खालिस्तानी आतंकी गजिंदर सिंह की पाकिस्तान में मौत, इंडिया की मोस्ट वांटेड लिस्ट में था नाम; 42 साल पहले देश को दिए थे जख्म
खालिस्तानी आतंकी गजिंदर सिंह की पाकिस्तान में मौत हो गई है। वह हृदय संबंधी रोग से ग्रस्त था और उसका उपचार पाकिस्तान के एक अस्पताल में चल रहा था। उसकी मौत की पुष्टि अलगाववादियों ने की है। गजिंदर सन् 1981 में जरनैल सिंह भिंडरावाले की गिरफ्तारी के विरोध में विमान अपहरण का आरोपी था। इसके साथ ही वह इंडिया की मोस्ट वांटेड लिस्ट में भी शामिल था।
HIGHLIGHTS
- खालिस्तानी आतंकी गजिंदर सिंह की पाकिस्तान में मौत हो गई है
- वह हृदय रोग से ग्रस्त था और उसका इलाज पाकिस्तान में चल रहा था
- सन् 1981 में साथियों के संग मिलकर उसने एक फ्लाइट हाइजैक की थी
चंडीगढ़। सन् 1981 में जरनैल सिंह भिंडरावाले की गिरफ्तारी के विरोध में विमान अपहरण के आरोपित व दल खालसा के संस्थापक गजिंदर सिंह की पाकिस्तान में मौत हो गई है।
जानकारी के मुताबिक, गजिंदर सिंह को हदय संबंधी रोग था और वह पाकिस्तान के एक अस्पताल में भर्ती था। गजिंदर सिंह की मौत की पुष्टि अलगाववादियों की ओर से की गई है।
साल 1996 से भारतीय सुरक्षा एजेंसियां गजिंदर सिंह का पता लगाने में जुटी थी। जिसके बाद गजिंदर सिंह जर्मनी के लिए निकल गया लेकिन भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की ओर से आपत्ति जताने के बाद गजिंदर सिंह को जर्मनी में एंट्री नहीं मिली और वह वहां से पाकिस्तान चला गया।
साल 2021 में इंटरनेट मीडिया पर एक पोस्ट से गजिंदर सिंह के पाकिस्तान में होने की पुख्ता पुष्टि हुई थी। एक अलगावादी ने गजिंदर सिंह की तस्वीर फेसबुक पेज पर डाली थी। जिसके बाद पता चला कि वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के हसल अब्दाल में गुरुद्वारा पंजाब साहिब में मौजूद है।
मोस्ट वांटेड था गजिंदर सिंह
गजिंदर सिंह को 2020 में मोस्ट वांटेड आतंकियों की सूची में शामिल किया गया था। गजिंदर सिंह उन लोगाें में शामिल था, जिन्होंने 29 सितंबर 1981 को 111 यात्रियों और छह चालक दल के सदस्यों को लेकर उड़ान संख्या ए आई 423 का अपहरण किया था।
यह उड़ान दिल्ली से अमृतसर आ रही थी और इसे लाहौर में उतरने के लिए मजबूर किया गया। इसके बाद आतंकवादियों ने जरनैल सिंह भिंडरावाले व अन्य चरमपंथियों की रिहाई के साथ 5 लाख अमेरिकी डॉलर की मांग की थी।
14 साल पहले हुई थी दोषियों को जेल
सभी पांच लोगों को दोषी पाया गया था और सभी को 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। साल 1995 में सजा पूरी होने के बाद सबको रिहा कर दिया गया था।
गजिंदर काे वापस लाने की कई कोशिशें की गई, लेकिन वह नाकाम रही। सुरक्षा एजेंसियों की ओर से बार-बार कहा गया कि गजिंदर सिंह पाकिस्तान से आतंकी गतिविधियां चला रहा है, लेकिन पाकिस्तान इस बात से इनकार करता रहा।
आतंकी गजिंदर सिंह की पाकिस्तान में मौत:1981 में AI फ्लाइट 423 को किया था हाईजैक; बीमारी के कारण अस्पताल में था भर्ती
दल खालसा के संस्थापक गजिंदर सिंह की पाकिस्तान के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। वह हृदय रोग से पीड़ित था। पाकिस्तानी अलगाववादियों ने इसकी पुष्टि की है। गजिंदर सिंह को 1981 में जरनैल सिंह भिंडरावाले की गिरफ्तारी के विरोध में विमान अपहरण के लिए जाना जाता है। गजिंदर की मौत के बाद खालिस्तान आंदोलन को दुनिया में बड़ा झटका लगा है।
गजिंदर सिंह की बात करें तो 2021 में एक सोशल मीडिया पोस्ट से पता चला कि वह पाकिस्तान में छिपा हुआ है। 2021 में कट्टरपंथी संगठन दल खालसा के एक सदस्य ने गजिंदर सिंह की तस्वीर फेसबुक पर शेयर की और उसके पाकिस्तान में होने की जानकारी दी। 1996 से ही भारतीय खुफिया एजेंसियां उसकी लोकेशन का पता लगाने की कोशिश कर रही थीं। पोस्ट से पता चला कि वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के हसन अब्दाल में गुरुद्वारा पंजा साहिब में मौजूद है।
भारत के वांछित आतंकवादियों की सूची में शामिल था
गजिंदर को 2002 में 20 सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों की सूची में शामिल किया गया था। वह उन पांच लोगों में शामिल था, जिन्होंने 29 सितंबर, 1981 को 111 यात्रियों और छह चालक दल के सदस्यों को लेकर उड़ान संख्या AI-423 का अपहरण किया था।यह उड़ान दिल्ली से अमृतसर आ रही थी और इसे अपहरण करके लाहौर में उतरने के लिए मजबूर किया गया था। इसके बाद आतंकवादियों ने जरनैल सिंह भिंडरावाले और कई अन्य खालिस्तानी चरमपंथियों की रिहाई के साथ 5 लाख अमेरिकी डॉलर की मांग की थी।
पाकिस्तान से रिहा होने के बाद वह लापता हो गया
इस घटना के बाद सभी पांच लोगों को पाकिस्तान में 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई। 1995 में अपनी सजा पूरी करने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। जिसके बाद गजिंदर 1996 में जर्मनी चला गया। लेकिन भारत द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद उसे जर्मनी में प्रवेश नहीं मिला और वह पाकिस्तान लौट आया।इसके बाद गजिंदर सिंह कभी नहीं मिला। भारतीय खुफिया एजेंसियां उसकी तलाश करती रहीं। भारत सरकार कई बार उसे सौंपने की मांग करती रही, लेकिन पाकिस्तान बार-बार उसकी मौजूदगी से इनकार करता रहा।
Add Comment