गर्विता पाल को डॉक्टरेट की उपाधि
बीकानेर: बीकानेर की गर्विता पाल ने टांटिया विश्वविद्यालय, श्रीगंगानगर के वाणिज्य और प्रबंधन विभाग से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। उन्होंने डॉ. शीतल अग्रवाल के निर्देशन में अपने शोध कार्य को पूरा किया, जिसका शीर्षक था “राजस्थान राज्य के विशेष संदर्भ में जनसंख्या पर डिजिटल बैंकिंग का प्रभाव”। इस शोध के दौरान, गर्विता ने डिजिटल बैंकिंग के विभिन्न पहलुओं और इसके जनसंख्या पर पड़ने वाले प्रभावों का गहन विश्लेषण किया।
गर्विता पाल के शोध की महत्वपूर्णता समकालीन संदर्भ में अत्यधिक है, क्योंकि डिजिटल बैंकिंग के क्षेत्र में लगातार बदलाव आ रहे हैं और यह क्षेत्र विशेषकर विकासशील राज्यों के लिए एक प्रमुख पहलू बन चुका है। उनके शोध ने विस्तृत डेटा और तथ्यों के आधार पर यह सिद्ध किया कि डिजिटल बैंकिंग ने राजस्थान राज्य की जनसंख्या की वित्तीय समावेशन, आर्थिक साक्षरता, और लेन-देन की आदतों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है।
“राजस्थान राज्य के विशेष संदर्भ में जनसंख्या पर डिजिटल बैंकिंग का प्रभाव”
गर्विता पाल का शोध डिजिटल बैंकिंग के प्रभाव को राजस्थान की जनसंख्या पर केंद्रित करता है, जो कि एक विशेष और महत्वपूर्ण विषय है। राजस्थान जैसे बड़े और विविध जनसंख्या वाले राज्य में डिजिटल बैंकिंग ने कई प्रकार से बदलाव किए हैं:
- वित्तीय समावेशन: डिजिटल बैंकिंग ने ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बैंकिंग सेवाओं तक पहुँचने की सुविधा प्रदान की है, जिससे वे पहले की तुलना में वित्तीय सेवाओं का लाभ अधिक आसानी से प्राप्त कर पा रहे हैं।
- आर्थिक साक्षरता: डिजिटल बैंकिंग ने लोगों को वित्तीय लेन-देन के प्रति अधिक जागरूक और साक्षर बनाया है। इससे लोग अपनी बचत, निवेश और खर्च की आदतों को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर पा रहे हैं।
- लेन-देन की आदतें: डिजिटल लेन-देन की बढ़ती प्रवृत्ति ने नकद लेन-देन की आदतों में बदलाव किया है। लोगों ने ऑनलाइन लेन-देन को अपनाना शुरू कर दिया है, जिससे बैंकों की शाखाओं में भीड़ कम हुई है और ट्रांजेक्शन की गति में सुधार आया है।
- विकास और समृद्धि: डिजिटल बैंकिंग ने राज्य के आर्थिक विकास में भी योगदान दिया है, क्योंकि यह नई उद्यमिता और व्यापार अवसरों को बढ़ावा देता है, जिससे रोजगार के अवसर और समृद्धि की संभावनाएं बढ़ती हैं।
गर्विता पाल का शोध इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है, जो डिजिटल बैंकिंग के प्रभाव को समझने और उसकी संभावनाओं का अध्ययन करने में सहायक होगा। उनके शोध ने इस बात को उजागर किया है कि डिजिटल बैंकिंग केवल एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि एक सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन भी है।
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