NIA की विशेष अदालत द्वारा मुंबई के दोषियों और लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को 10 साल की सजा सुनाई गई है। प्रारंभ में यह मामला एटीएस कालाचौकी, मुंबई, महाराष्ट्र में प्राथमिकी संख्या 10/2012 के रूप में दर्ज किया गया था जहां आरोपी व्यक्तियों पर आग्नेयास्त्रों की बरामदगी से संबंधित शस्त्र अधिनियम के तहत दिनांक 31.08.2012 दिनांक 31.08.2012 धाराएं भी लगाई गई थी।
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि आरोपी प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्करी-तैयबा और हरकत-उल-जिहाद-ए-इस्लामी (हूजी) के सदस्य थे। जिसके बाद मामले में यूए (पी) अधिनियम की धाराओं को लागू किया गया था।
उसके बाद एनआईए ने 24.06.2013 को मामले को आरसी-01/2013/एनआईए/एमयूएम के रूप में फिर से पंजीकृत किया और अपने कब्जे में ले लिया था।जिसने जाँच पड़ताल के बाद यह
खुलासा हुआ है कि दोषी आरोपी मो. अकरम सऊदी अरब गया जहां वांछित आरोपी मोहम्मद अब्दुल मजीद की मदद से ड्राइवर के रूप में नौकरी दिलाने का झांसा
दिया गया था जो कि
हैदराबाद का मूल निवासी था और वर्तमान में सऊदी अरब के रियाद में बसे हैं। सऊदी अरब में रहने के दौरान आरोपी
मो. अकरम को फरार आरोपियों सहित लश्कर के विभिन्न सदस्यों और गुर्गों से मिलवाया गया था।
इन्होंने रियाद और दम्मम, सऊदी अरब में बैठकें
कर साजिशें की तथा बैंगलोर, हैदराबाद सहित विभिन्न शहरों में हत्याओं को अंजाम देने के लिए इन्हें भारत वापस भेज दिया गया
।आतंकी कृत्यों को अंजाम देने के लिए उपयुक्त लक्ष्य निर्धारित किए गए मामले में आगे की जांच तथा फरार आरोपियों का पता लगाने और उन्हें पकड़ने के अबतक जारी है।
इस मामले में अब तक गिरफ्त में आए तीन आरोपियों को एनआईए विशेष अदालत, मुंबई ने सजा सुनाई है।इनमे
मुज़म्मिल पुत्र अब्दुल गनी को यूए (पी) अधिनियम की धारा 18, 20, 38 के तहत 10 साल के कठोर कारावास और यू / एस आर्म्स एक्ट के 3,25,7,27 के तहत पांच साल और 5000 रुपये जुर्माना; मो. सादिक पुत्र मो. फारू और मो.
अकरम पुत्र मो. अकबर UA(P) अधिनियम की धारा 18, 20, 38 के तहत 10 साल तक कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है।
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