जयपुर के स्टूडेंट के पास मिली इंटरनेशनल ड्रग LSD:स्टाम्प टिकट की तरह दिखती है, अमेरिका, रूस यूरोप में चलन; झाड़ू, कोण और वाइपर में MD की तस्करी
जोधपुर
महाराष्ट्र से ड्रग इंडस्ट्री के राजस्थान में शिफ्ट होने के साथ ही इंटरनेशनल ड्रग मिलने का खुलासा हुआ है। पिछले 5 सालों में पहली बार नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने LSD जब्त किया है। जो जयपुर के एक स्टूडेंट के पास मिला था। यह वो ड्रग है जिसे लेने के बाद इंसान को मतिभ्रम का एहसास होता है। सबसे खास यह कि यह स्टाम्प टिकट की तरह दिखता है। आम इंसान इसे पहचान ही नहीं सकता।
NCB जयपुर-जोधपुर जोनल डायरेक्टर घनश्याम सोनी के अनुसार, तस्करों के लिए राजस्थान ड्रग खपाने का सबसे बड़ा एरिया बन चुका है। यहां इंटरनेशनल ड्रग जब्त होने के साथ ही अन्य प्रदेश और राज्यों से आए स्टूडेंट पैडलर के बड़े खरीदार बन रहे हैं। सोनी बताते हैं- तस्कर अब झाड़ू के कवर, अमेजॉन के पार्सल, मेंहदी के कोण और वाइपर के जरिए इसकी सप्लाई करते हैं।
पढ़िए कैसे राजस्थान में आ रही इंटरनेशनल ड्रग
NCB के आंकड़ों के अनुसार, 2019 से लेकर 2023 तक चरस, गांजा, अफीम, डोडा पोस्त जैसी ड्रग्स की तस्करी जारी थी। इसके बाद अचानक जोधपुर, सिरोही, सांचौर, बाड़मेर में लगातार ड्रग्स की फैक्ट्रियां पकड़ी जाने लगी। साल 2024 में एमडी और LSD जैसी ड्रग्स भी पकड़ी गई। ये वो ड्रग हैं जो अब तक देश के बड़े शहरों में ही यूज आ रही थी। इन ड्रग की कीमत करोड़ों में है। 2024 इनका राजस्थान में आना खतरे का संकेत का संकेत हैं।
स्टूडेंट में डेवलप हुआ ड्रग कल्चर
इस पूरे मामले को लेकर NCB के जोनल डायरेक्टर सोनी कहते हैं- राजस्थान में कोटा, चित्तौड़गढ़ यानी हाड़ौती बेल्ट अफीम और अन्य नशे का कल्टीवेशन एरिया है। जहां ड्रग्स की खेती होती है। पिछले 5 सालों में जोधपुर संभाग में नशे की खपत बढ़ी है। जयपुर, अलवर और एनसीआर के टच में आने वाले क्षेत्रों में आर्टिफिशियल ड्रग्स का चलन बढा है। इधर गंगानगर, हनुमानगढ़, बाड़मेर और जैसलमेर के एरिया में पाकिस्तान के जरिए ड्रोन से ड्रग्स आने की सूचनाएं मिलती रहती हैं। ये लोग स्टूडेंट्स को निशाना बनाते हैं। जिससे बाहर के राज्यों से आने वाले स्टूडेंट्स से यहां मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों में इस्तेमाल हो रही ड्रग का कल्चर डेवलप हुआ है।
LSD का पहला मामला जयपुर में
सोनी बताते हैं- NCB ने अप्रैल के महीने में पहली बार जयपुर से LSD (लिसेर्जिक एसिड डाइएथाइलैमाइड) का पहला मामला पकड़ा था। यह ड्रग हाईप्रोफाइल लोग यूज करते हैं। ज्यादातर अमेरिका, रूस व यूरोपियन कंट्री में इसका यूज होता है। यह स्टांप टिकट की तरह नजर आता है। आसानी से आम लोग इसे पहचान नहीं पाते हैं। नशा करने वाले स्टूडेंट इस पेपर को अपनी जीभ पर रखते हैं। राज्य का पहला मामला जयपुर के स्टूडेंट्स का सामने आया।
ऑनलाइन आर्डर हो रहा ड्रग
सोनी कहते हैं- जैसे-जैसे ड्रग्स का कल्चर बढ़ा है वैसे ही इसके बायर और सप्लायर भी शातिर होते गए हैं। पहले सामान्य तौर पर ट्रकों या पार्सल के जरिए इसकी खरीद फरोख्त हो रही थी। लेकिन, पुलिस इंटेलिजेंस और NCB की सक्रियता के बाद तस्करों ने नए तरीके ईजाद कर लिए हैं। ऑनलाइन शॉपिंग ऐप अमेजॉन समेत अन्य कमर्शियल साइट से मारिजुआना ड्रग ऑर्डर हो रही है। इन वेबसाइट्स पर हर्बल लीव के नाम से गांजा, चरस व भांग के पत्ते मिल रहे हैं। NCB ने जयपुर, ब्यावर व अजमेर में कार्रवाई कर ऐसे मामले उजागर किए हैं। यही नहीं स्टूडेंट बाय पोस्ट भी ऐसे सामान मंगवा रहे हैं। NCB ने जयपुर और जोधपुर आई डाक को इसी मई के महीने में होल्ड करवाया था। हालांकि, एडिक्ट (ड्रग खरीदने वाले) का नाम नहीं उजागर किया जा सकता है ऐसे में कार्रवाई को बेहद गोपनीय तरीके से अंजाम दिया जाता है।
तस्करी में शामिल महिलाएं और बच्चे भी..
सोनी बताते हैं- राजस्थान में ड्रग्स सप्लाई में महिलाओं का इन्वॉल्वमेंट भी बढ़ा है। सप्लायर ऐसी महिलाओं को ढूंढते हैं जो सिंगल मदर हो आर्थिक रूप से कमजोर हो। ग्रामीण तबके से ताल्लुक रखने वाली महिलाएं विधवा, तलाकशुदा इनके जाल में फंस रही हैं। महिलाएं इस काम में अपने बच्चों तक को इन्वॉल्व कर रहीं हैं। सोनी कहते हैं- कई टीनेज युवतियां भी इस जाल में फंसी हैं, जो लग्जरी लाइफ के लिए ड्रग पैडलर बनीं हैं।
झाड़ू और मेहंदी के कोण में MD
जोनल डायरेक्टर सोनी बताते हैं- तस्करों ने ड्रग की सप्लाई का नया जरिया निकाला है। ये लोग अब झाड़ू, वाइपर, टॉफी और मेहंदी के कोण में MD सप्लाई करते हैं। कोण के अंदर एमडी का पाउच व उस पर मेंहदी होने से किसी को डाउट नहीं होता है। सोनी कहते हैं- कई ऐसे पैडलर भी हैं जो सिग्नल और कॉलेज के आसपास वाइपर बेचते हुए नजर आए। इंटेलिजेंस की सूचना पर जब वाइपर के खाली पाइप की जांच की गई तो इसमें MD ड्रग मिली। मार्केट में आने वाली फूल झाड़ू के पीछे लगे पाइप व काले कवर में भी ड्रग्स की सप्लाई होने के मामले सामने आए हैं।
यह है इंटरनेशनल ड्रग LSD, जिसे NCB ने जयपुर के एक स्टूडेंट के पास से जब्त किया था।
स्टाम्प पर लगी फोटो के नाम से LSD का कोड
LSD की स्टाम्प पर जिसकी फोटो लगी होती है, उसी नाम से उसे जाना जाता है। हर देश में जो टिकट वहां जारी हुई होती उसी टिकट का तस्कर इस्तेमाल करते हैं। फोटो मुताबिक ही इसका रेट तस्कर तय करते हैं।
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राजस्थान सबसे कुख्यात नशा MD ड्रग तैयार करने की बड़ी फैक्ट्री बनता जा रहा है। बीते चार साल में महाराष्ट्र में सख्ती और ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद भागे तस्करों ने प्रदेश के 3 जिलों में अपनी जड़ें जमा ली हैं। राजस्थान के जो तस्कर मुंबई से चोरी छिपे MD ड्रग खरीदकर लाते थे, उन्ही के जरिए बड़े माफियाओं ने जालोर, जोधपुर और सिरोही के कई गांवों में एमडी ड्रग बनाने की फैक्ट्रियां खोल ली हैं। इन फैक्ट्रियों में तैयार 250 करोड़ की MD ड्रग्स तो महज 3 महीने में ही पकड़ी जा चुकी है।
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