पार्टी के ‘चाणक्य’ को भेजी मंत्री की रिकॉर्डिंग:पूर्व मुखिया के बेटे का ध्यान रखने का मैसेज, किस ‘अपशकुन’ के डर से अफसर ने बदला चैंबर
जयपुर
- हर शनिवार पढ़िए और सुनिए- ब्यूरोक्रेसी, राजनीति से जुड़े अनसुने किस्से
कहते हैं राजनीति में जो होता है, वह दिखता नहीं और जो दिखता है वो होता नहीं। चुनावी राजनीति का अनुभव रखने वालों से बेहतर इसे कोई नहीं जान सकता। पश्चिमी राजस्थान की एक सीट पर चुनावों के दौरान एक मंत्रीजी की सियासी भाव भंगिमाएं चर्चा में रहीं।
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जब कुछ अपनों ने मंत्रीजी से उनकी सक्रियता में छिपी निष्क्रियता देखी तो कारण पूछा। मंत्रीजी ने फोन पर ही कारण बता दिया कि खुद के पैर नहीं कटवाने हैं, और भी बहुत सी बातें कहीं जो रिकॉर्ड हो गईं। यह रिकॉडिंग पार्टी के चाणक्य को भेज दी गई। पार्टी के चाणक्य के यहां से जमकर डांट पड़ी बताई। उसके बाद सक्रियता दिखाई, लेकिन बात ऊपर तक पहुंच गई, अब लोकसभा के नतीजों पर सब निर्भर करेगा।
बड़े नेता ने किसे दिया पूर्व मुखिया के बेटे का ध्यान रखने का मैसेज
प्रदेश के पूर्व मुखिया के बेटे जिस सीट पर उम्मीदवार हो, उस सीट को भला हाई प्रोफाइल होने से कौन रोक सकता है, लेकिन इस सीट पर किसने क्या गुल खिलाए, इसे लेकर रह रहकर किस्से बाहर आ रहे हैं। सुना है एक बड़े नेता ने पूर्व मुखिया के बेटे का ध्यान रखने के लिए अपने समर्थक नेताओं को मैसेज तक किए। बड़े नेता के समर्थकों ने ध्यान भी रखा बताया, यह बात उनकी पार्टी में ऊपर तक पहुंच गई है। सियासी मिलीभगत में कई बड़े नेता शामिल बताए जा रहे हैं।
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इस सीट पर हुई सियासी उलटबांसी में दोनों तरफ अपनों ने ही बड़ी भूमिका निभाई है। जिसका रिजल्ट खराब रहेगा, वो बूथ तक के खेल का रिकॉर्ड ले आएगा, जो जीत जाएगा वो छोटी-मोटी बात बताकर भुला देगा, लेकिन सियासी रिश्तों की लड़ाई का पॉइंट मिल चुका है।
निर्माण वाले विभाग के मुखिया आईएएस का बड़ा चैंबर बना हॉट टॉपिक
एक तन पर सोने के तार सजे, एक तन पर सूत का तार नहीं, यह जुमला भेदभाव के प्रति पीड़ा और आक्रोश जताने के लिए बोला जाता रहा है। कुछ इसी तरह का हाल इन दिनों सत्ता के सबसे बड़े दफ्तर में होता हुआ दिख रहा है। आरएएस तो छोड़िए आईएएस के लिए भी कमरे नहीं मिल रहे। इस किल्लत के बीच प्रदेश में निर्माण का जिम्मा संभालने वाले महकमे के मुखिया का चैंबर गलियारों में चर्चा का मुद्दा बन गया है। निर्माण वाले महकमे के मुखिया ने दो-तीन कमरों को मिलाकर अपना एक चैंबर बनाया है। चैंबर का काम अभी चल ही रहा है। अब अंग्रेजों के जमाने से चर्चित रहे महकमे को संभालने वाले आईएएस का चैंबर सबसे अलग तो होना ही चाहिए।
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पूर्व मुखिया से मिलकर मंत्री ने क्या दिया फीडबैक?
प्रदेश की पूर्व मुखिया से पिछले दिनों राजधानी में एक मंत्री मिलने पहुंचे। इस मुलाकात के बारे में बहुत कम लोगों को पता है। जो मंत्री मिलने पहुंचे वे पहले भी पूर्व मुखिया की टीम में रह चुके हैं। अब दोनों की मुलाकात में क्या बात हुई, इसे लेकर अंदरखाने चर्चा हो रही है। लोकसभा चुनाव की वोटिंग के बाद हुई इस मुलाकात के सियासी संकेत तलाशे जा रहे हैं, अब पुराने सियासी रिश्ते ऐसे ही थोड़े खत्म होते हैं।
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नगर निगम के वाॅट्सऐप ग्रुप से मेयर नदारद
सोशल मीडिया के टूल्स सरकारी कामकाज का अहम हिस्सा बन गए हैं। हर दफ्तर के वाॅट्सऐप ग्रुप बनाकर रियल टाइम जुड़ाव आम बात हो गई है। राजधानी के पुराने शहर को कवर करने वाले नगर निगम का भी ग्रुप बना हुआ है, लेकिन इस ग्रुुप की खासियत है, इसें मेयर को छोड़कर बाकी सब हैं। अब मुखिया के बिना ग्रुप के भी मायने हैं। बातें भी बनेंगी और मायने भी निकलेंगे। जानकार इसके पीछे भविष्य के संकेत देख रहे हैं।
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पुरानी सरकार के पावरफुल अफसर ने बदला अपशकुनी चैंबर?
सत्ता के सबसे बड़े दफ्तर में एक और बड़े अफसर का चैंबर चर्चा में है। चर्चा का कारण चैंबर बदलना है। बड़े अफसर ने ऐसी जगह कमरा लिया था, जहां चैनल गेट बंद रहता था और पास में उनकी गाड़ी आ सकती थी, लेकिन जल्द ही उनका मोह भंग हो गया।
पिछली सरकार के मुखिया के सबसे नजदीकी और पावरफुल रहे अफसर को किसी ने बता दिया कि उनका नया चैंबर अपशकुनी है। इस चैंबर में पहले जो रहे सब विवादों में रहे,एक आईएएस जेल चले गए थे, बाकी जो रहे कुछ समय में ही किसी न किसी विवाद में विदा हो गए। यह सब सुनकर बड़े अफसर ने चैंबर ही बदलवा लिया।
बड़े अफसरों को बदलने की तैयारी
लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब ब्यूरोक्रेसी में बदलाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। प्रदेश के मुखिया के दफ्तर में ट्रांसफर लिस्ट को लेकर एक्सरसाइज शुरू हो चुकी है।
ब्यूरोक्रेसी के मुखिया भी अपने स्तर पर तैयारी कर रहे हैं। कई अफसरों को इधर उधर करने की तैयारी है। मेडिकल महकमे के बॉस को भी बदलने की चर्चा है, और भी कई दिग्गज बदलाव के दायरे में आएंगे।
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