सेहतनामा- महिला को कुचलने वाले ने पी 12 पैग व्हिस्की:शराब का एक पैग भी जानलेवा, ये स्टेटस सिंबल या कूल होने की निशानी नहीं है
7 जुलाई को सुबह के साढ़े पांच बज रहे होंगे। मुंबई के वर्ली कोलिवाडा इलाके में एक मछुआरा दंपति बाजार से मछली खरीदकर लौट रहा था। पति स्कूटर चला रहा था और महिला पीछे बैठी थी, घर पर बेटी इंतजार कर रही थी। तभी एक तेज रफ्तार लग्जरी कार BMW ने उन्हें टक्कर मार दी। टक्कर इतनी तेज थी कि पति-पत्नी कार के बोनट पर जा गिरे। पति बोनट से कूद गया, लेकिन पत्नी उठ नहीं पाई। कार ने उसे 1.5 किलोमीटर तक घसीटा, फिर कुचलकर आगे निकल गई। उन्हें घायल अवस्था में अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना के आरोपी 23 साल के मिहिर शाह ने एक्सीडेंट से कुछ घंटे पहले ही व्हिस्की के 12 बड़े पैग पिए थे। इसके एक महीने पहले ही पुणे में ऐसे ही शराब के नशे में एक धुत नाबालिग ने अपनी पोर्शे कार से दो लोगों को कुचलकर मार डाला था।
इन दोनों घटनाओं में दो चीजें कॉमन हैं, कम उम्र के बच्चे और शराब के नशे में कार एक्सीडेंट। शराब पीकर कार चलाने का मतलब है कि कार एक्सीडेंट का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। इसकी वजह है शराब का नशा। शराब के नशे के दुष्प्रभाव सिर्फ कार एक्सीडेंट तक ही सीमित नहीं हैं। इससे बड़े पैमाने पर शारीरिक और मानसिक नुकसान भी होता है।
इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में शराब से होने वाले नुकसान जानेंगे। साथ ही समझेंगे कि-
- क्या थोड़ी सी शराब पीना भी नुकसानदायक है?
- क्या शराब जानलेवा हो सकती है?
- कम उम्र के बच्चे शराब के नशे की ओर क्यों बढ़ रहे हैं?
शराब की पहली बूंद से शुरू हो जाते हैं नुकसान: WHO
शराब के सेवन को लेकर कुछ साल पहले ‘द लैंसेट’ में पब्लिश एक स्टडी में दावा किया गया था कि अगर सीमित मात्रा में इसका सेवन किया जाए तो सेहत को कई फायदे हो सकते हैं। हार्ट हेल्थ बेहतर हो सकती है और डायबिटीज का खतरा टल सकता है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बात को सिरे से नकार दिया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, शराब की पहली बूंद से ही नुकसान होने शुरू हो जाते हैं। इससे थोड़ी देर के लिए आनंद की अनुभूति हो सकती है, लेकिन जब पूरी तस्वीर उठाकर देखेंगे तो शराब के सेवन से सिर्फ नुकसान ही नुकसान नजर आएंगे।
शराब पीने की कोई सेफ लिमिट नहीं है : WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, शराब के सेवन की कोई सेफ लिमिट नहीं होती है। इसका मतलब है कि शराब का एक पैग भी आपकी सेहत पर बुरा असर ही डालता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, 30 ml या एक छोटा-सा पैग भी हमारे लिवर को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। अल्कोहल को हमारा लिवर फिल्टर करता है। इस फिल्टरेशन की प्रक्रिया में हर बार उसकी कुछ सेल नष्ट हो जाती हैं। यह सच है कि लिवर फिर से नई सेल्स डेवलप कर सकता है। फिर भी लगातार कई सालों तक शराब का सेवन करने से लिवर की सेल्स को रीजेनरेट करने की क्षमता कम होती जाती है, भले ही हम बहुत कम शराब का सेवन कर रहे हों।
इनमें कुछ जरूरी पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं:
शराब पीने से होता है कैंसर
WHO यह भी कहता है कि शराब की जरा-सी भी मात्रा कैंसर को दावत दे सकती है। जबकि कई लोग कैंसर को सिर्फ स्मोकिंग से ही जोड़कर देखते हैं।
इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने बहुत पहले ही अल्कोहल को ग्रुप 1 कार्सिनोजन में डाल दिया था। इसका मतलब है कि शराब से कैंसर होने का खतरा है।
कैंसर हमारे शरीर की सेल्स की असामान्य और अनियंत्रित वृद्धि के कारण होने वाली एक गंभीर बीमारी है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में साल 2013 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, शराब के सेवन से मुंह, गले, कोलोन, स्तन और लिवर के कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। प्रतिदिन शराब के सेवन से मुंह और गले के कैंसर का जोखिम 20% तक बढ़ जाता है।
शराब सेवन से मस्तिष्क को होता है नुकसान
शराब के अधिक सेवन से मस्तिष्क पर कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं। असल में इथेनॉल हमारे में मस्तिष्क जाकर ब्रेन सेल्स के बीच कम्युनिकेशन को धीमा कर देता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक बहुत ज्यादा शराब पीने से ब्लैकआउट की स्थिति बन सकती है। इसका मतलब है कि शराब के नशे के दौरान किसी भी घटना की मेमोरी नहीं बनेगी। आमतौर पर ये परिवर्तन अस्थाई होते हैं, लेकिन लंबे समय तक शराब के सेवन से यह स्थाई मेमोरी लॉस का कारण बन सकता है।
थोड़ी मात्रा में भी शराब के सेवन से दिमाग में सिकुड़न पैदा हो सकती है, जो ब्रेन फंक्शनिंग के लिए बड़ा खतरा है। इससे डिमेंशिया और मेमोरी लॉस की समस्या हो सकती है।
शराब के सेवन से बढ़ सकता है डिप्रेशन
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश साल 2011 की एक स्टडी के मुताबिक, शराब का सेवन और डिप्रेशन दोनों स्थितियां एक दूसरे को और खतरनाक बना सकती हैं। एंग्जायटी और डिप्रेशन का सामना कर रहे कई लोग तनाव कम करने के लिए और मूड में सुधार के लिए जानबूझकर शराब पीते हैं। इससे फौरी तौर पर कुछ घंटों के लिए राहत भी मिल सकती है, लेकिन यह समग्र मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर लंबे समय तक ऐसा होता रहे तो शराब का सेवन और डिप्रेशन एक दुष्चक्र बन सकते हैं।
दिल की सेहत बिगड़ सकती है
मौजूदा वक्त में पूरी दुनिया में मौत का सबसे बड़ा कारण हार्ट डिजीज है। इसमें कोरोनरी हार्ट डिजीज, हार्ट स्ट्रोक, हार्ट अटैक जैसी कई कंडीशन हो सकती हैं। अधिक मात्रा में शराब के सेवन से दिल की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, अगर किसी तरह की हार्ट डिजीज है तो शराब के सेवन से परहेज करना चाहिए।
लत लगने का खतरा
कुछ लोग शराब पीने के आदी हो जाते हैं। इस स्थिति को अल्कोहल डिपेंडेंस कहते हैं। अगर लती लोगों को शराब न मिले तो वे खुद को अपंग महसूस करने लगते हैं। इसके बगैर कुछ भी करने की स्थिति में नहीं होते हैं। अमेरिका में करीब 12% लोग अल्कोहल डिपेंडेंसी का शिकार हैं।
इसके पीछे फैमिली हिस्ट्री, सामाजिक वातारण जैसे कई कारण जिम्मेदार हैं। युवाओं और टीनएजर्स में शराब के प्रति आकर्षण का कारण भी यही है।
टीनएजर्स और युवाओं में बढ़ रहा इसका चलन
बीते कुछ महीनों में ड्रिंक एंड ड्राइव केस में एक्सीडेंट के कई मामले सामने आए हैं। इनमें ज्यादातर लड़के युवा और टीनएजर्स हैं। इसके पीछे क्या कारण हैं, ग्राफिक में देखते हैं।
ट्विटर पर ‘द लिवर डॉक’ के नाम से मशहूर डॉ. ऐबी फिलिप ने भी बच्चों और युवाओं के बीच बढ़ रहे शराब के चलन और सामान्यीकरण पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसके लिए सोशल मीडिया पर शराब की तस्वीरें, टीवी और ओटीटी पर पॉपुलर कल्चर को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने इससे पहले भी कई बार शराब को लेकर आगाह किया है। अगर इसके लिए कोई कठोर नियम नहीं आता है और बतौर समाज हम इसके प्रति सजग नहीं हुए तो आने वाले समय में एक बड़ी आबादी बीमारियों के गुच्छों से लद जाएगी।
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