मातहत कार्यरत अफसरों के तर्क भी बड़े रोचक रहते हैं। वे ड्यूटी कैंसिल करवाने वाले कार्मिकों को कहते हैं कि अगर रिटायमेंट की उम्र नजदीक होने के चलते चुनाव ड्यूटी नहीं होती है, तो रिटायरमेंट ले ही लीजिए।

बीमारी आदि के बारे में भी यही कहा जाता है कि दवा लेकर आराम से काम कीजिए। कर्मचारियों-अधिकारियों व शिक्षकों के मामले में उनके सरकारी काम-काज को आधार नहीं माना जाता है। सामान्यतः उनके आधार पर ड्यूटी कैंसिल करवाने की अपील भी नहीं की जाती है।

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